नई दिल्ली: हरियाणा में रविवार को एक अन्य नेता के पार्टी छोड़ देने के बाद भाजपा अब पार्टी में बढ़ते असंतोष से निपटने की योजना बना रही है, खासकर हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट बहुल जिलों में.
भाजपा नेताओं ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी ने अपने जाट और ग्राम पंचायत नेताओं को खाप सदस्यों से मिलने और संकट को सुलझाने की प्रक्रिया में उन्हें शामिल करने को कहा है. पार्टी ने ये बैठकें लो-प्रोफाइल ही रखने को कहा है.
भाजपा ने खाप नेताओं से बातचीत करने के लिए हरियाणा के हर मंडल में समितियों का गठन किया है.
नाम न छापने की शर्त पर हरियाणा के एक भाजपा सांसद ने कहा, ‘हमने अपनी पार्टी के जाट नेताओं और खापों के प्रभावशाली नेताओं से अपने सदस्यों से मिलने और उन्हें मनाने के काम में शामिल करने का फैसला किया है, क्योंकि कई जगहों पर खापों ने भाजपा नेताओं के बहिष्कार का संकल्प लिया है.’
सांसद ने कहा, ‘भाजपा नेताओं से कहा गया है कि वे पूर्व सूचना के बिना खाप पंचायत नेताओं से मिलने पहुंचें और इसमें गैर-राजनीतिक, सामाजिक नेताओं को भी शामिल करें. (राकेश) टिकैत वाली घटना के बाद, सोनीपत, पानीपत और रोहतक में दिक्कतें बढ़ने के आसार हैं. इसलिए, पार्टी नेताओं से कहा गया है कि वे सेवानिवृत्त सैन्य कर्मियों, प्रोफेसरों, आध्यात्मिक गुरुओं से मिलें और जाट नेताओं से संपर्क साधने में उनकी मदद लें.’
पार्टी सूत्रों ने बताया कि रविवार को गुरुग्राम में हुई हरियाणा भाजपा के कोर ग्रुप की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई. बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने हिस्सा लिया.
बैठक में भाजपा के कई सदस्यों ने जाट बहुल इलाकों में पार्टी के खिलाफ बढ़ते असंतोष और विरोध का मुद्दा उठाया, खासकर किसान नेता राकेश टिकैत के गाजीपुर सीमा पर भाषण देने के बाद.
जाटों की तरफ से बढ़ते दबाव के बीच इन सदस्यों ने समुदाय की नाराजगी से केंद्र को अवगत कराने और उससे गतिरोध खत्म करने के लिए तत्काल कुछ कदम उठाने का आग्रह करने का फैसला किया.
इसके बाद खट्टर ने सोमवार को दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, रेल मंत्री पीयूष गोयल और अन्य केंद्रीय नेताओं से मुलाकात की.
पिछले एक हफ्ते में हरियाणा के दो पूर्व विधायकों ने पार्टी छोड़ी है. रामपाल माजरा ने जहां 26 जनवरी की हिंसा के बाद पार्टी छोड़ी थी वहीं, बलवान सिंह दौलतपुरिया ने रविवार को इस्तीफा दे दिया. उन्होंने दावा किया कि खाप पंचायत ने उन्हें किसानों के समर्थन में आने के लिए कहा था.
ये दोनों नेता 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले इनेलो से भाजपा में शामिल हुए थे.
पिछले 3-4 महीनों में हरियाणा के 10 से अधिक भाजपा नेता कृषि कानूनों के विरोध में पार्टी छोड़ चुके हैं.
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‘समाज के एक बड़े हिस्से को अलग-थलग कर दिया’
भिवानी से भाजपा सांसद धर्मबीर सिंह ने दिप्रिंट से कहा कि ‘स्थिति तनावपूर्ण है.’
उन्होंने कहा, ‘खापों ने भाजपा नेताओं के बहिष्कार का आह्वान किया है. इससे पहले, किसानों ने हमारे नेताओं के बहिष्कार का आह्वान किया था. तनाव घटाने की हमारी कोशिशें दरअसल काम नहीं कर रही हैं. जाट समुदाय के बीच बढ़ते असंतोष को खत्म करने के लिए केंद्र को दखल देना होगा. हम किसानों के लिए बजट में किए गए प्रावधान को समझाने के लिए छोटे-छोटे समूहों में गांवों के लोगों से मिलेंगे. फिर देखते हैं कि क्या असर होता है.’
