रांची: देशभर में कोरोनावायरस का समाज पर कई तरह का साइड इफेक्ट दिखने लगा है. इसमें दो धर्मों के बीच की खाई भी बढ़ती जा रही है. इसी कड़ी में झारखंड के जमशेदपुर में एक दर्दनाक मामला सामने आया है. यहां के महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) हॉस्पिटल में आरोप है कि नर्स ने गर्भवती महिला से फर्श पर फैला खून साफ कराया. धर्म को निशाना बना कर गालियां दी. कहा, ‘कहां-कहां से आती हो कोरोना फैलाने.’ फिर जूते-चप्पल से भी पीटा. महिला ने पूरी घटना की शिकायत सीएम हेमंत सोरेन से की है और इंसाफ दिलाने की गुहार लगाई है.
शिकायत पत्र में रिजवाना खातून नाम की महिला ने कहा है कि बीते 16 अप्रैल को उसे ब्लीडिंग शुरू हो गई. आनन-फानन में वह अपने भाई के साथ एमजीएम अस्पताल पहुंची. वहां जिस जगह खड़ी हुई, खून गिर गया था. वहीं खड़ी अस्पताल की एक स्टाफ ने उसे धर्म से जोड़कर भद्दी-भद्दी गालियां देने शुरू कर दी. फिर खून साफ करने को कहा.
इस दौरान वह महिला बोलती रही कि कहां-कहां से आ जाती हो, कोरोना फैलाती हो. शरीर में कंपकपी होने की वजह से खून साफ करने में दोरी हो गई. आरोप है कि इस बीच उस महिला ने चप्पल निकाल कर उसे बुरी तरह पीटा.
रिजवाना खातून का शिकायती पत्र.
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दूसरे अस्पताल में ले जाने पर पता चला कि बच्चा पेट में मर चुका है
महिला ने यह भी लिखा है कि वहां खड़े उसके भाई ने इसका विरोध किया. फिर वह उसे टी खान नर्सिंग होम लेकर गया. जहां जांच के बाद डॉक्टर ने बताया कि उसका बच्चा मर चुका है. उसने ये भी बताया कि अगर वहां का सीसीटीवी फुटेज खंगाला जाए तो वह उस नर्स की पहचान कर लेगी. महिला से जब बात करने की कोशिश की तो उसके परिजनों ने बताया कि रिजवाना बार-बार बेहोश हो रही है. उसकी तबीयत ठीक नहीं है.
इलाज करने वाली डॉ. संयुक्ता नंदा ने बताया, ‘जिस वक्त ये महिला उनके पास आई थी उसका काफी खून बह चुका था. लगभग दो से तीन महीने का बच्चा रहा होगा लेकिन वह मर चुका था. हालांकि, इलाज के बाद महिला ठीक थी. एमजीएम अस्पताल में मारपीट की बात उसके भाई ने बताई थी लेकिन इसके बारे में ज्यादा जानकारी उनके पास नहीं है.’
वहीं जमशेदपुर के जिलाधिकारी रविशंकर शुक्ला ने बताया, ‘अभी तक ये पता नहीं चल पाया है कि किस महिलाकर्मी ने दुर्व्यवहार किया है. चूंकि आरोप लगाने वाली महिला अभी बीमार है, इसलिए पहचान नहीं हो पा रही है. शुरुआती जांच में अस्पताल के अन्य कर्मियों ने यह बताया है कि वह महिला जिस वक्त आई उस वक्त कोई बेड खाली नहीं था. इसको लेकर ही बहस हुई थी. जिलाधिकारी के मुताबिक एंट्री गेट पर जो सीसीटीवी कैमरा है उसके मुताबिक रिजवाना लगभग 40 मिनट तक अस्पताल में रही है. जांच अभी भी चल रही है.’
इधर, एमजीएम हॉस्पिटल के डॉ. नकुल प्रसाद ने बताया, ‘अभी जांच चल रही है. वह पूरे मामले पर फिलहाल कुछ नहीं बोलेंगे. जो जांच समिति बनी है, वह रिपोर्ट सौंपेगी, इसके बाद ही कुछ कहा जा सकेगा.’
