नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि 12वीं के छात्रों को, नंबर्स की जगह ग्रेड्स देना, उन प्रस्तावों में से एक है जिन पर केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) इस साल 12वीं क्लास के नतीजों के लिए विचार कर रहा है.
पिछले महीने, देश में कोविड-19 की दूसरी प्रचंड लहर के चलते 2021 के लिए 12वीं क्लास की परीक्षाएं रद्द कर दी गईं थीं. ये तय किया गया था कि नतीजों का ऐलान एक ‘अच्छी तरह से परिभाषित’ मानदंड के आधार पर किया जाएगा.
शिक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि नतीजों का हिसाब लगाने के लिए, कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है, जिनमें इन्हें प्री-बोर्ड्स नतीजों और क्लास 11 व 10 के नंबरों पर आधारित करने का विकल्प भी शामिल है.
मंत्रालय सूत्रों ने कहा कि एक अन्य विकल्प ये है कि नतीजों को 10वीं क्लास के बोर्ड इम्तिहान और 11वीं क्लास के सभी इम्तिहानों पर आधारित किया जाए, जिनमें यूनिट टेस्ट, छमाही इम्तिहान और प्री-बोर्ड परीक्षा शामिल हों.
उन्होंने आगे कहा कि ये भी संभावना है कि इस वर्ष नंबरों की बजाय ग्रेड्स भी दिए जा सकते हैं.
एक मंत्रालय अधिकारी ने कहा, ‘चूंकि इस साल इम्तिहान नहीं हो रहे हैं इसलिए छात्रों को नंबर देना उचित नहीं होगा, और इसलिए कमेटी के साथ चर्चा के दौरान, नंबरों की बजाय ग्रेडिंग का सुझाव सामने आया.
उन्होंने आगे कहा कि ग्रेडिंग का सुझाव, स्कूल प्रिंसिपलों की भी समझ में आ रहा है.
सीबीएसई 10वीं क्लास के छात्रों को, ‘सतत और व्यापक मूल्यांकन’ नीति के आधार पर, ए1, ए, बी1, बी, सी1, सी, डी और ई जैसे ग्रेड्स दिया करता था. लेकिन, 10वीं क्लास के बोर्ड इम्तिहान फिर से शुरू होने के बाद उसे बंद कर दिया गया. अगर बोर्ड इस साल 12वीं के छात्रों को, ग्रेड्स देने का फैसला करता है, तो ग्रेडिंग का ऐसा ही तरीक़ा अपनाया जा सकता है.
दिप्रिंट ने सीबीएसई और शिक्षा मंत्रालय दोनों के प्रवक्ताओं से मैसेज तथा ईमेल के ज़रिए इस मामले में प्रतिक्रिया लेनी चाही, लेकिन इस ख़बर के छपने तक उनका कोई जवाब हासिल नहीं हुआ था.
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कमेटी ने तैयार किए सुझाव, सरकार करेगी फैसला
ये सुझाव एक कमेटी की ओर से पेश किए गए थे, जिसे सरकार ने 12वीं क्लास के परिणामों का मानदंड तैयार करने के लिए गठित किया था. अपेक्षा की जा रही है कि ये कमेटी, सोमवार को अपनी रिपोर्ट पेश कर सकती है, जिसके बाद सरकार सभी सुझावों पर ग़ौर करेगी और एक मानदंड तय करेगी, जिसके आधार पर स्कूल अपने नतीजे घोषित कर सकते हैं.
बोर्ड प्रतिनिधियों के साथ हुई एक बैठक में, कुछ स्कूल प्रिंसिपलों ने भी इसी तरह के सुझावों से सहमति दिखाई.
वडोदरा के एक स्कूल प्रिंसिपल ने, जो इस बैठक में मौजूद थे, दिप्रिंट से कहा, ‘हमने बोर्ड को अवगत करा दिया था कि सिर्फ 10वीं क्लास नहीं, बल्कि 11वीं क्लास के प्रदर्शन को ज़्यादा वज़न दिया जाना चाहिए, क्योंकि बहुत सारे विषय जो छात्र 12वीं क्लास में पढ़ते हैं, 11वीं क्लास जैसे ही होते हैं’.
दिल्ली से एक और प्रिंसिपल, जो बैठक में मौजूद थे, ने कहा, ‘अगर बोर्ड एक निष्पक्ष और न्यायपूर्ण मानदंड चाहता है, तो फिर 11वीं और 10वीं के नंबरों को शामिल करना ज़रूरी है, क्योंकि नतीजों को पूरी तरह 12वीं क्लास के प्री-बोर्ड्स नंबरों पर आधारित नहीं किया जा सकता’.
दोनों प्रिसिंपल्स अपने नाम नहीं बताना चाहते थे.
अपेक्षा की जा रही है कि बोर्ड जल्द ही एक अंतिम निर्णय का ऐलान कर देगा. पिछले सप्ताह उसने स्कूलों से कहा था, कि वो जून के अंत तक अपने आंतरिक और व्यावहारिक आंकलन पूरे कर लें, ताकि अंतिम परिणामों की तालिका तैयार की जा सके.
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