फिल्म जोधा अकबर और पद्मावत के विरोध से चर्चा में आई करणी सेना फिर से सुर्खियों में है. संगठन के निशाने पर इस बार यश राज फिल्म्स के बेनर तले बन रही फिल्म ‘पृथ्वीराज’ है. करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना का आरोप है कि फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ हो रही है और सम्राट पृथ्वीराज चौहान की छवि को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. हालांकि लेखक और निर्देशक डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने इससे इंकार किया है. लेकिन करणी सेना अपने आरोप पर कायम है. मकराना फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ने और लिखित आवश्वान देने की मांग पर अड़ गए हैं. विवाद बढ़ने के बाद फिल्म की शूटिंग रुक गई है.
आपको बता दें कि इस फिल्म में अक्षय कुमार सम्राट पृथ्वीराज चौहान और पूर्व मिस वर्ल्ड मानुषी छिल्लर रानी संयोगिता का किरदार निभा रही हैं. फिल्म की शूटिंग पिछले साल नवंबर में शुरू हुई थी. बीते कई दिनों से इसके कुछ दृश्य जयपुर के पास जमवारामगढ़ में फिल्माए जा रहे थे. इसी दौरान 14 मार्च को करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना अपने कई कार्यकर्ताओं के साथ शूटिंग स्थल पर जा धमके. उन्होंने आरोप लगाया कि फिल्म में पृथ्वीराज चौहान को एक प्रेमी के रूप में दिखाया जा रहा है, जो पूरी तरह से गलत है. इस पर लेखक-निर्देशक चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने कहा कि फिल्म पूरी तरह से तथ्यों पर आधारित है.
मामले को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के बीच 15 मार्च को जयपुर में एक बैठक हुई, जिसमें डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी की ओर से दिए गए तर्कों से करणी सेना के सभी प्रतिनिधि सहमत दिखे. लेकिन संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना आखिर में इतिहास से छेड़छाड़ नहीं करने का लिखित आश्वासन देने और फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ाने की मांग सामने रख दी. द्विवेदी ने इन दोनों मांगों से यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि ऐसा करना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है. हालांकि उन्होंने यह अवश्य कहा कि फिल्म पूरी होने के बाद वे करणी सेना के सदस्यों के लिए ‘विशेष स्क्रीनिंग’ का ‘प्रयास’ कर सकते हैं.
डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी के स्क्रीनिंग के भरोसे से भी महिपाल सिंह मकराना के तेवर ढीले नहीं हुए. उन्होंने साफ कह दिया कि जब तक लिखित आश्वासन नहीं दिया जाएगा और स्क्रिप्ट नहीं पढ़ाई जाएगी, हम फिल्म की शूटिंग नहीं होने देंगे. इस ‘धमकी’ से निपटने के लिए यश राज फिल्म्स को शूटिंग रोकने से बेहतर कोई और विकल्प नहीं सूझा. शूटिंग रुकने को करणी सेना अपनी जीत बता रही है. महिपाल सिंह मकराना कहते हैं, ‘हमें खुशी है कि पृथ्वीराज फिल्म की शूटिंग रुक गई है. जब तक हमें पूरी स्क्रिप्ट नहीं पढ़ाई जाएगी और लिखित में यह आश्वासन नहीं दिया जाएगा कि फिल्म में इतिहास से छेड़छाड़ नहीं की जाएगी तब तक हम राजस्थान तो क्या देश-दुनिया के किसी कोने में शूटिंग नहीं होने देंगे.’
सोशल मीडिया से फैली इतिहास से छेड़छाड़ की अफवाह
कमाल की बात यह है कि करणी सेना ‘पृथ्वीराज’ का विरोध सोशल मीडिया पर तैर रही एक जानकारी के आधार पर कर रही है, जिसमें यह बताया गया है कि फिल्म पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की प्रेम कहानी है. महिपाल सिंह मकराना इसकी पुष्टि करते हैं. वे कहते हैं, ‘हमें सोशल मीडिया से यह पता चला कि पृथ्वीराज फिल्म में सम्राट पृथ्वीराज चौहान को प्रेमी के रूप में दिखाया गया है. हम ऐसा किसी कीमत पर नहीं होने देंगे. सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजपूतों का गौरव थे. इस अंतिम हिंदू शासक ने मोहम्मद गौरी को 16 बार हराया था. फिल्म में उन्हें योद्धा ही दिखाया जाए. उन्हें रसिक बताया गया तो हम बर्दाश्त नहीं करेंगे.’
लेखक-निर्देशक डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी इस प्रकार के आरोपों को कोरी अफवाह बताते हैं. वे कहते हैं, ‘मैंने पृथ्वीराज रासो समेत नामी इतिहासकारों की पुस्तकों से स्क्रिप्ट लिखी है. लंबा शोध किया है और देशभर में कई जगह घूमकर छोटी-छोटी जानकारी जुटाई. फिल्म में हर तरीके से राजस्थानी पृष्ठभूमि डालने की कोशिश की है. यहां तक कि शूटिंग के लिए भी राजस्थान का चुनाव किया. मैं स्वयं राजस्थान के सिरोही का रहने वाला हूं. यहां के इतिहास से अच्छी तरह वाकिफ हूं. इससे छेड़छाड़ का मतलब है देश के गौरव के साथ खिलवाड़ करना.’
