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Friday, 22 November, 2024
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डॉक्टर, आईआईटियन, वकील–भाजपा ने बंगाल में पेशेवरों की फौज खड़ी कर चुनाव से पहले बड़ी जिम्मेदारी सौंपी

भाजपा ने डॉक्टरों, आईआईटी स्नातकों, प्रोफेसरों और वकीलों जैसे पेशेवरों को सड़कों पर लोगों से मिलने और राज्य को लेकर उनकी उम्मीदों के बारे में फीडबैक लेने का जिम्मा सौंपा है.

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नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को नए साल की अपनी शीर्ष प्राथमिकता में शामिल माने जाने के बीच भाजपा ने पूरे जोरशोर से इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं.

पार्टी अपने घोषणापत्र पर विशेष जोर दे रही है और इसके लिए 20 सदस्यीय समिति का गठन भी किया जा चुका है. इस समिति ने अब तक तीन बैठकें की हैं.

हालांकि, भाजपा ने पूरी प्रक्रिया एकदम बेहतरीन बनाने के लिए डॉक्टरों, आईआईटी स्नातकों, प्रोफेसरों और वकीलों और यहां तक कि एक स्ट्रीट प्ले ग्रुप जैसे 70-100 पेशेवरों को भी इसका हिस्सा बनाया है. पेशेवरों को सड़कों पर लोगों से मिलने और राज्य को लेकर उनकी उम्मीदों के बारे में फीडबैक लेने का जिम्मा सौंपा गया है.

वे सभी ‘प्रोफेशनल्स फॉर बंगाल’ नामक संगठन के तहत काम कर रहे हैं जिसका गठन भाजपा ने चुनावों के लिए ही किया है.

प्रोफेशनल्स फॉर बंगाल ग्रुप चला रहे भाजपा के राष्ट्रीय सचिव अनुपम हाजरा ने कहा, ‘हम आम लोगों की समस्याओं और ममता बनर्जी सरकार से पूरी नहीं हो पाई उनकी आकांक्षाओं के बारे में सटीक फीडबैक और सुझाव चाहते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘पेशेवरों के समूह में वकील, डॉक्टर, प्रोफेसर और आईआईटियन शामिल हैं जो न केवल अपने पेशे से जुड़े लोगों बल्कि आम जनता से भी मिल रहे हैं ताकि उनका मूड भांपा जा सके, साथ ही घोषणापत्र में शामिल किए जाने के लिए राजनीतिक सुझाव भी मिल सकें. हमारा समूह भाजपा के झंडे बिना अनौपचारिक तरीके से लोगों से मिल रहा है क्योंकि जब आप किसी पार्टी के बैनर तले सुझाव लेते हैं, तो लोग ध्रुवीकरण की स्थिति के कारण ईमानदार राय नहीं देते. टीएमसी को लेकर दहशत का माहौल भी है.’

हाजरा के अनुसार, पेशेवर किसी भी नुक्कड़-चौराहे पर शाम की चाय के वक्त लोगों से मिलते हैं और उनकी चिंताओं के बारे में जानकारी लेते हैं.


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भाजपा ने 2018 का समूह सक्रिय किया

बंगाल बचाओ समूह नामक एक अन्य संगठन भी भाजपा के लिए फीडबैक जुटाने के काम में लगा है, जिसका गठन 2018 में भाजपा के संयुक्त महासचिव और आरएसएस के पूर्व सदस्य शिवप्रकाश ने किया था.

अब इसे भाजपा बौद्धिक प्रकोष्ठ के पूर्व सदस्य और पेशे से इंजीनियर अनिमेष बिस्वास संचालित कर रहे हैं.

बिस्वास के अनुसार, हर जिले में समूह की एक इकाई है और यह आईआईटी खड़गपुर और आईआईएम कोलकाता के छात्रों समेत करीब 12,000 पेशेवरों का एक मजबूत नेटवर्क है.

बिस्वास ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम जमीनी स्तर पर सुझाव जुटा रहे हैं क्योंकि हमारे पास डॉक्टरों व इंजीनियरों समेत कॉलेजों में एक बड़ा नेटवर्क है. वे बैठकें कर रहे हैं और बहुत सारे सुझाव भेज रहे हैं, जिन्हें हम घोषणापत्र समिति को भेजेंगे. भ्रष्टाचार मुक्त रोजगार के अवसर, नौकरियों का सृजन और कॉलेजों में प्रवेश आदि ऐसे सुझाव हैं जो हमें बड़ी संख्या में मिले हैं.’

हाजरा ने कहा कि एक समर्पित नुक्कड़ नाटक समूह भी घोषणापत्र समिति की मदद करेगा. उन्होंने कहा, ‘आमतौर पर लोग ममता के बारे में आसानी से खुलते नहीं हैं. हमने इन समूहों को हल्की-फुल्की बातचीत वाले माहौल में फीडबैक हासिल करने की जिम्मेदारी सौंपी है.

चुनाव में औद्योगिकीकरण, कानून व्यवस्था, सुशासन पर जोर

भाजपा घोषणापत्र समिति ने औद्योगीकरण, कानून-व्यवस्था और सुशासन तीन ऐसे प्रमुख क्षेत्र चुने हैं जिन पर पार्टी का चुनाव अभियान केंद्रित रहेगा.

बांकुड़ा के सांसद और घोषणापत्र समिति के सदस्य सुभाष सरकार ने कहा, ‘जिस एक प्रमुख क्षेत्र पर हमारा फोकस है वह है रोजगार सृजन. ममता सरकार बंगाल में रोजगार देने में नाकाम रही है और बंगाल में उद्योग बचे ही नहीं हैं. हम सरकारी और निजी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में नौकरियों का वादा करेंगे. हमने सरकारी विभागों में रिक्त पदों का डाटा भी जुटाया है और यह एक बड़ी संख्या है—20 लाख से अधिक.’

सरकार ने कहा कि घोषणापत्र राज्य में निजी क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के प्रयासों का वादा भी करेगा. साथ ही जोड़ा, ‘एक अन्य बात पर खास फोकस रहेगा कि उद्योगों को कैसे प्रोत्साहन दिया जा सकता है और राज्य में निवेश के अनुकूल माहौल कैसे बनाया जा सकता है. स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में बुनियादी ढांचा मजबूत करना भी एक अन्य बड़ी प्राथमिकता है जिस पर हमने काफी लंबी चर्चा की है.’

हाजरा ने कहा कि पार्टी बेहतर पुलिस तंत्र, एफआईआर के समय पर निपटारे, महिलाओं की रक्षा और सुरक्षा का भी वादा करेगी. उन्होंने कहा, ‘हम कुछ इस तरह की व्यवस्था चाहते हैं कि किसी भी सरकार में पुलिस राजनीतिक दलों के इशारे पर कार्रवाई न करे. हम चर्चा कर रहे हैं कि ऐसी व्यवस्था के लिए कैसा ढांचा बनाया जा सकता है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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