घटना की बात सामने आने के बाद सीएम हेमंत सोरेन ने जिला प्रशासन से पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है.
स्थानीय पत्रकार सरताज आलम ने बताया, ‘एमजीएम हॉस्पिटल की हालत बहुत ही खराब है. बीते रविवार को इसी घटना की तहकीकात के दौरान जब वह वहां पहुंचे तो देखा कि एक एंबुलेंस को कर्मी धक्का लगा रहे हैं. पता चला इसकी बैटरी खराब हो गई थी, नई बैटरी लगाने की जगह सूमो गाड़ी की बैटरी लगा दी गई है. एंबुलेंस कर्मी ने बताया कि यह गाड़ी रास्ते में भी खराब होती रहती है. फिर धक्का लगाकर स्टार्ट करते हैं.’ ये हाल तब है जब राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता इसी इलाके से आते हैं.
इसी तरह की घटना 19 अप्रैल की रात को रांची के हिंदपीढ़ी इलाके में हुई. इस इलाके में अभी तक 17 कोरोनावायरस मरीज मिल चुके हैं. इसे पूरी तरह सील कर दिया गया है लेकिन सील किए जाने के दौरान मेडिकल जैसी इमरजेंसी सेवाओं में छूट के बावजूद पुलिस प्रशासन ने डिलीवरी के लिए जा रही महिला को रोक दिया. दो सील किए गए पॉइंट से उसे लौटाया गया. महिला के पति इमरान ने बताया कि मजबूरी में वह पत्नी को लेकर घर आ गए. घर की महिलाओं ने ही डिलीवरी कराया लेकिन बच्चा मर गया. इमरान के मुताबिक ये उनका पहला बच्चा था.
रांची के एसएसपी अनीश गुप्ता ने इस मामले पर कहा कि ये घटना दुर्भाग्यपूर्ण है. इस तरह से नहीं होना चाहिए था. पुलिस को साफ बताया गया है कि अगर मेडिकल इमरजेंसी वाली बात सामने आती है तो तत्काल इसकी सूचना दें. दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई होगी.
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मॉब लिंचिंग का शिकार हुआ युवक
कोरोनावायरस का साइड इफेक्ट रामगढ़ जिला में भी देखने को मिला. बीते 19 अप्रैल की रात को राजू अंसारी नाम के युवक की भीड़ ने जमकर पिटाई कर दी. वह अपने ससुराल पतरातू से घर जा रहा था. पीड़ित लड़के के परिजनों का कहना है कि उसके खिलाफ धार्मिक टिप्पणियां की गईं. साथ ही पिटाई के दौरान नग्न परेड भी कराई गई.
हालांकि देर रात हुई इस घटना के बाद घायल को बेहतर इलाज के लिए रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) भेज दिया गया जहां उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है. मामले में चार आरोपी को गिरफ्तार किया गया है.
इससे पहले रांची में एक कोरोना मरीज की मौत के बाद उन्हें दो कब्रिस्तानों में दफनाने से रोक दिया गया. शव को लेकर पुलिस 12 घंटे से अधिक इधर-से-उधर भागती रही. इसको देखते हुए राज्य सरकार ने फैसला लिया कि सभी जिलों में ऐसे मरीजों के लिए अलग से जमीनें चिन्हित हों और अब अगर कोई कोरोना पीड़ित की मौत होती है तो उसे वहीं दफनाया या जलाया जा सकेगा.
इधर, झारखंड में कोरोना के मामले हर दिन बढ़ रहे हैं. बीते 19 अप्रैल तक कुल 41 मामले सामने आ चुके हैं. दो लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि, अभी तक एक भी पीड़ित ठीक होकर घर नहीं लौटा है. वहीं अब तक कुल 4775 लोगों की जांच हो चुकी है.
(आनंद दत्ता झारखंड से स्वतंत्र पत्रकार हैं)