नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत का तत्काल जोर यह सुनिश्चित करने पर है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल उसके खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाए. इसके दो दिन पहले ही कतर में भारतीय दूत ने तालिबान के एक शीर्ष नेता के साथ बातचीत की थी.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत ने दोहा बैठक का इस्तेमाल भारत-विरोधी गतिविधियों के लिए अफगान क्षेत्र के संभावित उपयोग को लेकर अपनी चिंताओं को व्यक्त करने तथा बाकी भारतीयों को अफगानिस्तान से वापस लाने के संबंध में किया.
उन्होंने कतर में भारतीय राजदूत दीपक मित्तल और तालिबान नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तानकजई की मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा, ‘हमें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली.’
क्या भारत दोनों पक्षों के बीच बैठक की पृष्ठभूमि में तालिबान शासन को मान्यता देगा, इस संबंध में पूछे गए विभिन्न सवालों के जवाब में बागची ने कहा, ‘यह सिर्फ एक बैठक थी. मुझे लगता है कि ये अभी काफी शुरुआती दिन हैं.’
यह पूछे जाने पर कि क्या तालिबान के साथ भारत और बैठक करेगा, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि वह अटकलें नहीं लगाना चाहते. उन्होंने कहा, ‘मैं भविष्य के बारे में अटकलें नहीं लगाना चाहता. मेरे पास उस सबंध में साझा करने के लिए कोई नयी जानकारी (अपडेट) नहीं है.’ अफगानिस्तान से बाकी भारतीयों को वापस लाने के बारे में बागची ने कहा कि काबुल हवाई अड्डा पर परिचालन पुन: शुरू होने के बाद भारत इस संबंध में फिर से विचार कर सकेगा.