हरियाणा की पूर्व भाजपा सांसद सुधा यादव ने दिप्रिंट को बताया कि कृषि कानूनों के विरोध में रेवाड़ी में पिछले दो महीनों से खाप सदस्यों की तरफ से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था. लेकिन कुछ स्थानीय नागरिक समूहों के दखल के बाद विरोध-प्रदर्शन स्थल राजस्थान सीमा पर स्थानांतरित कर दिया गया.
उन्होंने कहा, ‘इस तरह के और प्रयास भी हो रहे हैं लेकिन स्थिति तभी सामान्य होगी, जब केंद्र की तरफ से किसानों को संतुष्ट करने का कोई रास्ता निकाला जाएगा.’
रविवार को कोर ग्रुप की बैठक में मौजूद रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता और हरियाणा के सांसद ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमने इन 3-4 महीनों में समाज के एक बड़े हिस्से को अलग-थलग कर दिया है.’
नाम न छापने की शर्त पर उक्त नेता ने कहा, ‘जाटों के बारे में भूल जाइये, ये विरोध जातिगत भावनाओं से परे है. कांग्रेस फ्रंट और बैक दोनों ही तरह से काम कर रही है, और हर पार्टी स्थिति का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रही है. यहां, हर जाति किसानों के विरोध प्रदर्शन में भाग ले रही है. हमने एकमात्र अक्लमंदी यह की है कि उत्तर प्रदेश के विपरीत (जहां टिकैत की गिरफ्तारी के लिए पुलिस भेजी गई थी), हमने (हरियाणा सरकार ने) भावनाएं और भड़काने के लिए बॉर्डर पर सुरक्षाबल नहीं भेजे हैं.’
‘हरियाणा में गैर-जाट सीएम होने से भाजपा को नुकसान हो रहा’
उक्त भाजपा सांसद ने आगे कहा, ‘हरियाणा में पहली बार एक गैर-जाट नेता का मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन होना भाजपा को नुकसान पहुंचा रहा है, इसके अलावा हमारे पर कोई सशक्त जाट नेता नहीं है और न ही ऐसे किसी नेता को तैयार किया है.’
उन्होंने कहा, ‘अर्थव्यवस्था की वजह से बहुसंख्यक समुदाय बनाम बाकी समुदाय यहां काम नहीं करता है और इस मुद्दे पर हर किसान एकजुट है. मुख्यमंत्री कई बार कह चुके हैं कि मैं क्या कर सकता हूं? यह केंद्र का काम है.’
सांसद ने बताया, ‘हमने 26 जनवरी की घटना के बाद हमने हरियाणा के 14 जिलों में तिरंगा यात्रा का आयोजन किया था लेकिन इस पर कोई अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली और किसानों की एकता पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा.’
इस बीच, टिकैत के भाषण के बाद पश्चिमी यूपी में मुजफ्फरनगर से बागपत तक किसान पंचायतों और खाप पंचायतों ने किसानों के विरोध को अपना समर्थन दे दिया है.
यहां भी भाजपा के जिला अध्यक्षों, विधायकों और सांसदों से कहा गया है कि वे छोटे-छोटे समूहों में खाप नेताओं से मिलें ताकि उन्हें अपने समुदाय की नाराजगी घटाने की कोशिश में साथ लिया जा सके. लेकिन कुछ सांसदों ने ऐसी कोशिशों को लेकर अनिच्छा जताई है.
अपना नाम छापे जाने के अनिच्छुक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक सांसद ने कहा, ‘ताकत दिखाने की रणनीति काम नहीं करेंगी बल्कि इससे उनकी एकजुटता और मजबूत ही होगी. एक तरफ, हम प्रदर्शनस्थलों की किलाबंदी कर रहे हैं और गलत संकेत भेज रहे हैं और दूसरी तरफ, हम कह रहे हैं कि बातचीत के लिए तैयार हैं. दोनों बातें एक साथ काम नहीं कर सकती.’
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