पटना: बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे की विधानसभा चुनाव लड़ने की चाहत मझधार में अटकी हुई है. प्रदेश में 28 अक्टूबर से तीन चरणों में चुनाव होने वाले हैं.
पिछले महीने ही पांडे जदयू में शामिल हुए थे और बक्सर से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन ये क्षेत्र एनडीए में सीट बंटवारे के दौरान भाजपा के खाते में चली गई है.
भाजपा उन्हें टिकट देने से हिचक रही है. पार्टी के प्रवक्ता और पूर्व विधायक राजीव रंजन ने दिप्रिंट को बताया, ‘भाजपा नेतृत्व सीट को लेकर आज फैसला लेगी.’
मंगलवार रात भाजपा ने 27 उम्मीदवारों की सूची जारी की थी लेकिन बक्सर जिले की दो सीटों- बक्सर और ब्रह्मपुर को छोड़ दिया गया था. हालांकि पांडे के लिए कोई और वैकल्पिक सीट देखी जा रही है.
पूर्व डीजीपी ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. पांडे ने बुधवार सुबह कहा, ‘मैं कॉल का इंतजार कर रहा हूं.’ संयोग से ब्रह्मपुर सीट बीजेपी के द्वारा विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को देने की संभावना है- बॉलीवुड सेट डिजाइनर मुकेश साहनी की पार्टी जिन्होंने पिछले हफ्ते ही विपक्षी गठबंधन छोड़ दिया था.
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भाजपा क्यों हिचक रही है
भाजपा पांडे को बक्सर सीट इसलिए देने से हिचक रही है क्योंकि सुशांत सिंह की मौत के मामले के बाद पूर्व डीजीपी लाइमलाइट में आ गए थे.
बॉलीवुड अभिनेता बिहार के ही थे.
सुशांत मामले में पटना में अभिनेता के पिता द्वारा रिया चक्रवर्ती पर किए गए एफआईआर के बाद बिहार पुलिस की कार्रवाई का श्रेय पांडे ने खुद लिया था.
हालांकि एम्स की फारेंसिक रिपोर्ट के बाद जिसमें बताया गया कि सुशांत की मौत आत्महत्या से हुई थी, तब से महाराष्ट्र में भाजपा बैकफुट पर है.
विवाद जब अपने चरम पर था तब पांडे ने रिया चक्रवर्ती को लेकर विवादास्पद बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि रिया की कोई ‘औकात’ नहीं है कि वो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल करें.
1987 बैच के आईपीएस अधिकारी ने मुबंई पुलिस पर ये भी आरोप लगाया था कि बिहार पुलिस से वहां की पुलिस कोपरेट नहीं कर रही थी. शिवसेना अब इस मुद्दे को महाराष्ट्र के गौरव से जोड़ रही है.
शिवसेना ने कहा है कि अगर पांडे चुनाव लड़ते हैं तो वो उनके खिलाफ अपना उम्मीदवार उतारेगी. एनसीपी नेता और महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख भी बिहार के भाजपा इनचार्ज और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस को घेरने की कोशिश में है, अगर वो पांडे के लिए प्रचार करते हैं.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘ये एक विवाद है जिसे महाराष्ट्र के पूर्व सीएम बिहार के चुनाव के बाद इसका सामना नहीं करना चाहेंगे.’
भाजपा नेता ने ये भी इशारा किया कि 2009 में पांडे उनकी पार्टी के नजदीक थे लेकिन अब वो जदयू के साथ हैं. एक और भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘विधानसभा क्षेत्र के लिए संभावित नामों की सूची पार्टी की जिला यूनिट की तरफ से बताया जाएगा. अगर हम पांडे को टिकट देते हैं तो स्थानीय ईकाई में विद्रोह हो जाएगा.’
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स्थानीय कारक
इस बीच कई स्थानीय कारकों की भी भूमिका है.
बक्सर भाजपा का मजबूत गढ़ रहा है जहां से विश्वविद्यालय की प्रोफेसर और स्पष्ट नेता सुखदा पांडे ने तीन बार जीत दर्ज की है. हालांकि अब वो सक्रिया राजनीति में नहीं हैं.
भाजपा उनकी जगह किसी और नेता की तलाश कर रही है. पार्टी का राज्य नेतृत्व चाहता है कि प्रदीप दुबे को इस सीट से उम्मीदवार बनाया जाए जो कि एक उभरते हुए पार्टी के नेता हैं लेकिन 2015 में वो हार गए थे. उन्हें उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का करीबी भी माना जाता है.
बक्सर से मौजूदा सांसद अश्विनी चौबे इस सीट से किसी राजपूत को उम्मीदवार बनाना चाहते हैं जिस समुदाय से वो खुद आते हैं ताकि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए उनकी दावेदारी मजबूत हो सके.
पांडे को 2009 में भाजपा से टिकट नहीं मिल सका था और उस समय भी उन्होंने वीआरएस लिया था लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे स्वीकारा नहीं था.
इस बार उन्होंने नीतीश की पार्टी जदयू को चुना है और इसके लिए उन्होंने एक महीने पहले ही वीआरएस लिया है. हालांकि वो फरवरी 2021 में सेवानिवृत्त होने वाले थे. मुख्यमंत्री की उपस्थिति में पांडे जदयू में शामिल हुए थे और एक वीडियो जारी कर उन्होंने खुद को ‘दबंग पुलिस अधिकारी’ बताया था और सुशांत सिंह राजपूत मामले को व्यक्तिगत जीत बताया था.
हालांकि पटना में किए गए एफआईआर को उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा से जोड़ कर देखे जाने के आरापों को उन्होंने खारिज किया है.
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