लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर खुद को साबित कर दिया है. हाथरस कांड के दौरान हुई सरकार की किरकिरी और ब्राह्मणों की नाराजगी को लेकर तैयार हो रहे माहौल के बीच एक वक्त पर बेहद कठिन दिख रहे इन उपचुनाव को योगी व उनकी टीम ने अपनी स्ट्रैटेजी के तहत पार कर लिया है और खुद को एक सुलझा हुआ प्रशासक साबित कर दिया है.
यूपी में सात सीटों पर हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 6 सीटें जीती हैं, इसके बाद योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी ने प्रदेश में अपनी मजबूती दिखा दी है.
उपचुनाव जीतना बीजेपी के लिए आसान नहीं था. हर एक सीट के लिए योगी आदित्यनाथ ने रणनीति तैयार की और मंत्रिमंडल के मंत्रियों को काम पर लगाया गया, उन्हें कैंप करने को कहा गया. सीएम जब बिहार में चुनाव प्रचार कर रहे थे तो दोनों डिप्टी सीएम इन इलाकों में मुस्तैद थे. योगी आदित्यनाथ ने खुद हर सीट पर रैली की.
बीजेपी से जुड़े सूत्रों की मानें तो इस बात का अंदाजा चुनाव से 20 दिन पहले ही हो गया था कि उपचुनाव में अखिलेश यादव, मायावती व प्रियंका गांधी एक भी रैली नहीं करेंगे. ऐसे में बीजेपी ने अपने नेताओं की एक्टिवनेस इन सीटों पर बढ़ा दी.
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टिकट बंटवारे से लेकर कैंपेनिंग तक में योगी
योगी ने उपचुनाव में मुख्य-चुनाव की तरह ही काम किया. टिकट बंटवारे से लेकर कैंपेन की प्लानिंग तक को योगी ने लीड किया. चुनाव की मॉनिटरिंग बीजेपी के संगठन मंत्री सुनील बंसल व प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने खुद की.
हर सीट पर योगी ने जनसभा की. बांगरमऊ सीट पर तो वे दो बार गए और चुनाव की तैयारियों के लिए दोनों डिप्टी सीएम व मंत्रियों को भी लगाया.
बीजेपी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, बुलंदशहर में मंत्री सुरेश राणा, अशोक कटारिया ने कैंप किया. नौगंवा सीट पर भूपेंद्र सिंह चौधरी, टुंडला में श्रीकांत शर्मा, बांगरमऊ में ब्रजेश पाठक व महेंद्र सिंह व देवरिया में सतीश द्विवेदी ने रुककर चुनाव कैंपेन की मॉनिटरिंग की. वहीं दोनो डिप्टी सीएम केशव मौर्या व दिनेश शर्मा ने भी हर सीट पर जनसभा की.
बीजेपी के स्टेट सेक्रेटरी डॉ. चंद्रमोहन के मुताबिक, ‘ये जीत कोई सरप्राइजिंग नहीं है, हम उपचुनाव के लिए पूरी तरह तैयार थे. विपक्ष केवल सोशल मीडिया तक सीमित रह गया है, हमने जमीन पर ये चुनाव लड़ा.’
चंद्रमोहन ने दिप्रिंट को बताया, ‘हर सीट मॉनिटंरिंग के लिए मंत्रियों के अलावा संगठन के पदाधिकारियों की भी ड्यूटी. मैं स्टेट सेक्रेटरी के तौर पर बुलंदशहर सीट का चुनाव कैंपेन देख रहा था. इसी तरह अलग-अलग पदाधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई. हमने सरकार की योजनाओं और मोदी व योगी फैक्टर पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.’
उपचुनाव से पहले हाथरस व बलरामपुर रेप, ब्राह्णणों की नाराजगी समेत तमाम मुद्दों को लेकर योगी सरकार पर विपक्षी दल मुखर थे. कानून व्यवस्था के मुद्दे को विपक्षी दल बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वे असफल साबित हुए.
बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, ‘हाथरस कांड के बाद जो विपक्षी दल योगी आदित्यनाथ का इस्तीफा मांग रहे थे. उपचुनाव के नतीजे के बाद वे चुप ही नजर आ रहे हैं. जो विरोधी योगी सरकार पर ब्राह्णणों के शोषण का आरोप लगा रहे थे, वे भी नतीजे देखकर हैरान होंगे. देवरिया और बांगमऊ जैसी सीट जहां ब्राह्णणों वोटर्स की संख्या अच्छी है, वहां भी बीजेपी ने जीत हासिल की.’
योगी का बढ़ा कद
यूपी में 7 में से 6 सीट जीतकर योगी आदित्यनाथ ने न सिर्फ सरकार पर बल्की बीजेपी संगठन में भी अपनी पकड़ मजबूत कर ली है. सीएम योगी के ऑफिस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, ‘बिहार में योगी ने 19 रैलियां की जिसमें 13 सीटों पर एनडीए के प्रत्याशी ने जीत हासिल की. वहीं यूपी में 7 रैलियां की जिसमें 6 पर बीजेपी जीती. एक स्टार कैंपेनर के तौर पर भी उन्होंने खुद को साबित किया.’
पिछले 3 नवंबर को अमरोहा की नौगावां सादात, बुलंदशहर की बुलंदशहर सदर, फीरोजाबाद की टूंडला, उन्नाव की बांगरमऊ, कानपुर की घाटमपुर, देवरिया की देवरिया सदर और जौनपुर की मल्हनी सीट पर उपचुनाव हुए थे. इनमें 6 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की. वहीं समाजवादी पार्टी ने मल्हनी की सीट पर जीत हासिल की.
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