महिलाओं और पालन-पोषण पर CBSE की 10वीं की परीक्षा पैसेज पीछे ले जाने वाला था और पितृसत्ता की चली आ रही धारणाओं में डूबा हुआ था. बच्चों को शिक्षित करने का मतलब उन्हें जागरूक और खुले विचारों वाला बनाना. ऐसा लेखन लैंगिक रूढ़ियों व कुप्रथाओं को बल देता है. CBSE का पैसेज को ‘छोड़ना’ सराहनीय है, पर उसे सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी मानसिकता को रोका जाय.