नौगछिया(भागलपुर): बिहार सरकार ने भागलपुर सड़क दुर्घटना में मारे गए नौ मजदूरों के परिवारों को चार-चार लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की है. गौरतलब है कि मंगलवार को नेशनल हाईवे 31 पर अंबो चौक के पास एक ट्रक और बस की टक्कर में नौ मजदूरों की जान चली गई थी. इतना ही नहीं सरकार ने ट्विटर पर मजदूरों से ये अपील भी की कि वो छिपकर ट्रकों, बसों से या पैदल यात्रा ना करें.
इन नौ मजदूरों को दुर्घटना के बाद तुरंत सब डिविजनल अस्पताल नौगछिया लाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
इस हादसे के दौरान हुए घायलों को भी शुरुआत में नौगछिया अस्पताल में ही ले जाया गया लेकिन बाद में उन्हें भागलपुर के मायागंज अस्पताल रेफर कर दिया गया.
नौगछिया अस्पताल के एक मेडिकल कर्मी नाम ना छापने की शर्त पर बताते हैं कि नौ में से छह लोगों के शवों की पहचान कर उनके घर भेज दिए गए हैं जबकि तीन मजदूरों की पहचान अभी नहीं हो पाई है.
दिप्रिंट ने नौगछिया अस्पताल में छह मजदूरों को पुलिस एस्कॉर्ट के साथ एंबुलेंस में मोतिहारी और बेतिया भेजे जाने की प्रक्रिया को देखा था.
इनमें से तीन मजदूर- जालिम मियां, मोहम्मद हसीम, नूरजहां मियां बेतिया जिले के रहने वाले थे और बाकी तीन- गुशन मियां, मोहम्मद रुस्तम और शौकत अली मोतिहारी जिले के रहने वाले थे.
नौगछिया की एसपी निधि रानी ने दिप्रिंट को बताया, ‘ट्रक पर कुल नौ लोग सवार थे. जिनमें से सभी की मौके पर ही मौत हो गई. छह लोगों की हमने पहचान कर ली है और उनके शवों को उनके घर भेज दिया है लेकिन बचे तीन मजदूरों की पहचान की जारी है और कई पुलिस थानों में इससे संबंधित जानकारी भेज दी गई है’.
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वो आगे कहती हैं, ‘ट्रक के ड्राइवर और कंडक्टर मौके से ही फरार हो गए थे. हम लोग उन्हें भी ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं. इस मामले में जांच चल रही है. ट्रक के मालिक को ढूंढ लिया गया है.’
रानी बताती हैं कि ट्रक पर कुल नौ मजदूर जा रहे थे तो बस में 20-25 लोग सवार थे जिसमें से पांच लोग घायल हुए हैं. वो कहती हैं, ‘पांचों को हल्की फुल्की चोटें आई हैं और उपचार के कुछ घंटों के बाद उन्हें घर भेज दिया गया है.’
इस दर्दनाक हादसे में मारे गए नौ मजदूर कोलकाता से साइकिल पर कुछ दिन पहले चले थे. ये लोग अपने-अपने जिलों में जाना चाहते थे, इसलिए रास्ते में ट्रक की सवारी की.
दर्दनाक हादसा
45 वर्षीय मंजू जो इस हादसे के तुरंत बाद मौके पर पहुंचने वालों में से एक थीं, वो दिप्रिंट को उस दर्दनाक मंजर के बारे में बताती हैं, ‘इस एक्सीडेंट में ट्रक पर जो लोहे की रॉड लाई जा रही थी वो मजूदरों की मौत का कारण बनीं. उनके शव लोहे की रॉड के बीच से बड़ी मुश्किल से निकाले गए.’
जब दिप्रिंट ने हादसे वाली जगह का दौरा किया तो उस वक्त आने जाने वाले लोग ठहरकर ट्रक और लोहे के नीचे दबे मलबे को देख रहे थे. ट्रक पूरी तरह टूट गया था और हाईवे के एक तरफ खाई में जा गिरा था. ट्रक के आसपास चप्पलें, कपड़े वाले बैग, पॉलिथिन में लिपटी हुई रोटियां और एक जगह बिखरे पड़े ब्रेड के टुकड़े थे.
इस खाई के बिल्कुल पास रहने वाले मतवारी सिंह दिप्रिंट को बताते हैं, ‘मैं सुबह हल्का होने निकला था. करीब पांच बज रहे होंगे. मैंने देखा कि बस ने ट्रक को टक्कर मारी और बचने के चक्कर में ट्रक खाई में गिर गया. जब तक मैं लौटा तब तक पुलिस और प्रशासन आ चुका था. यहां से मेरा घर सौ मीटर भी दूर नहीं है.’ सिंह बताते हैं कि उनके गांव के सरपंच ने तुरंत ही पुलिस को इत्तला कर दिया था.
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अंबो गांव के निंरजन कुमार बताते हैं, ‘जब ये हादसा हुआ है तब सारा गांव सो रहा था. आधे घंटे बाद सबको खबर हो गई. जब हम यहां पहुंचे हैं तब जेसीबी से शवों को बाहर निकाला जा रहा था.’
इस हादसे से पचास मीटर दूर बने घर के एक 70 वर्षीय बुजुर्ग दुर्घटना वाली सुबह को याद करते हुए कहते हैं, ‘मैं अपनी गाय को बाहर लाकर बांध रहा था तो देखा कि ये एक्सीडेंट हो गया है. सारे मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई. बड़ा दर्दनाक हादसा था. वो अपने घरों तक पहुंचने की जल्दी में थे. मैं जब भी उस मंजर को याद कर रहा हूं तो मुझे दुख हो रहा है. हमने भी पुलिस की शवों को बाहर निकालने में मदद की थी.’
मौके पर मौजूद सारे गांववासी ट्रक में रखी लोहे की रॉड को इन गरीब मजदूरों की मौतों का जिम्मेदार बता रहे थे.