नई दिल्ली: देश में कोरोनावायरस के संकट के बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पंचायती राज दिवस के मौके पर देश के राज्यों के सरपंचों से बात की. पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, कोरोना संकट से हमें सबक मिला है कि अब हमें आत्मनिर्भर होना काफी जरूरी है. इस संकट के बीच गांव के लोगों ने देश और दुनिया को संदेश दिया है. पीएम ने इस मौके पर नए ई ग्राम स्वराज पोर्टल एप के साथ स्वामित्व योजना का भी शुभारंभ किया.
सरपंचों से चर्चा में पीएम मोदी ने पूर्व पीएम राजीव गांधी के बयान पर भी चुटकी लेते हुए कहा, ‘पहले कहते थे कि दिल्ली से 1 रुपये भेजने पर गांवों तक 15 पैसे ही पहुंचते थे, लेकिन अब पूरे के पूरे 100 पैसे पहुंच रहे हैं.’
उन्होंने कहा, कोरोना एक विचित्र वायरस है. लेकिन वह खुद किसी के घर नहीं जाता है. इसलिए ‘2 गज की दूरी’ का पालन करना जरूरी है.आजकल मुझे गांव के प्रधान से भी बात करने का सौभाग्य मिलता है और दुनियाभर के बड़े-बड़े देशों के प्रधान से भी बात करने का मौका मिलता है.
पीएम ने देश के सरपंचों को संबोधित करते हुए कहा, कोरोना ने हम सभी के काम करने के तरीके को बहुत बदल दिया है. पहले हम किसी कार्यक्रम को आमने-सामने रहकर करते थे. लेकिन आज वही कार्यक्रम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से करना पड़ रहा है. कोरोना महामारी ने हमारे लिए अनेक मुसीबतें पैदा की हैं, जिनकी हमने कभी कल्पना तक नहीं की थी. लेकिन, इससे भी बड़ी बात ये है कि इस महामारी ने हमें नई शिक्षा और संदेश भी दिया है.’
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पीएम मोदी ने कहा, ‘कोरोना संकट ने अपना सबसे बड़ा संदेश, अपना सबसे बड़ा सबक हमें दिया है कि हमें आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा. गांव अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए आत्मनिर्भर बने. जिला अपने स्तर पर, राज्य अपने स्तर पर और इसी तरह पूरा देश कैसे आत्मनिर्भर बने, अब ये बहुत आवश्यक हो गया है. मैं इस कार्यक्रम के माध्यम से सभी लोगों तक एक संदेश देना चाहता हूं. कोरोना संकट ने सबसे बड़ा सबक हमें जो सिखाया है और उस रास्ते पर चलने के लिए जो रास्ता दिखाया है. वो रास्ता है कि अब हमें आत्मनिर्भर बनना ही पड़ेगा. बिना आत्मनिर्भर बने ऐसे संकटों से निपटना मुश्किल है.
पीएम मोदी ने देश के सभी ग्रामवासियों की प्रशंसा करते हुए कहा,, इस कोरोना संकट ने दिखा दिया है कि देश के गांवों में रहने वाले लोग इस दौरान उन्होंने अपने संस्कारों-अपनी परंपराओं की शिक्षा के दर्शन कराए हैं. गांवों से जो अपडेट आ रहा है, वो बड़े-बड़े विद्वानों के लिए भी प्रेरणा देने वाला है. आप सभी ने दुनिया को मंत्र दिया है ‘दो गज दूरी’ का या कहें ‘दो गज देह की दूरी’ का. इस मंत्र के पालन पर गांवों में बहुत ध्यान दिया जा रहा है. ये आपके ही प्रयास है कि आज दुनिया में चर्चा हो रही है कि कोरोना को भारत ने किस तरह जवाब दिया है. इतना बड़ा संकट आया. इतनी बड़ी वैश्विक महामारी आई लेकिन इन दो से तीन महीनों में हमने ये भी देखा है भारत का नागरिक सीमित संसाधनों के बीच अनेक कठिनाइयों के सामने झुकने के बजाय उनसे टकरा रहा है लोहा ले रहा है.
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पीएम ने कहा, सरकार और जनता के बीच जब विश्वास होता है तो कितने ही बड़े संकट को हम पार कर लेते हैं. इस बार जो लड़ाई हम जीत रहे हैं, उसका मूल कारण विश्वास है. खुद पर भी विश्वास है और व्यवस्थाओं पर भी विश्वास है.किसान का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है. वो हमारा अन्नदाता है और निस्वार्थ भाव से देशवासियों को पेट पालता है.
उन्होंने कहा, ‘ये सही है कि रुकावटें आ रही हैं. परेशानी हो रही है, लेकिन संकल्प का सामर्थ्य दिखाते हुए. नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ते हुए नए-नए तरीके खोजते हुए, देश को बचाने का और देश को आगे बढ़ाने का काम भी निरंतर जारी है. किसान और पशुपालक साथियों ने लॉकडाउन के समय देश को अनाज, दूध, दही, फल की कमी नहीं होने दी.
पीएम ने कहा, ‘एक दौर वो भी था जब देश की सौ से भी कम पंचायतें ब्रॉडबैंड से जुड़ी थीं.अब सवा लाख से ज्यादा पंचायतों तक ब्रॉडबैंड पहुंच चुका है. इतना ही नहीं गांवों में कॉमन सर्विस सेंटरों की संख्या भी तीन लाख को पार कर रही है. सरकार ने भारत में ही मोबाइल बनाने का जो अभियान चलाया है. उसी का परिणाम है कि आज गांव गांव तक कम दामों वाले स्मार्ट फोन पहुंच चुके हैं. ये आज जो इतने बड़े स्तर पर वीडियो कॉन्फ्रेंस हो रही हैं. ये सब इसी के कारण संभव हो पाया हैं. गांव के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए आज सरकार द्वारा दो महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट शुरु किया गए हैं. एक है ई-ग्राम स्वराज और दूसरे की विशेषता है कि उसके द्वारा हर ग्रामीण के लिए स्वामित्व योजना की शुरुआत की है.’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरपंचों से कहा, ‘आज लॉन्च हुए एप के जरिए ग्राम पंचायतों के फंड और उसके कामकाज की पूरी जानकारी होगी. इसके माध्यम से पारदर्शिता भी आएगी और परियोजनाओं के काम में भी तेजी आएगी. स्वामित्व योजना से ग्रामीणों को एक नहीं अनेक लाभ होंगे. इससे संपत्ति को लेकर भ्रम और झगड़े खत्म होंगे. इससे गांव में विकास योजनाओं की प्लानिंग में मदद मिलेगी. इससे शहरों की तरह गांवों में भी आप बैंकों से लोन ले सकेंगे.’