नई दिल्ली: महाराष्ट्र के पालघर में हुई साधुओं की हत्या के 40 दिनों के बाद जांच पड़ताल के लिए अब विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) भी जुट गई है. वीएचपी अब जल्द ही एक फैक्ट फाइंडिंग टीम पालघर भेजेगी.
यह टीम जूना अखाड़े के साधुओं की हत्या नए सिरे से जांच करेगी और हत्या से संबंधित सभी लोगों से बात करेगी और एकत्र किए गए तथ्यों को पुलिस और प्रशासन को सौंपेगी. टीम इन तथ्यों की भी पड़ताल करेगी कि इस घटना में कम्युनिस्ट और ईसाई मिशनरी जैसे संगठनों का हाथ तो नहीं .
वीएचपी के महामंत्री मिलिंद परांडे ने दिप्रिंट से कहा, ‘महाराष्ट्र में स्थानीय स्तर के कुछ सदस्य पालघर गए हैं, वहां की स्थिति से उन्होंने हमें अवगत करवाया है. लॉकडाउन की वजह से दिल्ली की हमारी टीम नहीं भेजी जा सकी है. लेकिन, अब हम जल्द ही हमारी एक ‘फैक्ट फाइंडिंग टीम’ पालघर भेजने की तैयारी कर रहे हैं.
वह आगे कहते हैं, ‘इस टीम में महिला, सेवानिवृत्त जज, संत समाज के वरिष्ठ लोग के अलावा वीएचपी के पदाधिकारी समेत कई समाजों के प्रतिष्ठित लोग शामिल होंगे.’
‘वे मौके पर जाकर पूरे मामले को समझेंगे. इसके बाद जो भी तथ्य सामने निकलकर सामने आएगा वह महाराष्ट्र सरकार को देंगे. हमारा मकसद केवल साधुओं को उचित न्याय दिलवाना है.’ उन्होंने कहा.
फैक्ट फाइडिंग टीम बताएगी क्या हुआ था उस रात
वीएचपी महामंत्री ने महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार पर हमला बोलते हुए कहा,’ पालघर में साधुओं की जो हत्या हुई है वह दुखद है. हिंदू श्रद्धा के जो चिन्ह है उसकी रक्षा के बारे में महाराष्ट्र सरकार सोचे और उसके लिए प्रयास करें. ताकि हिंदू संस्कृति के चिन्ह सुरक्षित रह सकें.’
‘हम हमारी फैक्ट फाइंडिंग टीम के जरिए यह जानने चाहते है कि पालघर में आखिर क्या हुआ था. पालघर में कई शक्तियां हिंदू विरोधी काम कर रही है.’
‘इस टीम के माध्यम से कई तथ्य सामने आएंगे. मर्डर इन्वेस्टिगेशन है तो यह एक सीमित दायरे में चलेगा. लेकिन उसकी जो भूमिका है कम्युनिस्ट संगठन, राजनीति ,गैर राजनीतिक और ईसाई मिशनरी पालघर समेत कई स्थानों पर हिंदू आस्था को नष्ट भ्रष्ट करने में लगे हुए है.समाज को नष्ट करने के लिए कई शक्तियां एक साथ काम कर रही है.’
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परांडे ने बताया, ‘इसके पहले मेवात में भी हमने भी एक टीम भेजी थी. इसमें कई चौंकाने वाली बातें सामने आई है. उसकी रिपोर्ट हरियाणा सरकार और सीएम मनोहर लाल खट्टर को सबमिट की है.’
गौरतलब है, 16 अप्रैल को पालघर जिले के गढ़चिंचले गांव में जूना अखाड़े के दो साधु महंत कल्पवृक्ष महाराज (70 वर्ष), सुशील महाराज (35 वर्ष)और ड्राइवर निलेश तेलगड़े (30 वर्ष) की कुछ लोगों पीटकर हत्या कर दी गई.
वे फोर्ड इकोस्पोर्ट कार में सिलवासा में अंतिम संस्कार के लिए गए थे, लेकिन उन्हें दादरा और नगर हवेली पुलिस ने सीमा पर रोक दिया और वापस भेज दिया.
वापसी के दौरान यात्रा पर, उन्होंने गढचिंचलं पहुंचने से पहले ही एक गढों वाली टूटी फूटी गंदी सड़क पर उनके साथ हिंसा हुई.
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर एक सांप्रदायिकता के दावों के साथ वायरल हो गया था, जिसकी वजह से मुख्यमंत्री खुद आगे आए और उन्होंने कहा कि इस घटना में कोई मुस्लिम शामिल नहीं था.
साधुओं की हत्या अखिल भारतीय संत समिति ने पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी. महाराष्ट्र सरकार ने सीबीआई जांच के बजाए सीआईडी जांच शुरु कर दी है. इस मामले में कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है.
मेवात की रिपोर्ट हरियाणा सरकार को सौपीं
हाल ही में हरियाणा के मेवात में लगातार हिंदुओं पर उत्पीड़न के मामलों को देखते हुए वीएचपी ने अपनी एक फैक्ट फाइंडिंग टीम भी मेवात भेजी थी. इस तीन सदस्यीय जांच कमेटी में सेवानिवृत जनरल जीडी बख्शी, स्वामी धर्मदेव व एडवोकेट चंद्रकांत शर्मा शामिल थे.
वीएचपी के महामंत्री परांडे दिप्रिंट से कहा, ‘हमारी एक टीम मेवात में जांच के लिए गई थी. सदस्यों ने कई लोगों से मुलाकात की. इसमें कई चौंकाने वाले तथ्य इसमें सामने निकलकर आए है. हमने राज्य सरकार को इस रिपोर्ट को सौंपा है. हमने सरकार से इस मामले में तेजी से कार्रवाई की मांग भी की है.’
उन्होंने कहा, ‘कमेटी की जांच में सामने निकलकर आया कि संपूर्ण मेवात में लगातार हिंदू परिवारों पर हमले हो रहे हैं. प्रताड़ना के कारण हिंदू परिवारों का पलायन हो रहा है.’
25 वर्षों में 50 गांव हिंदू विहीन हो चुके है. कई हिंदू परिवारों के व्यक्तिगत, सार्वजनिक और मंदिरों पर कब्जे हो गए हैं. वहीं हिंदू महिलाओं पर अत्याचार और बालात्कार की घटना भी सामने आ रही है. हिंदुओं को जबरन धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर भी किया जा रहा है.’
कानून के दायरे में रहकर बंगाल में उठाएंगे आवाज़
पश्चिम बंगाल के हुबली,मुर्शिदाबाद और हावड़ा में भी लगातार हिंदुओं पर घटना के मामले सामने आ रहे हैं. इसके लेकर भी अब वीएचपी मैदान में उतरने वाली है.
वीएचपी के महामंत्री परांडे के अनुसार, ‘लॉकडाउन के बाद हमारे संगठन के लोग कानून के दायरे में रहकर लोगों को जागरुक करने का कम करेंगे. राज्य में कई जगह महिलाओं पर हमले हो रहे हैं. पुलिस और स्थानीय प्रशासन कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है. वहां की सरकार ऐसा करने वाले अराजक लोगों को लगातार संरक्षण दे रहे है. यह ठीक नहीं है.’