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Friday, 22 November, 2024
होमहेल्थकोविड के हल्के लक्षणों के लिए आयुर्वेद चिकित्सकों के पास जाएं, च्यवनप्राश और हल्दी दूध पीएं: नीति आयोग

कोविड के हल्के लक्षणों के लिए आयुर्वेद चिकित्सकों के पास जाएं, च्यवनप्राश और हल्दी दूध पीएं: नीति आयोग

नीति आयोग के डॉ वीके पॉल ने कई राज्यों में रेमडिसिविर की मांग की खबरों को ‘चिंताजनक’ बताया है और कहा है कि अगर ठीक से इस्तेमाल की जाए, तो इस दवा की कोई कमी नहीं है.

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नई दिल्ली: च्यवनप्राश और हल्दी दूध तथा काढ़ा (अलग-अलग घरेलू मसालों का मिश्रण) जैसे आयुर्वेदिक इम्यून वर्धक लीजिए, मंगलवार को ये कहा नीति आयोग सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल ने, जिन्होंने ये भी कहा कि हल्के कोविड लक्षणों वाले लोगों को आयुर्वेदिक चिकित्सकों के पास जाकर उनकी सलाह पर अमल करना चाहिए.

डॉ पॉल का बयान ऐसे दिन आया, जब देश में ताज़ा कोविड मामलों का आंकड़ा लगातार दूसरे दिन 1,60,000 को पार कर गया.

डॉ पॉल ने कहा, ‘महामारी के दौरान इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से आयुर्वेदिक उत्पाद अपनाने का निर्देश दिया गया है. आपको याद कराने के लिए विशेष सिफारिशें हैं, दिन में दो बार च्यवनप्राश, दिन में एक बार हल्दी दूध- ये पहले ही काफी लोकप्रिय है, जिसे और ज़्यादा लोकप्रिय होना चाहिए. तीसरी चीज़ है तुलसी, दालचीनी और काली मिर्च का काढ़ा, कृपया इन्हें इस्तेमाल करें. साथ ही योग भी करें’.

‘नेशनल टास्क फोर्स ने देखा है कि कोविड के बाद की जटिलताओं में, ये कितना काम करता है. उसके अलावा, अगर आपको कोविड है, तो कृपया आयुर्वेदाचार्यों से बात कीजिए और हल्के या बिना लक्षणों की बीमारी की स्थिति में, कृपया उनके निर्देशों का पालन कीजिए. इम्यून वर्धक सभी के लिए हैं’.

डॉ पॉल महामारी पर मोदी सरकार की फैसले लेने वाली बॉडी के एक अहम सदस्य हैं.

वैज्ञानिक समुदाय के बीच ‘इम्यूनिटी वर्धक’ काफी बहस का विषय रहे हैं. इसके अलावा, कोविड मरीज़ों में आयुर्वेदिक उपचारों के असर से जुड़ा कोई डेटा भी उपलब्ध नहीं है.

‘इम्यूनिटी वर्धक’ आयुष मंत्रालय की उस एडवाइज़री का भी हिस्सा थे, जो पिछले साल महामारी की शुरूआत में जारी की गई थी. बहुत से हलकों में उसकी आलोचना भी की गई थी.


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रेमडिसिविर से जुड़ी खबरें ‘चिंताजनक’

मोदी सरकार की ‘खोजी दवा’ रेमडिसिविर के निर्यात पर, पाबंदी लगाने के कुछ दिन बाद ही डॉ पॉल ने विभिन्न राज्यों से उठ रही, रेमडिसिविर की मांग को ‘चिंताजनक’ करार दिया.

डॉ पॉल ने कहा, ‘मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि किसी भी हालत में इसका इस्तेमाल घर के अंदर नहीं किया जाना है. कोविड-19 प्रबंधन प्रोटोकॉल में, इसे एक ‘खोजी दवा’ के तौर पर शामिल किया गया है. इसे अस्पताल के अंदर इस्तेमाल करना होता है, उन लोगों पर जो ऑक्सीजन पर हों. इसे मरीज़ को किसी केमिस्ट की दुकान से नहीं खरीदना है. जो कुछ हो रहा है, वो चिंताजनक है’.