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यह तो महिपाल सिंह मकराना भी मानते हैं कि डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी इतिहास के अच्छे जानकार हैं और वे जानबूझकर तथ्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे. वे कहते हैं, ‘द्विवेदी जी संजीदा और समझदार आदमी हैं. इतिहास की उन्हें अच्छी समझ है. दूरदर्शन पर उनका चाणक्य सीरियल खूब चर्चित रहा था. उन्होंने हमें भरोसा दिया है कि फिल्म में इतिहास के साथ खिलवाड़ नहीं होगा, लेकिन हम स्क्रिप्ट पढ़े बिना उस पर विश्वास नहीं करेंगे. जब हम संतुष्ट नहीं होंगे, शूटिंग नहीं होगी. हम पहले भी धोखा खा चुके हैं. पद्मावत के समय भी हमें भरोसा दिया गया था, लेकिन बाद में हुआ वही जिसका डर था.’
पद्मावत और जोधा-अकबर पर किया था जमकर बवाल
यह पहला मौका है नहीं है जब करणी सेना ने किसी फिल्म का विरोध किया हो. साल 2006 में संगठन ने आशुतोष गोवारिकर की फिल्म ‘जोधा-अकबर’ के खिलाफ मोर्चा खोला था. आरोप लगाया कि इस फिल्म ने ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की गई है. करणी सेना ने फिल्म में जोधा के चरित्र को पूरी तरह से काल्पनिक बताते हुए कहा गया कि राजपूतों की छवि को खराब करने के लिए इसे गढ़ा गया है. विरोध का आलम यह रहा कि ‘जोधा-अकबर’ राजस्थान में रिलीज नहीं हो सकी. गौरतलब है कि इस फिल्म में हृतिक रोशन ने अकबर और एश्वर्या रॉय ने जोधा का किरदार निभाया था.
करणी सेना ने सबसे तीखा विरोध संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ का किया. इसकी शुरूआत जनवरी 2017 में उस समय हुई जब इस फिल्म की जयपुर के आमेर किले में शूटिंग हो रही थी. उस समय करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने यह कहते हुए फिल्म के सेट पर धावा बोल दिया कि इसमें रानी पद्मावती को अलाउद्दीन खिलजी की प्रेमिका बताया जा रहा है. प्रदर्शनकारियों ने भंसाली को थप्पड़ मारा, बाल खींचे और शूटिंग के साजो-सामान के साथ तोड़फोड़ की. इस घटना के बाद फिल्म की न तो राजस्थान में शूटिंग हुई और न ही इसे यहां रिलीज किया गया.
जिस समय ‘पद्मावत’ रिलीज हुई उस समय भी करणी सेना ने खूब बवाल किया. उनकी देखा-देखी देश के कई राजपूत संगठन फिल्म के विरोध में खड़े हो गए थे. कानपुर क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राजावात ने यहां तक घोषणा कर दी थी कि जो भी अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की नाक काटेगा, उसे करोड़ों रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा. आपको बता दें कि फिल्म में पादुकोण ने रानी पद्मावती का किरदार निभाया था. दीपिका की नाक तो सुरक्षित रही, लेकिन कई शहरों के सिनेमाघरों में तोड़फोड़ हुई.
करणी सेना क्या है और कैसे काम करती है?
जब-जब करणी सेना की ओर से किसी फिल्म का विरोध किया जाता है तब-तब उनसे यह सवाल पूछा जाता है कि संगठन को राजपूत समाज के उत्थान के लिए काम करना चाहिए या फिल्मों का विरोध करना चाहिए. इसका जवाब देते हुए महिपाल सिंह मकराना कहते हैं, ‘हमारा संगठन फिल्मों का विरोध करने के लिए नहीं बना है. हम समाज के लगातार काम करते हैं, लेकिन मीडिया इन्हें स्पेस नहीं देता. हमने सबसे बड़ा काम यह किया है कि देशभर के राजपूतों को एकजुट किया है. आज लाखों युवा एक आवाज पर इकट्ठा हो जाते हैं.’
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मकराना के इस दावे से करणी सेना का इतिहास और वर्तमान मेल नही खाता. दरअसल, राजपूत करणी सेना का गठन लोकेंद्र सिंह कालवी ने साल 2006 में किया था. संगठन की पहचान तब बनी जब उसने राजपूतों को आरक्षण के लिए आंदोलन किया, लेकिन कुछ साल बाद ही इसमें तीन फाड़ हो गईं. अजीत सिंह मामडोली ने राजपूत करणी सेवा समिति और सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना नाम से नया संगठन बना लिया. मामडोली और गोगामेड़ी, दोनों ही शुरुआती संगठन में शीर्ष पद पर रह चुके हैं, लेकिन अब दोनों अपने-अपने संगठनों को असली और दूसरों को नकली बताते हैं. यहां तक कि करणी सेना के असली-नकली होने का मामला अदालत में भी पहुंच चुका है.
जिन महिपाल सिंह मकराना ने ‘पृथ्वीराज’ फिल्म के खिलाफ बिगुल बजाया है वे राजपूत करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. वे कहते हैं, ‘लोकेंद्र सिंह कालवी जी ने जिस संगठन को खड़ा किया है वो ही असली है.’ मकराना के उलट श्री करणी सेना सेवा समिति के अजीत सिंह मामडोली कहते हैं, ‘हमारा संगठन ही मूल संस्था है. इसके लिए हम कोर्ट तक गए.’ वहीं, राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के सुखदेव सिंह गोगामेड़ी अपने संगठन को सर्वोपरि बताते हैं.
(लेखिक वरिष्ठ पत्रकार हैं और जयपुर में रहते हैं. उनका ट्विटर हैंडल @avadheshjpr है.)