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Thursday, 25 April, 2024
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चुनावी राज्य UP, गोवा, उत्तराखंड, मणिपुर में ओमीक्रॉन का कोई मामला नहीं, नए वैरिएंट के मामले 100 पार

गोवा की सीमा से लगे सभी राज्यों में ओमीक्रॉन के मामले दर्ज किए जा चुके हैं, लेकिन वहां ओमीक्रॉन का एक भी मामला नहीं है.

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नई दिल्ली: कोरोनावायरस संक्रमण की दो लहरों को झेलने के बाद भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था के आगे अब ओमीक्रॉन वैरिएंट का एक नया खतरा खड़ा हो गया है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देशभर में ओमीक्रॉन के अब तक 101 मामलों की पुष्टि हो चुकी है. 2 दिसंबर को कर्नाटक में ओमीक्रॉन का पहला मामला सामने आया था. शुक्रवार को भारत में एक दिन में सबसे ज्यादा ओमीक्रॉन वैरिएंट के मामले दर्ज हुए हैं.

गौरतलब है कि जिन राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें से सिर्फ पंजाब के चंडीगढ़ में ओमीक्रॉन का एक मामला दर्ज किया गया है.

इसके अलावा किसी अन्य चुनावी राज्य से ओमीक्रॉन के मामलों की सूचना नहीं मिली है. 2022 में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इसके लिए चुनावी सरगर्मी तेज हो चुकी है.

शुक्रवार को लखनऊ में भारतीय जनता पार्टी की रैली हुई थी. तस्वीरों में देखा जा सकता है कि अमित शाह की रैली में काफी संख्या में लोग मौजूद हैं. वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी यूपी में लगातार चुनावी रैलियां कर रहे हैं. उनकी रैलियों में भी भारी भीड़ देखी जा सकती है.

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जिन राज्यों में चुनाव होते हैं वहां राजनीतिक पार्टियों की बड़ी-बड़ी रैलियां और रोड शो होते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि भीड़ बढ़ने से वायरस के फैलने की संभावना बढ़ जाती है.

ऐसे में अगर चुनावी राज्यों में कोविड के ओमीक्रॉन संक्रमण के मामले बढ़ते हैं तो इससे राजनीतिक पार्टियों की रैलियों और रोड शो पर प्रतिबंध लग सकता है. कोविड को देखते हुए चुनाव आयोग पहले हुए चुनावों में ऐसा फैसला ले चुका है.


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‘भाजपा के लिए चुनाव पहले, जनता बाद में’

चुनावी रैलियों में भारी भीड़ पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सुधांशु बाजपेयी ने दिप्रिंट से कहा, ‘भाजपा चुनाव के लिए कुछ भी कर सकती है. ओमीक्रॉन को लेकर अगर ऐसी कोई संभावना है तो सरकार को कोविड प्रोटोकॉल लागू करना चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘बंगाल चुनाव में राहुल गांधी ने बीच में ही रैली रोक दी थी. अगर सरकार प्रोटोकॉल लागू करती है तो हम उसका पालन करेंगे. हमारे लिए जनता ही प्रथम है, चुनाव बाद में.’

वहीं उत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘अभी यूपी में ओमीक्रॉन के किसी मामले की सूचना नहीं मिली है, लेकिन राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था इसके लिए पूरी तरह से तैयार है. हम लोगों से अपील करते हैं कि वे मास्क लगाकर रखें और किसी भी तरह के लक्षण होने पर जांच कराएं.’

ओमीक्रॉन के खतरे को देखते हुए रैलियों और रोड शो पर त्रिपाठी कहते हैं, ‘अभी चूंकि राज्य में ओमीक्रॉन का कोई मामला सामने नहीं आया है तो हम रैलियों में सुनिश्चित करते हैं कि सभी लोग मास्क लगाकर रखें. हां अगर भविष्य में राज्य में ओमीक्रॉन के मामले आते हैं तो हम रैलियों में कटौती करने का कदम उठाएंगे.’

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता घनश्याम तिवारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘जहां सम्मेलन, रैलियां हो रही हैं वहां के लोगों में एक निश्चिंतता क माहौल है.’

