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Thursday, 21 November, 2024
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RBI डाटा से पता चला- महामारी के दौरान भारतीयों ने घर और गाड़ी के लिए लोन लिए, शिक्षा के लिए नहीं

मार्च 2020 से मई 2021 के बीच बैंक कर्ज़ आंकड़ों से पता चलता है, कि बैंकों के दिए कुल कर्ज़ों में दूसरी लहर में गिरावट देखी गई. लेकिन पर्सनल लोन्स में दोहरे अंकों की वृद्धि हुई.

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नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों से पता चलता है कि महामारी के दौरान भारतीय लोग मकान और गाड़ियां ख़रीदने के लिए बैंक लोन और सोना गिरवी रखकर ख़र्च के लिए पैसा उधार लेते रहे, लेकिन शिक्षा के लिए बैंक से लिए कर्ज़ों में कमी देखी गई.

बैंकों द्वारा पिछले 15 महीने में दिए गए पर्सनल लोन्स के आरबीआई आंकड़ों के अनुसार, कर्ज़ की सिर्फ एक श्रेणी ऐसी थी जिसका इस्तेमाल उपभोक्ताओं ने पहली लहर में किया, लेकिन दूसरी में नहीं किया और वो थी कंज़्यूमर ड्यूरेबल्स.

मार्च 2020 से मई 2021 बीच के बैंक कर्ज आंकड़ों से पता चलता है कि बैंकों के दिए कुल कर्ज़ों में दूसरी लहर (मार्च से मई) में गिरावट देखी गई. लेकिन दूसरी लहर में पर्सनल लोन्स में करीब 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पहली लहर (अप्रैल से सितंबर 2020) में ये लगभग 11 प्रतिशत थी.

केंद्रीय बैंक को उम्मीद है कि उसके द्वारा घोषित राहत उपायों, सरकार द्वारा उठाए गए क़दमों और देशभर में टीकाकरण की रफ्तार में तेज़ी से आर्थिक रिकवरी में सहायता मिलेगी, जिससे बैंक कर्ज़ों की मांग बढ़ सकती है.

आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, पर्सनल लोन पोर्टफोलियो में वृद्धि ऐसे समय देखने को मिल रही है, जब मार्च 2020 के बाद से होम लोन और शिक्षा लोन के लिए ब्याज दरों में एक प्रतिशत और वाहन कर्ज़ के लिए 50-70 बेसिस पॉइंट्स की गिरावट आई है.

Graphic: Ramandeep Kaur/ThePrint
रमनदीप कौर का चित्रण | दिप्रिंट

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महामारी के दौरान बनी रही पर्सनल लोन्स की मांग

पर्सनल लोन्स में शामिल हैं हाउसिंग लोन्स, शिक्षा लोन्स, वेहिकल लोन्स, क्रेडिट रिकार्ड बक़ाया, सोने के गहनों पर लोन्स, और कंज़्यूमर लोन्स आदि.

डाटा से पता चलता है कि 8 महीने के अंतराल के बाद, मई में हाउसिंग लोन्स में दोहरे अंकों की वृद्धि देखी गई. लेकिन, पिछले वर्ष की तुलना में होम लोन्स की ये वद्धि थोड़ी हल्की ही रही, जिससे संकेत मिलता है कि महामारी के कारण पैदा हुई अनिश्चितता में, उधार लेने वाले भी जोखिम उठाने से बच रहे हैं.

व्हीकल लोन्स में फिर तेज़ी से उछाल आया है, और ये पिछले साल के मुकाबले ज़्यादा तेज़ी से बढ़े हैं. गहने गिरवी रखकर कर्ज़ लेना भी उधार लेने वालों की पसंद रहा है, जो नौकरियां और आजीविका छूटने के बाद ख़र्च के लिए पैसा चाहते हैं.

‘अन्य पर्सनल लोन्स’ की श्रेणी- जिसमें मुख्यत: ऐसे कर्ज़ होते हैं जो बिना किसी तरह की ज़मानत के दिए जाते हैं, लेकिन जिन पर ब्याज दरें काफी ऊंची होती हैं- में भी लगातार वृद्धि देखी जा रही है, जिससे संकेत मिलता है कि बहुत से उधार लेने वालों ने, महामारी के दौरान पैसे की तात्कालिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए इस रास्ते का इस्तेमाल किया होगा.

Graphic: Ramandeep Kaur/ThePrint
रमनदीप कौर का चित्रण | दिप्रिंट
Graphic: Ramandeep Kaur/ThePrint
रमनदीप कौर का चित्रण | दिप्रिंट

केयर रेटिंग्स के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने इस ओर ध्यान आकर्षित किया कि बैंक पर्सनल लोन देने के ज़्यादा इच्छुक रहते हैं, क्योंकि वो छोटे होते हैं और उनमें जोखिम भी कम होता है. यही कारण है कि हाउसिंग लोन्स बढ़ रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि हो सकता है कि ऑटो लोन्स को, ग्रामीण मांग में हो रही वृद्धि से फायदा पहुंच रहा हो.

उन्होंने कहा, ‘सोने के गहने रखकर कर्ज़ लेने में आई तेज़ी निम्न आय वर्ग की निराशा को दर्शाती है, जहां लोग महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं’.

शिक्षा लोन्स में कमी

आरबीआई डाटा से पता चलता है कि एजुकेशन लोन एकमात्र कैटेगरी है, जिसमें कोविड-19 की पहली और दूसरी, दोनों लहरों के दौरान लगातार गिरावट देखी गई.

सबनवीस ने कहा, ‘शिक्षा लोन्स में सिकुड़न की मुख्य वजह शिक्षा संस्थाओं और यात्रा पर लगी पाबंदियां हो सकती हैं. बहुत से छात्र जिन्हें विदेशी यूनिवर्सिटीज में दाख़िले मिल गए थे, उन्होंने अपने कोर्स टाल दिए होंगे. इसने एजुकेशन लोन्स में आई सिकुड़न में एक बड़ा रोल अदा किया होगा’.

एक बैंकर जिनका मुख्यालय दिल्ली में स्थित है इस विचार से सहमत थे. नाम छिपाने की शर्त पर उस बैंकर ने कहा, ‘जो छात्र विदेशी यूनिवर्सिटीज में जाते हैं वो अपने कोर्सेज़ को फंड करने के लिए बैंकों से कर्ज़ लेते हैं. लेकिन पिछले साल ये बिल्कुल थम गया. इस साल इसमें कुछ गतिविधि हुई है, चूंकि यूनिवर्सिटीज धीरे-धीरे फिर से खुल रही हैं’.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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