नई दिल्ली/श्रीनगर: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जम्मू-कश्मीर में होने जा रहे जिला विकास परिषद (डीडीसी), शहरी स्थानीय निकाय और पंचायत चुनावों में प्रचार के लिए केंद्रीय मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं की पूरी टीम को तैनात कर रही है.
डीडीसी के चुनाव 20 जिलों में 280 सदस्यों के निर्वाचन के लिए नवंबर-दिसंबर में ही होने जा रहे हैं. इसके साथ ही स्थानीय निकाय और पंचायत की सीटों के लिए उपचुनाव भी होने हैं, जो 2018 के चुनावों में मुख्य क्षेत्रीय दलों के बहिष्कार के कारण नहीं हो पाए थे.
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के 19 नवंबर को कुपवाड़ा में एक चुनावी सभा को संबोधित करने और राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन के शुक्रवार को श्रीनगर दौरे के साथ भाजपा का प्रचार अभियान पहले ही शुरू हो गया है. अन्य नेताओं के अलावा केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह (जम्मू-कश्मीर में उधमपुर से सांसद), स्मृति ईरानी, कृष्ण पाल गुर्जर, रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और अनुराग ठाकुर और राज्यसभा सांसद जफर इस्लाम आदि प्रचार अभियान का हिस्सा बन सकते हैं.
भाजपा ने यहां के कुछ समुदायों के बीच पैठ बनाने का भी फैसला किया है. दक्षिणी दिल्ली के सांसद और ‘गुर्जर’ समुदाय के एक प्रमुख नेता रमेश बिधूड़ी पिछले चार दिनों से जम्मू में डेरा डाले हैं और प्रचार के जरिये बकरवाल समुदाय का समर्थन हासिल करने में जुटे हैं.
घुमंतू बकरवाल समुदाय हाल में जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा चलाए गए अतिक्रमण विरोधी अभियान से खासा नाराज है क्योंकि कश्मीर घाटी के अनंतनाग जिले के पहलगाम क्षेत्र में गुर्जरों के साथ-साथ इन लोगों के भी अस्थायी घरों को ढहा दिया गया. अधिकारियों का दावा है कि इन लोगों ने अवैध रूप से वन भूमि पर कब्जा कर रखा था.
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार गुर्जरों और बकरवालों के पास कोई रास्ता नहीं छोड़ रही है. लेकिन दिप्रिंट से बात करते हुए बिधूड़ी ने कहा, ‘यह महबूबा मुफ्ती की नौटंकी के अलावा कुछ नहीं, जो इस मौके का इस्तेमाल एक झूठी अवधारणा गढ़ने में करना चाहती है.’
बिधूड़ी, जिनकी श्रीनगर जाने की भी तैयारी है, ने कहा, ‘यह अभियान (गुर्जर-बकरवाल के घरों को ढहाया जाना) अवैध है और किसी को भी उनके घरों से नहीं हटाया जाएगा. बल्कि, सरकार ने पहले ही इसके लिए एक कानून बनाया है और उन्हें उसी जगह पर पक्के मकान दिए जाएंगे. इसके अलावा यह मुद्दा केवल श्रीनगर के कुछ जिलों में सामने आया है, न कि जम्मू में.
डीडीसी चुनावों पर, बिधूड़ी ने कहा, ‘हम पूरी तरह आश्वस्त हैं. मैं पिछले चार दिनों से यहां हूं और कई पंचायतों का दौरा कर चुका हूं और लोग मोदी सरकार के काम से खुश हैं.
उन्होंने कहा, ‘अनुच्छेद 370 खत्म होने से पहले गरीब और पिछड़े समुदाय के लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा था. गुर्जर-बकरवाला आरक्षण से वंचित थे. हमारी सरकार ने अनुच्छेद 370 खत्म कर जरूरतमंद लोगों के सभी अधिकार सुनिश्चित किए हैं और किसी भी ‘गठबंधन’ को लोगों के ये अधिकार छीनने नहीं दिए जाएंगे.’
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‘रोड शो, डिजिटल रैलियां, सोशल मीडिया अभियान’
डीडीसी चुनाव इस लिहाज से बेहद अहम माने जा रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने और पूर्व राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटे जाने के बाद यह पहला कोई चुनाव होगा.
भाजपा लगता है कि दो नीतियों पर काम कर रही है, एक जम्मू के लिए और दूसरी कश्मीर के लिए. जम्मू में, ‘राष्ट्र-विरोधी’ और ‘जन-विरोधी’ वाली टिप्पणियों के साथ इसने पहले ही पीपुल्स एलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है, जो कि राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों का एक समूह है जिसमें नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) शामिल हैं. भाकपा और माकपा जैसे राष्ट्रीय दल भी पीएडीजी का हिस्सा हैं.
वहीं, कश्मीर में भाजपा की रणनीति मोदी सरकार की विभिन्न ‘जनकल्याण’ नीतियों को भुनाने की है.
