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Thursday, 21 November, 2024
होमदेशकोविड-19 के खिलाफ मोदी सरकार के तेज़ और आक्रामक जवाब से कम रहे मामले: भारत में डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि

कोविड-19 के खिलाफ मोदी सरकार के तेज़ और आक्रामक जवाब से कम रहे मामले: भारत में डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि

भारत के आकार और विविधता को देखते हुए, कोविड की रोकथाम के लिए मोदी सरकार फैसले लेने की शक्ति, राज्य सरकारों और ज़िलों को देने के बारे में ग़ौर कर सकती थी, डॉ हैंक बेकेडम ने एक एक्सक्यूसिव इंटरव्यू में दिप्रिंट को बताया.

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नई दिल्ली: भारत ने वैश्विक महामारी का बहुत तेज़ी, आक्रामकता और कारगर तरीक़े से जवाब देते हुए कोविड-19 से होने वाले मामलों को अपेक्षाकृत कम रखा है, और इनके बेहतर अमल के लिए, हमें फैसले लेने की शक्तियां राज्य सरकारों और ज़िलों को देने के बारे में ग़ौर करना चाहिए. भारत में विश्व स्वास्थ्य के प्रतिनिधि डॉ हेंक बेकेडम ने ये बात दिप्रिंट के साथ एक एक्सक्यूसिव इंटरव्यू में कही.

राष्ट्रीय लॉकडाउन लागू करने के फैसले का स्वागत करते हुए बेकेडम ने, जो नवम्बर 1017 में अपनी मौजूदा भूमिका में आने से पहले, दो साल मिस्र में काम कर चुके हैं, ने कहा कि भारत ने लॉकडाउन का अच्छा इस्तेमाल किया है.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘लॉकडाउन के साथ भारत को इस वायरस को हराने का एक मौक़ा मिला है. लॉकडाउन का इस्तेमाल करके जन स्वास्थ्य क्षमता बढ़ाने, निगरानी मज़बूत करने और वायरस का प्रभावी तरीक़े से मुक़ाबला करने में मदद मिली है’.

उन्होंने कहा, ‘देश के आकार और विविधता को देखते हुए, भारत ने बहुत तेज़, आक्रामक और कारगर जवाब देते हुए कोविड-19 से होने वाले मामलों को अपेक्षाकृत कम रखा है’.
आगे का रास्ता…


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बेकेडम, जो कि एक प्रशिक्षित डॉक्टर हैं, ने कहा कि आगे के उपायों को मद्देनज़र रखते हुए, स्थानीय स्तर पर महामारी पर नज़र रखना बहुत अहम रहेगा.

उन्होंने कहा, ‘देश के आकार और विविधता को देखते हुए यहां की पूरी आबादी को एक अकेली इकाई के रूप में नहीं देखा जा सकता. हर राज्य, और राज्यों के अंदर हर ज़िले में महामारी का अपना कर्व होगा, और वहां वायरस के फैसले की रफ्तार, दिशा-निर्देशों के पालन और वायरस की पहुंच के हिसाब से तय होगी.

बेकेडम एक डच नागरिक हैं, और 2002 से 2007 के बीच वो चीन में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि थे. उनकी टीम ने 2003 में सार्स नामक बीमारी से निपटने में चीन को काफी सहयोग दिया था.

आगे के रास्ते के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘ये जानना ज़रूरी है कि हमारा वास्ता एक ऐसे नए वायरस से है, जिसका पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता’.

उन्होंने कहा, ‘अलग-अलग राज्यों और ज़िलों में महामारी का अनुभव अलग तरह का होगा. इसलिए हमारी रणनीति भी उसी हिसाब से तय होनी चाहिए’.

