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Friday, 22 November, 2024
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कोविड संकट के बीच लद्दाख में डटे हुए हैं भारतीय सैनिक लेकिन निर्माण गतिविधियां जारी

वायरस सेना की संचालन क्षमताओं को प्रभावित न करे, इसके लिए उत्तरी कमांड ने सिलसिलेवार प्रोटोकॉल्स बनाए हैं.

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नई दिल्ली: इधर दूसरी कोविड लहर देश में तबाही मचा रही है, उधर सैनिक लद्दाख में डटे हुए हैं और चीनी गतिविधियों पर नज़र बनाए हैं, जिसके लिए वो ड्रोन्स और सेटेलाइट तस्वीरों के अलावा, फिज़िकल साधनों का सहारा ले रहे हैं. साथ ही दिप्रिंट को पता चला है कि सैनिकों की बढ़ी हुई संख्या और भविष्यों की ज़रूरतों के मद्देनज़र इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कई विकास कार्यों पर भी काम चल रहा है.

वायरस सेना की संचालन क्षमताओं को प्रभावित न करे, इसके लिए उत्तरी कमांड ने सिलसिलेवार प्रोटोकॉल्स बनाए हैं.

इस सब के दौरान चीनी सैनिकों ने पैंगांग त्सो से पीछे हटने के बाद गहराई के क्षेत्रों में अपनी काफी ताकत जमा की हुई है, जिसमें बख़्तरबंद कॉलम्स भी शामिल हैं.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों का कहना है कि दूसरी कोविड लहर का मतलब है कि अगले दो महीनों में भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की वार्ता की संभावना नहीं है. 11वें दौर की बातचीत 9 अप्रैल को हुई थी.

लेकिन जूनियर अधिकारी और स्थानीय टुकड़ियां हॉटलाइन्स के ज़रिए अपने चीनी समकक्षों से संपर्क बनाए हुए हैं.

फिलहाल, देपसांग, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स समेत, टकराव के चार बिंदुओं से पीछे हटने से पहले चीन तीव्रता को कम करना चाह रहा है. इसके अलावा दिप्रिंट को पता चला है कि चीन ये भी चाहता है कि गलवान के हिंसक टकराव के बाद, जिससे भारत में कुछ चीनी व्यवसायों का संचालन प्रभावित हुआ है, भारत अपनी आर्थिक आक्रामकता में थोड़ी नरमी ले आए.

सूत्रों ने कहा कि इसका संकेत सैन्य-स्तर पर नहीं बल्कि राजनयिक वार्ताओं में दिया गया, जो अभी तक हुई हैं.


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इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास पर जोर

ये समझाते हुए कि दूसरी कोविड लहर के बाद सैनिक खुद को कैसे संभाल रहे हैं, एक सूत्र ने कहा, ‘हमें खुद को दूसरी लहर से बचाना है. हालांकि लद्दाख में लगभग 100 प्रतिशत सैनिकों का टीकाकरण हो गया है लेकिन हम डटे हुए हैं, क्योंकि इस मोर्चे पर हम कोई मौका नहीं छोड़ सकते’.

मोर्चे पर जमे रहने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. इनमें गैर-आपातकालीन छुट्टियां रद्द करना, सैनिकों का सिर्फ ज़रूरी रोटेशन, सीमित गतिविधियां और जहां तक संभव हो नॉन-फिज़िकल मेल-मिलाप शामिल हैं.

लेकिन, सूत्रों ने कहा कि कोविड के बावजूद फिलहाल क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास की गतिविधियां जारी हैं. एक सूत्र ने कहा, ‘गर्मियों का मौसम वो समय होता है, जब हम इन्फ्रास्ट्रक्चर गतिविधियां कर पाते हैं. इन विकास कार्यों में, क्षेत्र में सैनिकों की बढ़ी हुई संख्या के लिए आवास और लॉजिस्टिक से जुड़े दूसरे काम भी शामिल होते हैं. परिवहन के भी कुछ चैनल्स होते हैं जिनकी मरम्मत या निर्माण करना होता है’.

12 अप्रैल को दिप्रिंट ने चीन के लिए गर्मियों की नई योजना की खबर दी थी, जिसमें कहा गया था कि भारत ने भले ही पिछले साल, जब संकट अपने चरम पर था, आगे भेजी गईं अपनी टुकड़ियों को पीछे बुला लिया हो लेकिन पिछली गर्मियों के मुकाबले उसकी रक्षा और युद्ध क्षमताओं में काफी वृद्धि हुई है.

एक अन्य सूत्र ने समझाया कि हालांकि चीनी सैनिक, पैंगांग त्सो और गलवान घाटी से पीछे हट गए हैं लेकिन अब वो वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से अप्रैल 2020 के मुकाबले कहीं ज़्यादा करीब हैं.

इसका मतलब है कि चीनी पहले के मुकाबले ज़्यादा तेज़ी से वापस आ सकते हैं. भारत को उसी हिसाब से अपना इन्फ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने की ज़रूरत है, ताकि भारतीय टुकड़ियां भी वही काम कर सकें.

मसलन, चीन अपने सैनिकों को पैंगांग त्सो के दक्षिणी किनारे से पीछे हटाकर, रुतॉग नामक जगह पर ले आया, जो एलएसी से करीब 70 किलोमीटर दूर है. चीनियों ने इस इलाके में अतिरिक्त आवास केंद्र बना लिए थे और इस इलाके में ज़मीन से हवा में मार करने वाला एक मिसाइल सिस्टम भी स्थापित कर लिया था.


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कोविड संकट के कारण चाइना स्टडी ग्रुप की अभी तक बैठक नहीं हुई

ये पूछने पर कि इसी महीने, कोर कमांडर स्तर की पिछले दौर की बातचीत के बाद क्या कोई गतिविधि हुई है, सूत्र ने कहा कि कोविड के प्रकोप की वजह से चीज़ों में देरी हो गई है.

ऐसा पता चला है कि चाइना स्टडी ग्रुप- चीन से जुड़ी नीतियों पर केंद्रीय और एकमात्र सलाहकार- औपचारिक रूप से नहीं मिला है क्योंकि फिलहाल सबकी तवज्जो कोविड की दूसरी लहर से निपटने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर है.

ऊपर हवाला दिए गए एक सूत्र ने कहा, ‘अगले दौर की वार्ता में समय लग सकता है. वो एक-दो महीने के बाद हो सकती है. लेकिन स्थानीय कमांडर्स हॉटलाइन के ज़रिए एक दूसरे से नियमित संपर्क बनाए हुए हैं.

सूत्रों ने बताया कि लद्दाख में सैनिक टुकड़ियां मानव-रहित हवाई विमानों और दूसरे साधनों की सहायता से लगातार निगरानी बनाए हुए हैं.

चीनी सेना के हालिया बयान के बारे में पूछने पर, जिसमें कहा गया था कि भारत को सीमावर्त्ती क्षेत्रों में तनाव कम होने के ‘मौजूदा सकारात्मक रुझान’ को संजोकर रखना चाहिए, अन्य सूत्रों ने कहा कि इसको, एक अलग नज़रिए से देखे जाने की ज़रूरत है.

एक तीसरे सूत्र ने कहा, ‘संजोने का मतलब ये नहीं है कि अब आगे कोई गतिविधि नहीं होगी. इसका मतलब है कि दोनों पक्षों ने कुछ हासिल किया है और उम्मीद है कि कुछ और अच्छी खबर सामने आएगी’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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