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Sunday, 3 November, 2024
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कौन है सायोनी घोष? एक्टर और ममता की ‘स्ट्रीट फाइटर’, जो त्रिपुरा में गिरफ्तार हुई, फिर जमानत मिली

सायोनी घोष, जिन्होंने बंगाली टीवी धारावाहिकों में चरित्र कलाकार के तौर पर, अपने एक्टिंग करियर की शुरूआत की थी, तृणमूल कांग्रेस युवा विंग की प्रमुख हैं.

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कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस युवा विंग की अध्यक्ष सायोनी घोष, जिन्हें रविवार को अगरतला में त्रिपुरा पुलिस ने, ‘हत्या के प्रयास’ के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था, और जिन्हें सोमवार को जमानत मिल गई थी, उन्हें अपने पार्टी नेताओं का पूरा समर्थन हासिल है.

सोमवार को अपने दिल्ली दौरे पर, पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा, कि वो घोष की गिरफ्तारी का विरोध करेंगी, और इस मुद्दे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उठाएंगी. घोष के साथ एकजुटता दिखाने के लिए, ममता के भतीजे और तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी, सोमवार सुबह पहली फ्लाइट लेकर अगरतला पहुंच गए, जहां घोष त्रिपुरा में आगामी नगर निकाय चुनावों के लिए प्रचार कर रहीं थीं.

टीएमसी लोकसभा सांसद सौगता रॉय ने, जो उस प्रतिनिधि मंडल का हिस्सा थे जिसने त्रिपुरा हिंसा के बारे में, सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक ज्ञापन सौंपा, और घोष की गिरफ्तारी का मुद्दा उठाया, उनकी ज़मानत के बाद कहा, ‘एक युवा महिला को परेशान करने की साजिश नाकाम हो गई है. कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किया गया. सायोनी की अपनी लोकप्रियता बढ़ रही है’.

घोष के लिए फौरी और मुखर समर्थन से, पार्टी में उनकी हैसियत का साफ संकेत मिलता है. 28 वर्षीय अदाकारा, जिन्होंने अपना करियर बंगाली धारावाहिकों और टेलीफिल्मों में, चरित्र कलाकार के तौर पर शुरू किया और बाद में बंगाली फिल्मों में काम किया, फरवरी में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुईं और उन्हें तुरंत ही बंगाल असेम्बली चुनावों के लिए टिकट मिल गया. पार्टी ने उन्हें आसनसोल साउथ सीट से मैदान में उतारा और निर्वाचन आयोग में उन्होंने जो हलफनामा दाख़िल किया उसमें कहा गया कि उन्होंने 12वीं क्लास पास की हुई है.


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कार्यकर्त्ताओं को संगठित करना, बैठकें करना

ये दूसरी बार है कि सायोनी घोष त्रिपुरा आईं हैं. अभिषेक बनर्जी के पहले रोड शो से पहले, जो इस हफ्ते होना था लेकिन बाद में मना कर दिया गया, पार्टी कार्यकर्ताओं को संगठित करने के अलावा, वो पिछले एक हफ्ते के दौरान तृणमूल नेताओं के साथ, सड़क किनारे बैठकें कर रहीं थीं.

नगर निकाय चुनावों के आख़िरी दौर के प्रचार के लिए, अभिषेक के अगरतला में कदम रखने से पहले ही, पुलिस ने रविवार शाम को घोष को पुलिस स्टेशन बुलाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया. उनपर इंडियन पीनल कोड की धाराओं, 153, 153ए, 506, 307, और 120बी के तहत मुक़दमा क़ायम कर दिया गया, जिनमें ‘हत्या का प्रयास’, और ‘लोगों के बीच वैमनस्य को बढ़ाना’ शामिल हैं.

घोष ने कथित तौर पर शनिवार को त्रिपुरा सीएम बिप्लव देब की सार्वजनिक सभा में, बीजेपी कार्यकर्त्ताओं के ऊपर गाड़ी चढ़ाने की कोशिश की थी, जहां से वो गुजर रहीं थीं. उन्होंने कथित रूप से कार्यकर्त्ताओं पर पत्थर फेंके, और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया. दावा किया गया कि उसके बाद मची खलबली में कई बीजेपी कार्यकर्त्ता घायल हो गए. उनपर ये भी आरोप था कि उन्होंने बीजेपी कार्यकर्त्ताओं के सामने तृणमूल का ‘खेला होबे’ नारा भी लगाया था. सोमवार को कोर्ट में पेश किए जाने के बाद उन्हें ज़मानत दे दी गई.

