भोपाल: मध्य प्रदेश के भोपाल में कमला नहरू चिल्ड्रन हॉस्पिटल (हमीदिया अस्पताल परिसर) की स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में सोमवार रात आग लगने से कम से कम चार शिशुओं की मौत हो गई. प्रदेश सरकार ने घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं.
राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि हो सकता है कि आग शार्ट सर्किट के कारण लगी हो. उन्होंने वार्ड के अंदर की स्थिति ‘बहुत डरावनी’ बताई.
अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि चारों मृत शिशुओं की उम्र एक महीने से कम थी. एक अधिकारी ने बताया कि आग अस्पताल की तीसरी मंजिल पर लगी जहां पर आईसीयू है.
सारंग ने कहा, ‘एसएनसीयू वार्ड में लगी आग में चार बच्चों की मौत हो गई. घटना की सूचना मिलते ही हम अन्य लोगों के साथ मौके पर पहुंचे. वार्ड के अंदर अंधेरा था. हमने बच्चों को बगल के वार्ड में ट्रांसफर कर दिया.’
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीड़ितों के परिवार को चार-चार लाख रुपए का मुआवज़ा देने की घोषणा की है.
फतेहगढ़ दमकल केंद्र के प्रभारी जुबेर खान ने बताया कि सोमवार रात करीब नौ बजे अस्पताल की तीसरी मंजिल पर आग लगी और आग बुझाने के लिए दमकल की करीब 10 गाड़ियां मौके पर पहुंची. उन्होंने बताया कि हो सकता है कि शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी हो.
एसएनसीयू में कुल 40 शिशुओं को भर्ती किया गया था. घटना के बाद इनमें से 36 शिशुओं को अलग-अलग वार्ड में रखा गया है.
शिवराज ने ट्वीट कर जानकारी दी कि ‘बचाव कार्य प्रभावित न हो, इसलिए मुझे घटना स्थल पर आने से मना किया गया. मैं रातभर संपर्क में रहा और आवश्यक निर्देश देता रहा. सबके प्रयास से हम अनेक नौनिहालों की जिंदगी बचाने में सफल रहे.’
बचाव कार्य प्रभावित न हो, इसलिए मुझे घटना स्थल पर आने से मना किया गया। मैं रातभर संपर्क में रहा और आवश्यक निर्देश देता रहा। सबके प्रयास से हम अनेक नौनिहालों की जिंदगी बचाने में सफल रहे।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) November 9, 2021
घटना की उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दिए गए हैं. अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा) मोहम्मद सुलेमान इस मामले की जांच करेंगे.
कमला नेहरु बाल अस्पताल भोपाल के सरकारी हमीदिया अस्पताल का हिस्सा है जो कि प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा केंद्रों में से एक है.
पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता कमलनाथ ने घटना को बेहद दर्दनाक बताते हुए सरकार से इसकी उच्च स्तरीय जांच कराने और इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है.
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‘अस्पताल के कर्मचारी घटनास्थल से भागे’
हादसे के वक्त इकाई में 40 नवजात शिशु भर्ती थे. इनमें से बचे 36 शिशुओं का दूसरे अलग-अलग वार्ड में इलाज किया जा रहा है.
चश्मदीदों के मुताबिक, आग की खबर फैलते ही अस्पताल में कोहराम मच गया और चिंतित माता-पिता और परिजन अपने बच्चों को लेने और उन्हें बचाने के लिए वार्ड में घुसने की कोशिश करने लगे. सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया. आग लगने के बाद धुआं वार्ड और इसके निकासी के रास्तों में भर गया. एक दमकल कर्मी ने बताया कि लोगों की अफरा-तफरी और धुएं के बीच वह किसी तरह घुटने के बल चलकर वार्ड तक पहुंचे.
डॉक्टर और नर्सों ने नवजात बच्चों को दूसरे वार्ड में ले जाने की कोशिश की और वह सभी 40 बच्चों को बाहर निकालने में सफल रहे लेकिन उनमें से चार शिशु नहीं बच सके जो कि पहले से ही गंभीर स्थिति में थे. बाद में कुछ शिशुओं के माता-पिता उन्हें दूसरे अस्पतालों में ले गए.
सोशल मीडिया पर वायरल इस घटना के एक वीडियो में एक स्ट्रेचर पर चार-पांच शिशुओं को एक साथ रखकर एक व्यक्ति अपने कंधों पर ऑक्सीजन का सिलेंडर ले जाते हुए दिखाई दे रहा है.
चश्मदीदों ने बताया कि एक माता-पिता अपने बच्चे की तलाश कर रहे थे जबकि कुछ अन्य अपने बच्चों के साथ अस्पताल से बाहर निकल आए.
मंगलवार को सारंग ने कहा, ‘मैंने अन्य चिकित्सा कर्मचारियों के साथ बच्चों को दूसरे वार्ड में ट्रांसफर किया. मैंने अपने हाथ से वार्ड में खिड़कियों और दरवाजों के कांच को तोड़ा ताकि वहां से धुआं बाहर निकल सके और हम बच्चों को सुरक्षित स्थानों पर ले जा सकें. ‘एसएनसीयू वार्ड में लगी आग में चार बच्चों की मौत हो गई. घटना की सूचना मिलते ही हम अन्य लोगों के साथ मौके पर पहुंचे. वार्ड के अंदर अंधेरा था. हमने बच्चों को बगल के वार्ड में स्थानांतरित किया.’
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