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Saturday, 23 November, 2024
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चाचा भतीजे की लड़ाई ने हाईप्रोफाईल बनाया दुर्ग लोकसभा सीट को

दुर्ग का राजनीतिक इतिहास है कि दलों के चुनाव चिन्ह गौण होते देखे गए हैं. यहां पर टिकटें मिल जाने के बाद टिकट कटना ,'पंजा छाप भाजपाई और फूल छाप कांग्रेस' का अभ्युदय आम बात है.

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छत्तीसगढ़/दुर्ग: 19 लाख मतदाताओं वाली दुर्ग लोकसभा सीट अकेले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का गृह जिला या निर्वाचन क्षेत्र होने भर से हाई प्रोफाईल नही हो गई. इस सीट के अन्दरखाने समीकरण इतने खतरनाक हैं कि दोनों राजनीतिक दलों के लिए यह सीट हाई प्रोफाईल हो गई हैं. केन्द्र व राज्य में दोनों प्रमुख दलों की अलग-अलग सरकारें होने के बावजूद कोई भी दल डंके की चोट पर यह कहने तैयार नहीं हैं कि वे चुनाव जीत ही रहे हैं. क्योंकि इस बार किसी कि कोई लहर नहीं है बल्कि मुद्दे भी गायब हैं. इस तरह की खामोशी पहले किसी चुनाव में नही देखी गई.

दरअसल 9 विधानसभा क्षेत्र वाले इस लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस के 8 विधायक हैं और उसमें मुख्यमंत्री समेत चार मंत्री हैं. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव मोतीलाल वोरा इसी शहर से हैं. भाजपा प्रत्याशी विजय बघेल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भतीजे हैं और 2008 के विधानसभा चुनावों में भीतजे विजय से चाचा भूपेश बघेल मात खा चुके हैं. कांग्रेस की प्रत्याशी प्रतिमा चन्द्राकर है जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक गुरू रहे वासुदेव चन्द्राकर की पुत्री हैं.


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दरअसल इस सीट पर जातिगत समीकरण इतने हावी हैं मोदी का विकास और कांग्रेस की तीन माह की सरकार का कामकाज लोग भूलकर यह देख रहे हैं कि कौन किसके करीब है. भाजपा प्रत्याशी विजय बघेल न केवल सर्व कूर्मी समाज के प्रदेश अध्यक्ष हैं बल्कि वे पाटन के पूर्व विधायक के साथ ही भाजपा की सरकार में संसदीय सचिव भी रहे हैं. और मनवा कूर्मी समाज से आते हैं जिसकी संख्या ज्यादा है. भाजपा का एक विंग यह फैलाने में कामयाब हो रहा है कि भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनवा दिया है अब विजय बघेल को संसद में भेजा जाए. लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इन इलाकों में बिना किसी प्रोटोकॉल के गांव-गांव जाकर लोगों को समझा रहे हैं कि अफवाहो से सावधान रहें.

कांग्रेस की दूसरी दिक्कत ये है कि इसी सीट से निवर्तमान सांसद ताम्रध्वज साहू को कांग्रेस आलाकमान ने विधानसभा का चुनाव लड़वाया और उनके जीतते ही वे मुख्यमंत्री के दावेदारों में शुमार हो गए. लेकिन वे बन नहीं बन पाए.

भाजपा द्वारा यह प्रचारित किया जा रहा है कि उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाने से साहू समाज नाराज़ है इसलिए साहू समाज लोकसभा में भाजपा को वोट कर रहा है. वैसे भी पिछले 15 साल से साहू समाज का वोट भाजपा को ज्यादा जाता रहा है. इसी को देखते हुए कांग्रेस ने सांसद रहते ताम्रध्वज साहू को कांग्रेस वर्किंग कमेटी से लेकर राष्ट्रीय स्तर के पदों से नवाजा और विधानसभा का चुनाव भी लड़वा दिया. साहू समाज की बहुलता के चलते भाजपा से चार बार इस सीट से स्व. ताराचन्द साहू सासंद रहे थे. ताम्रध्वज साहू भी मुख्यमंत्री के साथ धुआंधार दौरा कर कांग्रेस के लिए वोट मांग रहे हैं.


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लेकिन दुर्ग का राजनीतिक इतिहास है कि दलों के चुनाव चिन्ह गौण होते देखे गए हैं. यहां पर टिकटें मिल जाने के बाद टिकट कटना ,’पंजा छाप भाजपाई और फूल छाप’ कांग्रेस का अभ्युदय आम बात है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रदीप चौबे की यदि मानें तो इस लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा चुनाव में ही कांग्रेस लगभग 2 लाख वोट से आगे रहे हैं. तीन महीने में ऐसा कोई काम सरकार ने नहीं किया है जिससे यह लीट पट जाए. इसलिए हम कह सकते हैं इस बार भी यहां कांग्रेस भारी वोटों से जीतेगी. दूसरी वैशाली नगर के भाजपा विधायक विद्यारतन भसीन का कहना है कि मोदी के अंडर करेन्ट को हम महसूस कर रहे हैं. विधानसभा की लीड लोकसभा जीतने का पैमाना नहीं हो सकती. चुनाव हम जीत रहे हैं.

(लेखक छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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