डॉ पॉल और स्वास्थ्य सचिव दोनों ने कहा कि अगर ठीक से इस्तेमाल की जाए, तो इस दवा की कोई किल्लत नहीं है.

लेकिन, भूषण इस सवाल के जवाब को टाल गए कि ऐसी खबरें मिल रही हैं कि गुजरात में एक राजनीतिक पार्टी इस दवा को बांट रही है. हालांकि गुजरात उन सूबों में शामिल था, जिनको लेकर उन्होंने ‘चिंता’ का इज़हार किया था लेकिन उन्होंने शवदाहगृहों में बढ़ती भीड़ की कई खबरों पर कोई टिप्पणी नहीं की.


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चिंता वाले राज्य

जिन राज्यों के लिए ‘चिंता’ का इज़हार किया गया है, वो हैं गुजरात, दिल्ली, तमिलनाडु, हरियाणा और केरल. इनके अलावा तीन और प्रांतों- महाराष्ट्र, पंजाब और छत्तीसगढ़- में स्थिति गंभीर है.

बाद के तीन सूबों में, महाराष्ट्र में सकारात्मकता दर अब 24.66 प्रतिशत पहुंच गई है, जबकि वहां अभी तक आरटी-पीसीआर और एंटिजन जांच का 70-30 अनुपात हासिल नहीं हो पाया है, जिसे ‘आदर्श’ बताया जाता है.

लेकिन, तमिलनाडु भी सबसे अधिक प्रभावित सूबों में से एक है, जहां हमेशा एंटिजन से ज़्यादा आरटी-पीसीआर टेस्ट होते रहे हैं.


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‘वैक्सीन्स की कोई कमी नहीं’

भूषण ने कहा कि फिलहाल देश में कोविड वैक्सीन्स की कोई कमी नहीं है. उन्होंने कहा, ‘समस्या आपूर्ति की नहीं बल्कि योजना की है. हम बड़े राज्यों को चार दिन की सप्लाई दे रहे हैं और हर 4-5 दिन पर उन्हें और भेज देते हैं. छोटे राज्यों को 7-8 दिन की सप्लाई मिलती है, जिसे उस अवधि के बाद फिर भेज दिया जाता है. राज्य सरकारों को खुराकों की स्थिति दैनिक आधार पर देखनी चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे हम स्वास्थ्य मंत्रालय में हर रोज़ करते हैं’.

उन्होंने कहा कि राज्यों और केंद्र-शासित क्षेत्रों को अभी तक वैक्सीन के 13,10,90,370 डोज़ मिल चुके हैं, जिसमें अभी तक कुल उपयोग, जिसमें बरबादी भी शामिल है, 11,43,69,677 है. राज्यों और केंद्र-शासित क्षेत्रों के पास अभी, 1,67,20,693 डोज़ शेष बचे हुए हैं, और जो डोज़ राज्यों के लिए फिलहाल सप्लाई पाइपलाइन में हैं, उनकी संख्या 2,01,22,960 है.

अभी तक, देश भर में दिए जा चुके कुल टीकों की संख्या 10,85,33,085 है. पिछले 24 घंटों में 40,04,521 टीके लगाए गए.

डॉ पॉल ने, जो कोविड-19 पर नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन (एनईजीवीएसी) के प्रमुख भी हैं, कहा कि विदेशों में निर्मित उन वैक्सीन्स को स्थानीय क्लीनिकल ट्रायल की ज़रूरत से छूट देने के फैसले से, जिन्हें यूएसएफडीए, ईएमए, यूके एमएचआरए, पीएमडीए जापान से नियामक मंजूरियां मिल चुकी हैं, वैक्सीन सप्लाई की स्थिति में सुधार आएगा. उन्होंने ये भी कहा कि जिन पहले 100 लोगों को वैक्सीन दी जाएगी, उनपर एक हफ्ते तक नज़र रखी जाएगी.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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