मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह क्रिप्टोकरेंसी पर विधेयक पेश करने और इस मुद्दे पर आगे की कार्रवाई के बारे में 17 जनवरी, 2022 को उसे अवगत कराए.
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की खंडपीठ ने कहा कि वह संसदीय विधायिका को कानून बनाने का निर्देश नहीं दे सकती.
अदालत अधिवक्ता आदित्य कदम की उस जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र सरकार को देश के भीतर क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल और कारोबार को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
कदम ने देश में क्रिप्टोकरेंसी के अनियमित कारोबार पर प्रकाश डालते हुए दावा किया है कि यह निवेशकों के अधिकारों को प्रभावित करता है, क्योंकि उनकी शिकायतों के निवारण के लिए कानून में कोई तंत्र नहीं है.
केंद्र की ओर से पेश अधिवक्ता डीपी सिंह ने अदालत को बताया कि क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक का क्रिप्टोकरेंसी विनियमन विधेयक पेश किया गया है और संसद के शीतकालीन सत्र में इस पर चर्चा की जाएगी.
हालांकि, कदम ने दलील दी कि इसी तरह का बयान केंद्र सरकार ने 2018 और 2019 में भी दिया था, लेकिन उसके बाद कोई कदम नहीं उठाया गया था.
पीठ ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई अब 17 जनवरी 2022 को करेगी.
पीठ ने कहा, ‘देखते हैं कि वे (सरकार) कानून बनाते हैं या नहीं. विधेयक पेश करने के बाद याचिका में यह आरोप लगाया जाना कि सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया है, गलत होगा.’
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘हम संसदीय विधायिका को कानून बनाने का निर्देश नहीं दे सकते.’
अदालत ने कहा, ‘केंद्र सरकार हमें अगली तारीख पर यह अवगत कराएगी कि क्या विधेयक पेश किया गया है या नहीं और आगे क्या कार्रवाई की गई है.’
विधेयक में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के निर्माण के लिए एक सुविधाजनक ढांचा तैयार करने का प्रस्ताव है.
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