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Wednesday, 20 November, 2024
होमहेल्थकोविड अस्पताल के वार्डों की हवा में तैर रहा है कोरोनावायरस-CSIR-CCMB के अध्ययन में दावा

कोविड अस्पताल के वार्डों की हवा में तैर रहा है कोरोनावायरस-CSIR-CCMB के अध्ययन में दावा

हैदराबाद और चंडीगढ़ के अस्पतालों में काम कर रहे वैज्ञानिकों ने वार्ड में मौजूद हवा के नमूना का उपयोग किया जो वायरस कणों को इकट्ठा कर सकता है, और फिर आरटी-पीसीआर का उपयोग करके उनकी मौजूदगी को देखा.

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हैदराबाद: सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) और सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोब टेक्नोलॉजी (आईएमटेक) के एक अध्ययन के अनुसार, कोविड अस्पताल के वार्डों की हवा के नमूनों में नोवेल कोरोनावायरस पाया गया है, जो अस्थायी रूप से वायु-जनित हो सकता है.

अध्ययन, जिसका अभी पीर-रिव्यू किया जाना बाकी है, में पाया गया कि वायरस विशेष रूप से गैर-कोविड वार्डों की तुलना में अस्पतालों के कोविड वार्ड में हवा के नमूनों में मौजूद था. सीसीएमबी के एक बयान में कहा गया है कि वायरस दो घंटे से अधिक समय तक हवा में पाया गया.

बयान में कहा गया कि हवा में सार्स-कोव-2 की मौजूदगी की संभावना सीधे तौर पर कमरे में कोविड पॉजिटिव मरीजों की संख्या, उनके सिमप्टम की स्थिति और उनके वहां मौजूद रहने की अवधि से संबंधित है.

अध्ययन के अनुसार, जब कोविड संक्रमित मरीज एक कमरे में अधिक समय बिताते हैं, तो वायरस दो घंटे से भी अधिक समय तक हवा में पाया जाता है, यहां तक कि वह उनके बैठने की जगह से दो मीटर दूर तक पहुंच जाता है.

लेकिन एसिमप्टमैटिक मरीजों के मामले में अध्ययन से पता चला कि वायरस ज्यादा दूर तक नहीं फैलता है, अगर उन्हें ऐसे कमरे में बैठाया गया हो जहां एसी या पंखे की हवा न हो.

सीसीएमबी के मुताबिक, हवा के नमूनों में वायरस की मौजूदगी का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने हैदराबाद और चंडीगढ़ के तीन अस्पतालों में अध्ययन किया. उन्होंने एक एयर सैंपलर का इस्तेमाल किया जो वायरस के कणों को एकत्र कर सकता था और फिर आरटी-पीसीआर का उपयोग करके उनकी मौजूदगी के बारे में अध्ययन किया.


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‘सोशल वैक्सीन सबसे अच्छी रोकथाम’

बयान में सीसीएमबी के निदेशक राकेश मिश्रा ने कहा कि अध्ययन के नतीजे कोविड पर काबू पाने के लिए पहले से ही लागू सुरक्षात्मक उपायों संबंधी दिशानिर्देशों की अहमियत को बताते हैं.

उन्होंने कहा, ‘इन सभी निष्कर्षों से पता चलता है कि कोरोनावायरस कुछ समय के लिए हवा में रह सकता है…अगर हम यह सुनिश्चित करते हैं कि हाथ धोने, सही तरीके से मास्क का उपयोग करने और सिमप्टमैटिक लोगों को भीड़भाड़ से दूर रखने जैसे स्वच्छता संबंधी प्रोटोकॉल का पालन करते रहेंगे तो नई परिस्थितियों के मुताबिक सामान्य स्थिति में लौटना शुरू कर सकते हैं.’

मिश्रा ने कहा, ‘पॉजिटिव मामलों का पता लगाने और उन्हें आइसोलेट करने में देरी न करने से घर-परिवार के अन्य लोगों के बीच संक्रमण रोकने में मदद मिल सकती है.’

मिश्रा ने दिप्रिंट को पूर्व में दिए साक्षात्कार में इस बात पर जोर दिया था कि कैसे भारत में देश के भीतर ही कोविड का एक नया वैरिएंट सामने आने का खतरा बना हुआ है क्योंकि यह संक्रमितों की संख्या के लिहाज से दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है.

उन्होंने पिछले सप्ताह दिप्रिंट से बातचीत में कहा था, ‘यदि हमारे यहां नया वैरिएंट आता है तो पता नहीं अच्छा होगा या खराब या फिर कितनी बड़ी समस्या का कारण बनेगा और पुन: संक्रमण भी शुरू हो सकता है.’

अध्ययन में यह भी बताया गया है कि कोविड वार्ड और सिमप्टमैटिक मरीजों के आसपास वायरस की मौजूदगी पाए जाने के मद्देनजर अस्पतालों में कोविड जोन का सीमांकन कैसे एक प्रभावी रणनीति बन सकता है.

आईएमटेक के निदेशक डॉ. संजीव खोसला ने कहा, ‘टीके उपलब्ध होने तक सोशल वैक्सीन यानी मास्क पहनना बचाव का सबसे कारगर उपाय है.’


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