तृणमूल कांग्रेस ने घोष के खिलाफ लगाए गए सभी आरापों का, ज़ोरदार खंडन किया. पार्टी ने कहा कि बीजेपी के लोगों ने रविवार को, पुलिस थाने के अंदर उसके कार्यकर्त्ताओं की बेरहमी से पिटाई की, जहां घोष से पूछताछ चल रही थी.


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राजनीतिक पदार्पण

लोकप्रिय एक्टर घोष जनवरी में सुर्ख़ियों में आईं, जब पूर्व मेघालय राज्यपाल तथागत रॉय ने, हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए उनके खिलाफ एक एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें उनके सोशल मीडिया पेज से, साल 2015 की एक ट्वीट को टैग किया गया था.

रॉय ने पुलिस में अपनी शिकायत के साथ जिस ‘आपत्तिजनक’ ट्वीट का स्कीरशॉट नत्थी किया था, वो हिंदू देवता शिव का एक मीम था. गुवाहाटी में भी एक्टर के खिलाफ एक अलग केस दायर किया गया. बदले में, घोष ने कोलकाता पुलिस के साइबर सेल में एक शिकायत दी, कि उन्हें ‘मारने और रेप करने की’ ऑनलाइन धमकियां दी जा रही हैं.

एक्टर ने दावा किया कि जब वो अपने पेज पर एक्टिव नहीं थीं, तो उसके अकाउंट को हैक किया गया था, और वो शरारती मीम उनके विचारों को व्यक्त नहीं करता.

25 फरवरी को एक कार्यक्रम के दौरान, जिसमें ममता बनर्जी शरीक हुईं थीं, घोष अधिकारिक रूप से टीएमसी में शामिल हो गईं, और उन्होंने संकल्प लिया कि वो हर तरह के भ्रष्टाचार, और दुराचार के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाएंगी.


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आसनसोल में एक ‘स्ट्रीट फाइटर’

आसनसोल से नामांकित किए जाने के बाद, घोष ने अपना बेस शहर में शिफ्ट करके एक किराए के घर में रहने लगीं और मतदाताओं के साथ जुड़ने की कोशिश की. हर रोज़, उन्हें सुबह सवेरे 7 बजे अपना प्रचार शुरू करते देखा जा सकता था, जिसमें वो अपने चुनाव क्षेत्र की महिलाओं, और युवाओं पर ध्यान केंद्रित करतीं थीं.

उन्होंने मतदाताओं के दिल के तारों को छूने की कोशिश की: घर-घर प्रचार के दौरान बुज़ुर्ग महिलाओं से चटनी की रेसिपी लेना, या स्थानीय गांवों के खदान मज़दूरों से वोट मांगने के लिए, ईस्टर्न कोलफील्ड्स लि. की कोयला खदानों में नीचे उतर कर जाना.

जब सीएम ने घोष के लिए वर्चुअल प्रचार किया, तो उन्होंने एक्टर को एक ‘स्ट्रीट फाइटर’ कहा- एक ऐसा लेबल जिसे ममता बनर्जी खुद गर्व के साथ लगातीं थीं.

लेकिन, घोष बीजेपी की अग्निमित्रा पॉल से, 5,000 से भी कम वोटों से हार गईं. ये एक कांटे की टक्कर थी: जहां घोष को 42.82 प्रतिशत वोट शेयर के साथ कुल 83,394 मत मिले, वहीं पॉल को 87,881 वोट मिले, और उनका वोट शेयर 45.13 प्रतिशत था.

घोष ने कहा कि लोगों के फैसले के बावजूद, वो अपने चुनाव क्षेत्र के लोगों के लिए काम करती रहेंगी.

हालांकि वो हार गईं लेकिन बनर्जी ने उन्हें एक नई ज़िम्मेदारी सौंप दी. जून में घोष को टीएमसी युवा विंग का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया- जो एक प्रमुख पद था. और घोष ने जिनसे ये पदभार लिया, वो कोई और नहीं बल्कि ख़ुद अभिषेक बनर्जी थे.


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घोष के लिए समर्थन

सोमवार को मीडिया के साथ बातचीत में अभिषेक ने कहा, ‘पीएम और एचएम बंगाल आए और उन्होंने कहा खेला होबे…फिर उन्हें क्यों गिरफ्तार नहीं किया गया? लेकिल सायोनी को कल गिरफ्तार कर लिया गया. हमारी विनम्रता को हमारी कमज़ोरी न समझा जाए’.

तृणमूल नेता सुष्मिता देव ने जो त्रिपुरा में ही हैं, दिप्रिंट से कहा: ‘सायोमी घोष के खिलाफ ये एक झूठा केस है. उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, वो क़ानून का पालन करने वाली नागरिक हैं. ये केस राजनीति से प्रेरित है’.

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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