भारत के लिए उन्होंने सुझाव दिया कि नई रणनीति वैज्ञानिक सबूतों और स्थितियों पर आधारित होनी चाहिए, और इसमें कुछ दूसरी अहम बातों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए, जैसे कि आर्थिक मुद्दे (खेती का मौसम वग़ैरह), सुरक्षा से ज़ुड़े मुद्दे, मानवाधिकार, खाद्य सुरक्षा, जन भावनाएं और रोकथाम के उपायों का पालन.

भारत ने जल्दी ही कोविड-19 को गंभीरता से लिया.

बेकेडम ने कहा कि जो बात भारत के पक्ष में जाती है, वो है महामारी फैलते ही समय रहते उठाए गए साहसिक क़दम.

उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि भारत को दूसरे देशों के अनुभवों से सीखने का फायदा मिला.

उन्होंने कहा, ‘भारत का जवाब क्रमिक रहा है, और इसे उच्चतम स्तर से मिली राजनीतिक प्रतिबद्धता से बल मिला है. प्रधानमंत्री कार्यालय ने कोविड-19 के खिलाफ तैयारियों और उठाए जाने वाले क़दमों की अगुवाई करते हुए, मंत्रालयों को भी इसमें शामिल किया…’ उन्होंने ये भी कहा कि भारत ने सरकारी और सामाजिक स्तर पर, समग्र प्रयासों की एक अच्छी मिसाल पेश की है.

पिछले हफ्ते ही, दिप्रिंट के एडिटर इन चीफ शेखर गुप्ता से ‘ऑफ द कफ़’ में बातचीत के दौरान, विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने, अभी तक संक्रमण के फैलाव को सीमित रखने में, नरेंद्र मोदी सरकार के प्रयासों की सराहना की थी.

‘भारत परीक्षण रणनीति की जांच कर रहा है’

बेकेडम ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की, कि क्या भारत में जांच की दर संतोषजनक है, लेकिन इस बात को दोहराया कि टेस्टिंग की निगरानी एक बहुत अहम हिस्सा है, और इससे संक्रमितों पर नज़र रखने, उन्हें अलग रखने, और उनका इलाज करने में मदद मिलती है.

उन्होंने ये भी कहा, ‘इससे ये भी पता चलता है कि बीमारी से लड़ने में हमारे प्रयास किस दिशा में होने चाहिएं’.

जांच की हमारी रफ्तार पर उन्होंने कहा, ‘भारत जांच की अपनी रणनीति बीमारी के फैलाव के हिसाब से बना रहा है, जिसमें इसके विस्तार, आवश्यकताओं और क्षमता का ध्यान रखा जा रहा है.


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उन्होंने कहा, ‘हम समझते हैं कि जांच की रणनीति में, सशक्त समूह 2 की सिफारिशों के हिसाब से विस्तार किया जा सकता है, जो कि अस्पतालों की उपलब्धता, एकांत और क्वारंटाइन सुविधाओं, बीमारी की निगरानी, टेस्टिंग, और क्रिटिकल केयर ट्रेनिंग के बीच समन्वय कर रहा है’.

सशक्त समिति के तहत, जिसकी अगुवाई पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव सीके मिश्रा कर रहे हैं, 30 दिनों के भीतर परीक्षणों की संख्या में क़रीब 33 गुना इज़ाफ़ा हुआ है. 23 मार्च तक 14,915 टेस्ट किए गए थे, लेकिन 22 अप्रैल तक, 5 लाख से अधिक टेस्ट किए जा चुके थे.

बेकेडम के अनुसार भारत की स्थिति अभी विकसित हो रही है…यही वजह है कि कंटेनमेंट ज़ोन्स को परिभाषित किया गया है, और ज़िलों को लाल, ऑरेंज और ग्रीन श्रेणियों में रखा गया है, और ये दर्जा स्थिति के हिसाब से बदल जाता है.

उन्होंने कहा कि श्रेणी कुछ भी हो, संक्रमण की चेन तो तोड़ने के लिए जन स्वास्थ्य के मुख्य क़दम वही हैं- पता लगाना, जांच करना, इलाज करना और नज़र रखना.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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