उन्होंने कहा, ‘हम अपनी रैलियों में इसके मद्देनजर प्रयास कर रहे हैं लेकिन हम सरकार और चुनाव आयोग के दिशानिर्देश पर निर्भर करेंगे.’

यूपी में रैलियों में आ रही भारी भीड़ के कारण कोविड संक्रमण बढ़ने की संभावना पर तिवारी ने कहा कि इससे इनकार नहीं किया जा सकता है और सरकार पर भरोसा नहीं किया सकता कि वो ईमानदारी से सब कुछ बताएगी.


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बंगाल चुनाव में ‘छिपाए’ गए कोविड मामले

हाल ही में हुए पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में जिस समय विधानसभा चुनाव हुए थे, उस समय लगभग पूरे देश में कोरोना के काफी मामले सामने आ रहे थे लेकिन पश्चिम बंगाल से संक्रमितों की संख्या उस समय काफी कम दर्ज की जा रही थी.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पश्चिम बंगाल की सरकार ने कोरोना मामलों की संख्या को दबाने का काम किया ताकि उनके प्रचार में किसी तरह की कोई अड़चन न आए.

पश्चिम बंगाल में 27 मार्च को विधानसभा चुनाव शुरू हुए थे, जो कि 29 अप्रैल तक चले. आंकड़े बताते हैं कि 1 अप्रैल को बंगाल में 738 कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए थे लेकिन 18 अप्रैल आते-आते आंकड़ों की संख्या में 1,040 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला. जबकि इस दौरान महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे कोरोना हॉटस्पॉट राज्यों में सिर्फ 209 और 118% उछाल ही देखा गया था.

18 अप्रैल को पश्चिम बंगाल में कोरोना के 8,419 मामले दर्ज किए गए थे.


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चुनावी राज्यों में मामले

वर्तमान स्थिति को देखते हुए लगता है कि 2022 में जिन राज्यों में चुनाव होने हैं वे भी पश्चिम बंगाल की स्क्रिप्ट ही अपना रहे हैं.

गोवा की सीमा से लगे सभी राज्यों में ओमीक्रॉन के मामले दर्ज किए जा चुके हैं, लेकिन वहां ओमीक्रॉन का एक भी मामला नहीं है.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देश में ओमीक्रॉन की स्थिति पर जानकारी दी है. मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि देशभर के 11 राज्यों में ओमीक्रॉन के 101 मामले दर्ज किए जा चुके हैं.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दक्षिण अफ्रीका में डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले ओमीक्रॉन ज्यादा तेजी से फैल रहा है, जहां डेल्टा का प्रभाव कम था. वहीं दूसरी तरफ ऐसा भी सामने आ रहा है कि यूनाइटेड किंगडम में, जहां डेल्टा वैरिएंट काफी तेजी से फैला वहां भी ओमीक्रॉन ज्यादा तेजी से फैल रहा है.

शुक्रवार को केंद्र सरकार ने ओमीक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच लोगों को चेताया है कि गैर-जरूरी यात्राएं और सामूहिक समारोहों को लेकर सावधानी बरती जाए.


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देशभर में ओमीक्रॉन के बढ़ रहे हैं मामले

ओमीक्रॉन के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में देखने को मिले हैं, यहां अब तक नए वैरिएंट के 32 मामले सामने आए हैं. इसके अलावा दिल्ली में ओमीक्रॉन के 22 और राजस्थान में 17 मामले दर्ज किए जा चुके हैं.

कर्नाटक में ओमीक्रॉन के 8 मामले, तेलंगाना में भी 8, गुजरात में 5, केरल में 5 मामले सामने आ चुके हैं.

इसके अलावा चंडीगढ़, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में ओमीक्रॉन का एक-एक मामला दर्ज किया गया है.

बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ओमीक्रॉन को ‘बेहद चिंतित’ करने वाले वैरिएंट की श्रेणी में रखा है और लोगों से मास्क और उचित दूरी बनाए रखने की अपील की है. विश्न स्वास्थ्य संगठन ने यह भी कहा कि ओमीक्रॉन पहले आए किसी वैरिएंट की तुलना में बहुत ज्यादा तेजी से फैल रहा है.

(समाजवादी पार्टी की तरफ से प्रतिक्रिया आने के बाद इस रिपोर्ट को अपडेट किया गया है)


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