पटना : महाराष्ट्र सरकार के सिने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपने से इंकार किये जाने के बाद बिहार के विभिन्न राजनीतिक दलों ने पार्टी लाईन अलग हट कर मामले की जांच केंद्रीय एजेंसी से कराने की मांग की.
महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि सुशांत के मामले को केंद्रीय एजेंसी को स्थानांतरित करने की ‘कोई आवश्यकता नहीं है.’ बिहार विधान परिषद में कांग्रेस के सदस्य प्रेमचंद मिश्र ने कहा, ‘मुंबई पुलिस की जांच में कई खामियां हैं. शोक संतप्त परिवार के सदस्यों ने पटना में एक प्राथमिकी दर्ज कराई है और अगर उन्हें पटना पुलिस की जांच पर भरोसा है, तो इसमें हर संभव सहयोग दिया जाना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि अगर वे सीबीआई जांच चाहते हैं तो उनकी भावना का भी सम्मान किया जाना चाहिए.
दिवंगत अभिनेता के परिजनों ने अभी तक सार्वजनिक रूप से इस बात का खुलासा नहीं किया है कि उनका इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के बारे में क्या विचार है. उनके अधिवक्ता विकास सिंह ने समाचार चैनलों के साथ बातचीत के दौरान आरोप लगाया कि मुंबई पुलिस जांच को दिशाहीन कर रही है.
अधिवक्ता ने दावा किया कि परिवार के सदस्यों ने फरवरी में मुंबई पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी को आगाह किया था कि सुशांत को जीवन का खतरा है जिस पर ध्यान नहीं दिया गया था.
सुशांत (34)को पिछले महीने बांद्रा स्थित उनके आवास से पुलिस ने उन्हें छत से लटकता हुआ बरामद किया था.
कांग्रेस के साथ बिहार में विपक्षी महागठबंधन में शामिल राजद ने कहा कि वह ‘पहली राजनीतिक पार्टी’ थी जिसने मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी.
बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा, ‘राजपूत की दुखद मौत के तुरंत बाद हमने यह मांग उठाई थी, जब बिहार निवासी अभिनेता शेखर सुमन मुंबई से आए थे और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया था.’
राजद नेता ने बुधवार को आरोप लगाया था कि सुशांत सिंह राजपूत के मामले में अब तक महाराष्ट्र पुलिस जब किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पायी है तो बिहार पुलिस से क्या उम्मीद की जा सकती क्योंकि यहां की पुलिस की कार्यशैली हमलोग जानते हैं और इसलिये हम शुरू से इस मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं.
तेजस्वी ने कहा था कि चुंकि सुशांत ने फिल्मी जगत में बिहार का नाम रौशन किया था ऐसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नैतिक जिम्मेदारी थी वे इस मामले को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से बात कर मामले की सीबीआई जांच की मांग करते.
उन्होंने सवाल किया था कि मुख्यमंत्री अभी तक सुशांत के शोक संतप्त परिवार से अबतक मिलने क्यों नहीं गए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राजगीर में बनने वाली फिल्म सिटी का नाम सुशांत सिंह राजपूत के नाम पर रखने के उनके प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है.
महागठबंधन के एक अन्य घटक रालोसपा ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री के बयान को ‘जल्दबाजी’ दिया गया बयान करार दिया है.
रालोसपा के राष्ट्रीय महासचिव माधव आनंद ने कहा, ‘यह समझा जाना चाहिए कि सुशांत के देश के लाखों प्रशंसकों के अलावा बिहार के 13 करोड़ लोगों की भावनाएं इस मामले में शामिल हैं. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को इस तरह जल्दबाजी में घोषणा नहीं करनी चाहिए बल्कि लोगों की भावना को समझते हुए स्वेच्छा से मामले को सीबीआई को सौंपने की कोशिश करे.
नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि इस मामले को महाराष्ट्र सरकार को सीबीआई को सौंपने को लेकर निर्णय लेना है. मुंबई पुलिस के 40 दिनों की जांच के बाद किसी नतीजे पर अबतक नहीं पहुंच सकी है जिसके कारण शोक संतप्त परिवार ने पटना में प्राथमिकी दर्ज कराई है.
उन्होंने उम्मीद जताई कि महाराष्ट्र सरकार दिवंगत अभिनेता के परिवार के सदस्यों और प्रशंसकों के उनकी मृत्यु के बारे में पूरी सच्चाई जानने के अधिकार को ध्यान में रखकर अपनी पुलिस को तदनुसार जांच करने का निर्देश देगी.
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता निखिल आनंद ने आरोप लगाया कि बिहार पुलिस की जांच से बॉलीवुड माफिया गिरोह और महाराष्ट्र सरकार-मुम्बई पुलिस में उनके संरक्षक बेचैन हैं. शिवसेना, राकांपा एवं कांग्रेस सुशांत मामले में बॉलीवुड माफियाओं के साथ खड़ी दिखती है। मामले में सीबीआई की जांच हो तभी न्याय मिलेगा.