कश्मीर में मीडिया प्रभारी मंजूर भट ने कहा, ‘भाजपा ने रोड शो, डिजिटल रैलियों और डोर-टू-डोर अभियान के साथ सोशल मीडिया कैंपेन की योजना बनाई है. पार्टी के सोशल मीडिया कंटेंट की निगरानी के लिए करीब 900 लोगों की 20 टीमें, हर जिले में एक बनाई गई हैं.’
जम्मू-कश्मीर के भाजपा प्रमुख रविंदर रैना भी सोशल मीडिया पर डिजिटल रैलियों के जरिये क्षेत्र के लोगों को संबोधित करेंगे.
भट ने दिप्रिंट को बताया, ‘लोगों को वंशवादी पार्टियों की तरफ से किए गए भ्रष्टाचार के बारे में जागरूक करने के साथ भाजपा भूमि कानूनों को लेकर पीएजीडी की तरफ से किए जा रहे दुष्प्रचार को भी खत्म करेगी. हम लोगों को विश्वास दिलाएंगे कि उनकी जमीन नहीं छीनी जाएगी.’
उन्होंने कहा, ‘यदि कोई निवेश करना चाहता है तो हम रोक नहीं सकते. यह कश्मीर के लिए अच्छा ही है. हम रोजगार के अवसर प्रदान करने और जमीनी स्तर पर लोकतंत्र और जवाबदेही को सुदृढ़ करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में भी बात करेंगे.’
जम्मू में रहने वाले जम्मू-कश्मीर भाजपा के आईटी और सोशल मीडिया प्रमुख जयदेव राजवाल ने कहा कि पिछले 9 वर्षों में बनाए गए ‘9,000 व्हाट्सएप ग्रुप’ का इस्तेमाल पार्टी के संदेशों को प्रसारित करने के लिए किया जाएगा.
राजवाल ने यह भी दावा किया कि यह चुनाव राष्ट्रवादियों और राष्ट्रविरोधियों के बीच लड़ा जा रहा है.
राजवाल ने कहा, ‘पीएजीडी से बेहतर तो सैयद अली शाह गिलानी है. कम से कम वह कहते तो हैं कि पाकिस्तान चाहते हैं. ये लोग कश्मीर में चीन के हस्तक्षेप की बात करते हैं. गुपकर गैंग लोगों को सिर्फ धोखा दे रहा है और हम उन्हें इस बार बुरी तरह बेनकाब कर देंगे. हम जम्मू में उनका सूपड़ा साफ करेंगे और कश्मीर में भी बहुत अच्छा प्रदर्शन करेंगे.’
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‘गुपकर गठबंधन एक निरर्थक प्रयास’
भाजपा ने बूथ स्तर के काम पर ध्यान केंद्रित करना शुरू किया है और कोविड-19 महामारी से निपटने के अपने प्रयासों को भी रेखांकित कर रही है.
नाम न बताने की शर्त पर भाजपा के एक नेता ने कहा, ‘लोग हमें बता रहे हैं कि उन्हें राशन मिला, महिलाओं को 500 रुपये मिले, जिससे उन्हें इस महामारी के दौरान काफी मदद मिली. बिहार की तरह ही यहां भी प्रधानमंत्री मोदी को लोग पसंद करते हैं और हम अच्छे प्रदर्शन के लिए पूरी तरह आश्वस्त हैं.’
जम्मू-कश्मीर में भाजपा के सह-प्रभारी आशीष सूद ने कहा कि गुपकर गठबंधन एक ‘निरर्थक प्रयास’ है.
सूद ने कहा, ‘गुपकर गैंग लोगों को गुमराह करने और उनके बीच भय और भ्रम की स्थिति पैदा करने की कोशिश के अलावा कुछ नहीं कर रहा है. लेकिन लोग इसके बहकावे में आने वाले नहीं हैं. गुपकर गिरोह केवल ट्विटर और उनके आधिकारिक पेज पर ही चल रहा है.’
उन्होंने कहा, ‘देश उन लोगों को स्वीकार करने नहीं जा रहा जो राष्ट्र को अस्थिर करने के लिए चीन की मदद लेने की कोशिश करते हैं. हम इन चुनावों को विकास के मुद्दे और मोदी सरकार के कामकाज के आधार पर लड़ रहे हैं.’
भाजपा के वरिष्ठ नेता विक्रम रंधावा ने कहा कि पीएजीडी के घटकों ने वर्षों तक ‘जम्मू-कश्मीर के लोगों की रगों में जहर घोला है.’
उन्होंने कहा, ‘हम यहां के लोगों के घाव भरना चाहते हैं. हम बताएंगे कि वर्तमान सरकार के तहत देश में कहीं भी कोई दंगा नहीं हुआ. कश्मीर में कोई पथराव नहीं हुआ. अब जम्मू-कश्मीर कितना शांत है. यह सब जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए मोदी सरकार की प्रतिबद्धता का परिणाम है.’
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