नोएडा: उत्तर प्रदेश के नोएडा में नौ महीने की एक गर्भवती महिला को लेकर उसका परिवार 13 घंटे तक अस्पतालों के चक्कर काटता रहा लेकिन सभी ने प्रसव के लिए उसे भर्ती करने से मना कर दिया और अंतत: उसकी मौत हो गई.
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए गौतमबुध नगर के जिलाधिकारी सुहास एल वाई ने इस मामले की जांच के लिए एक समिति बनाई है.
उन्होंने बताया कि खोड़ा कॉलोनी निवासी वीरेंद्र गौतम की पत्नी नौ महीने की गर्भवती थी. शुक्रवार रात प्रसव वेदना होने पर महिला को परिजन ऑटो रिक्शा से सेक्टर-24 स्थित कर्मचारी राज्य बीमा निगम के अस्पताल पहुंचे.
उन्होंने बताया कि वहां डाक्टरों ने महिला को भर्ती करने से मना कर दिया. फिर परिजन गर्भवती को नोएडा जिला अस्पताल ले गए जहां से डॉक्टरों ने उसे एम्बुलेंस से उन्हें ग्रेटर नोएडा के एक अन्य अस्पताल भेजा, लेकिन उन्होंने भी उसे भर्ती करने से मना कर दिया.
वहां से निराश परिजन उसे कुछ निजी अस्पताल भी गये लेकिन उन्हें कहीं से कोई मदद नहीं मिली.
अंततः महिला के परिजन उसे लेकर ग्रेटर नोएडा के जिम्स अस्पताल वापिस पहुंचे, जहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
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महिला के परिजन का आरोप है कि ग्रेटर नोएडा स्थित एक अस्पताल में कोविड-19 की जांच के लिए उनसे पांच हजार रुपए लिये, लेकिन थोड़ी देर बाद ही उन्हें अस्पताल से भगा दिया गया, उनके पैसे भी वापस नहीं किए गए.
जिला सूचना अधिकारी राकेश चौहान ने बताया कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी सुहास एल वाई ने अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व मुनींद्र नाथ उपाध्याय तथा मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दीपक ओहरी को इसकी जांच सौंपी है.
जिलाधिकारी ने दोनों अधिकारियों को इस प्रकरण में तत्काल जांच करते हुए कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.