नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को उम्मीद के अनुरूप प्रमुख नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर पर बरकरार रखा. यह लगातार आठवां मौका है जबकि केंद्रीय बैंक ने रेपो दर को जैसा का तैसा रखा है. इसके साथ केंद्रीय बैंक ने कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेतों के बीच अपने मौद्रिक रुख को नरम बनाये रखने का भी फैसला किया.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आखिरी बार 22 मई, 2020 को रेपो दर में बदलाव किया था.
रेपो दर वह दर है जिस पर वाणिज्यक बैंक केंद्रीय बैंक से फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये अल्पकालीन कर्ज लेते हैं.
दास ने द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा, ‘एमपीसी ने रेपो दर को चार प्रतिशत पर कायम रखने का फैसला किया है.’ इसी के अनुरूप रिवर्स रेपो दर भी 3.35 प्रतिशत पर कायम रखा गया है.
आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘पिछली एमपीसी बैठक के तुलना में आज भारत बहुत बेहतर स्थिति में है. विकास की गति मजबूत होती दिख रही है. मुद्रास्फीति ट्रेजेक्टरी अनुमान से अधिक अनुकूल हो रही है.
उन्होंने आगे कहा, ‘ इस अवधि में अर्थव्यवस्था को महामारी के कहर से बचाने के लिए रिजर्व बैंक ने अप्रत्याशित संकट से निपटने के लिए 100 से अधिक उपाय किए हैं. हमने वित्तीय बाजार को चालू रखने के लिए नए और अपरंपरागत उपाय करने में संकोच नहीं किया है.
दास ने कहा कि एमपीसी ने एकमत से ब्याज दरों में बदलाव नहीं करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि वृद्धि को समर्थन तथा मुद्रास्फीति को लक्ष्य के दायरे में रखने के लिए केंद्रीय बैंक ने अपने नरम रुख को भी जारी रखने का फैसला किया है.
रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 9.5 प्रतिशत की वृद्धि दर के अनुमान को भी कायम रखा है.वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान 17.2% है .
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