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Thursday, 25 April, 2024
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साल 2019-20 में ज्यादा संख्या में महिलाओं ने कराया उच्च शिक्षा में नामांकन: रिपोर्ट

सकल नामांकन अनुपात को बढ़ाना, नई शिक्षा नीति के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है. मोदी सरकार वर्ष 2035 तक इसे बढ़ाकर 50% तक ले जाना चाहती है.

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नई दिल्ली: भारत का सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) 2019-20 में बढ़कर 27.1 प्रतिशत हो गया, जो उससे एक साल पहले की अवधि में 26.3 प्रतिशत था. उच्च शिक्षा पर ताज़ा अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एआईएसएचई) 2019-20 में ये बात पता चली है.

उच्च शिक्षा के लिए जीईआर इंगित करती है कि 18 से 23 वर्ष की आयु के लोगों की आबादी में कितने प्रतिशत लोग कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ने जाते हैं.

शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने बृहस्पतिवार को ये सर्वे जारी किया. शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, ‘इस रिपोर्ट में देश के अंदर उच्च शिक्षा की वर्तमान स्थिति के प्रमुख प्रदर्शन संकेतक मुहैया कराए गए हैं’.

2019-20 में महिलाओं की जीईआर 27.3 प्रतिशत है, जबकि पुरुषों की 26.9 प्रतिशत है. इसका मतलब है कि भारत में पुरुषों की अपेक्षा योग्य महिलाओं की ज़्यादा संख्या कॉलेज और यूनिवर्सिटी जा रही है. 2019-20 में कुल नामांकन का लगभग 49 प्रतिशत महिला छात्राएं हैं.

सकल नामांकन अनुपात को बढ़ाना नई शिक्षा नीति (एनईपी) के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है. एनईपी में शामिल विभिन्न सुधारों के ज़रिए मोदी सरकार वर्ष 2035 तक इसे बढ़ाकर 50% तक ले जाना चाहती है.

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क्या दिखाता है सर्वे

2019-20 में उच्च शिक्षा में कुल नामांकन 3.85 करोड़ थे, जो वर्ष 2018-19 में 3.74 करोड़ थे, जिसमें 11.36 लाख (3.04 प्रतिशत) की वृद्धि देखी गई. 2014-15 में ये संख्या 3.42 करोड़ थी.

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की जीईआर वर्ष 2019-20 में 23.4 प्रतिशत और 18 प्रतिशत थी, जो 2018-19 के क्रमश: 23 प्रतिशत और 17.2 प्रतिशत से अधिक थी.

जीईआर के अलावा, लैंगिक समानता सूचकांक (जीपीआई) में भी जो उच्च शिक्षा में शिरकत कर रहे पुरुष और महिला छात्रों की तुलना होती है, मामूली वृद्धि दर्ज की गई.

2019-20 के लिए जीपीआई दर 1.01 प्रतिशत थी, जबकि 2018-19 में ये 1.0 प्रतिशत थी. वास्तव में इसका मतलब ये है कि देश में पुरुषों की अपेक्षा, ज़्यादा संख्या में योग्य महिलाएं उच्च शिक्षा में जा रही हैं.

पिछले पांच वर्षों में जीपीआई में ये वृद्धि लगातार देखी गई है. जहां 2015-16 में जीपीआई 0.92 प्रतिशत थी, लगातार वृद्धि दर्ज करते हुए 2019-20 तक ये 1.01 प्रतिशत तक पहुंच गई.

रिपोर्ट जारी करते हुए पोखरियाल ने कहा कि 2015-16 और 2019-20 के बीच छात्रों के नामांकन में 11.4 प्रतिशत का इज़ाफा हुआ है. उन्होंने कहा, ‘इस अवधि के दौरान उच्च शिक्षा में महिला नामांकन में 18.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई’.


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विषय-वार नामांकन

एआईएसएचई रिपोर्ट में कहा गया कि 2019-20 में अंडर ग्रेजुएट स्तर पर छात्रों का सबसे अधिक नामांकन, आर्ट्स/ह्यूमैनिटीज़/सोशल साइंसेज़ कोर्सेज़ में हुआ, जो 32.7 प्रतिशत था, जिसके बाद विज्ञान में 16 प्रतिशत, कॉमर्स में 14.9 प्रतिशत और इंजीनियरिंग व टेक्नोलॉजी में 12.6 प्रतिशत था.

पोस्टग्रेजुएट लेवल पर सबसे अधिक संख्या में छात्रों का नामांकन, सोशल साइंस स्ट्रीम में हुआ, जिसके बाद दूसरे नंबर पर साइंस थी.

पीएचडी लेवल पर सबसे ज़्यादा छात्र इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी स्ट्रीम में पंजीकृत हैं, जिसके बाद साइंस का नंबर है. पिछले पांच वर्षों में पीएचडी उम्मीदवारों की संख्या में भी 60 प्रतिशत का इज़ाफा हुआ है.

भारत में विदेशी छात्र

भारत में विदेशी छात्रों की संख्या के बारे में रिपोर्ट में कहा गया कि फिलहाल, उच्च शिक्षा के विभिन्न भारतीय संस्थानों में 49,348 विदेशी नागरिक पंजीकृत हैं.

एआईएसएचई रिपोर्ट में कहा गया, ‘दुनिया भर के करीब 168 अलग-अलग देशों से विदेशी छात्र पढ़ने आते हैं. विदेशी छात्रों का सबसे बड़ा हिस्सा पड़ोसी मुल्कों से आता है, जिनमें कुल संख्या का 28.1 प्रतिशत नेपाल से, उसके बाद 9.1 प्रतिशत अफगानिस्तान से, 4.6 प्रतिशत बांग्लादेश से और 3.8 प्रतिशत भूटान से आता है’.

उसमें आगे कहा गया, ‘छात्रों की संख्या के मामले में शीर्ष दस देशों में शामिल हैं- सूडान (3.6 प्रतिशत), अमेरिका (3.3 प्रतिशत), नाइजीरिया (3.1 प्रतिशत), यमन (2.9 प्रतिशत), मलेशिया (2.7 प्रतिशत) और संयुक्त अरब अमीरात (2.7 प्रतिशत)’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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