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Thursday, 25 April, 2024
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प्रचार में जुटीं सुमित्रा महाजन, टिकट की अनिश्चितता में उलझीं

नौवीं बार टिकट के लिए अड़ीं 'अजेय' ताई. इंदौर में सोमवार को स्थानीय मीडिया से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इंदौर की चाबी किसे सौंपना है यह संगठन तय करेगा.

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नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के टिकट को लेकर भारतीय जनता पार्टी की 14 सूची आने के बाद भी स्थिति साफ नहीं हो सकी है. नौंवी बार इंदौर लोकसभा का टिकट पाने के लिए महाजन अड़ी हुई हैं. पार्टी ने बड़ी आसानी से लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत अन्य नेताओं के टिकट काट दिये हैं. वहीं भाजपा आलाकमान महाजन के मामले में इतनी आसानी से निर्णय नहीं ले पा रहा है. ताई ने स्थानीय मीडिया से चर्चा में कहा कि उनका विकल्प तलाशा जाना चाहिए.

75 का फार्मूला यदि महाजन पर लागू होता है तो भाजपा का गढ़ माने जाने वाली मध्य प्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट का मुकाबला और भी रोचक हो जाएगा. इस बीच इंदौर के जमीनी स्तर पर ताई समर्थकों की बेचैनी नजर आने लगी है. बीते चुनाव तक कमजोर रही कांग्रेस प्रदेश में सत्ता में वापसी के बाद आक्रामक तेवर में आ चुकी है. अंदेशा है कि मध्य प्रदेश के बड़े नेता व कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया इंदौर से कांग्रेस के उम्मीदवार हो सकते हैं.

कुछ समय पहले तक महाजन आश्वस्त थीं कि प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भले ही भाजपा बाहर हो गई है, लेकिन इंदौर लोकसभा चुनाव में दावेदारी उनकी ही होगी. इसे देखते हुए ताई ने तैयारी शुरू कर दी थी. करीब दो महीने पहले तक महाजन कार्याकताओं के साथ बैठक लेने लगीं. प्रचार अभियान छेड़ा जा चुका है, लेकिन अभी टिकट तय नहीं होने से उनकी परेशानी बढ़ती दिख रही है.

महाजन ने कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता प्रकाश चंद सेठी को पराजित कर पहला लोकसभा चुनाव जीता था. शहर के विकास की चाबी सेठी से अपने हाथों में ले ली थी. अब कांग्रेस ने भी पलटवार करते हुए चुनावी मुकाबले में इस नारे के रूप में प्रचार करना शुरू कर दिया है कि ताई से अब शहर की चाबी छीनने का समय आ गया है. इंदौर में ताई के नाम से पहचानी जानी वाली महाजन पर निष्क्रियता के साथ कार्यकर्ताओं से दूरी बनाए रखने के आरोप भी सामने आ रहे हैं. आठ बार की ‘अजेय’ सुमित्रा की सबसे बड़ी चिंता इंदौर पार्टी के वरिष्ठ नेता सत्त नारायण सत्तन हैं. सत्तन काफी पहले ही कह चुके हैं कि अगर ताई को नौंवी बार टिकट मिलता है तो मैं उनके खिलाफ चुनावी मैदान में उतरूंगा.

मप्र भाजपा और इंदौर के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय से सुमित्रा महाजन के राजनीतिक विरोध के किस्से इंदौर में आम हैं. संगठन ने इस बार लोकसभा चुनाव के लिए विजयवर्गीय के सबसे खास दोस्त और विधायक रमेश मैंदोला को इंदौर के चुनावी का संचालक बना दिया है. संगठन के इस दांव ने राजीतिक विश्लेषकों के साथ भाजपा ने स्थानीय नेताओं को भी हतप्रत कर रखा है. रमेश मैंदोला फिलहाल तो महाजन के साथ बैठक ले रहे हैं, लेकिन अंदर ही अंदर सुगबुगाहट होने लगी है कि चुनाव की डोर विजयवर्गीय खुद के हाथों में तो कठपुतली भी उन्हीं की होगी.

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हालांकि, कैलाश भाजपा के बंगाल के प्रभारी बनाये गये हैं. वह एक और बयान दे रहे हैं कि चुनाव नहीं लड़ेंगे बंगाल में अपना पूरा ध्यान देंगे. दूसरी ओर भोपाल में कांग्रेस के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने की इच्छा बताकर सुर्खिया बटोर रहे हैं. इदौर की राजनीति को समझने वाले मान रहे हैं कि कैलाश भी इंदौर से लोकसभा के टिकट के दावेदार हो सकते हैं.

महिला के सामने महिला

तीन बार स्वच्छता में नंबर वन बना इंदौर देश में अपनी अलग पहचान बना चुका है. लोकसभा टिकट की रस्साकसी में नंबर वन का सेहरा बांधे इंदौर की महापौर भी दावेदारी कर रही हैं. महिला के बदले महिला को टिकट देने के फार्मूले के तहत स्थानीय महिला विधायक ऊषा ठाकुर की दावेदारी भी मजबूत मानी जा रही है.

वे इंदौर लोकसभा के तीन अलग अलग विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ीं और जीत चुकी हैं. जब वे चुनाव जीतीं तब यह तीनों ही सीटें कांग्रेस के पक्ष की मानी जा रही थीं. ठाकुर करीब पांच साल पहले ही कैलाश विजयवर्गीय के गुट में शामिल हुई मानी जा चुकी हैं. साथ ही वे केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की विश्वस्त कही जाती हैं.

ऐसे में महाजन नहीं हुईं तो महापौर मालिनी गौड़ को पीछे छोड़कर ठाकुर के लिए टिकट लाना आसान होगा. गौड़ के खिलाफ संगठन ही आवाज उठा रहा है कि विधायक के साथ महापौर के दोहरा पद तो उन्हें दे ही दिया गया है, अब सांसद का टिकट देकर संगठन एक ही परिवार की झोली में सब कुछ क्यों डालने पर तुला है.

टिकट के अन्य दावेदरों में चौंकाने वाला नाम इंदौर विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष शंकर लालवानी है. उन्हें आज तक विधानसभा का टिकट नहीं मिला है, लेकिन इस चुनाव में इंदौर में सिंधी आबादी का हवाला देकर लालवानी टिकट की लॉबीइंग में लगे हुए हैं. इनके पास बहुत बड़ी टीम तो नहीं है, लेकिन अपना टिकट कटता देख सुमित्रा महापौर मालिनी गौड़ और कैलाश विजयवर्गीय के नाम पर वीटो लगाकर शंकर का नाम आगे बढ़ा सकती हैं. मध्य प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह का बयान लालवानी को ताकत दे रहा है कि सिंह कह चुके हैं कि इंदौर का टिकट ताई की मर्जी से ही तय होगा.

कांग्रेस की ओर से कोई भी स्थानीय दावेदार मजबूत नहीं माना जा रहा है. बीते दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ से हुई मुलाकात के बाद कांग्रेस से एक बार अभिनेता सलमान खान का नाम तो दूसरी बार अभिनेता गोविंदा का नाम हवा में उछला. दोनों फिल्मी सितारों ने इसे अफवाह करार दिया है. अब प्रदेश के बड़े नेता ज्योतिरादित्य सिधिंयिा का नाम इंदौर के दावेदारों में सबसे ऊपर माना जा रहा है.

कमलनाथ भोपाल से दिग्विजय को मैदान में उतार चुके हैं और कह भी चुके हैं कि कमजोर सीटों से मजबूत उम्मीदवार मैदान में उतरेंगे. ऐसे में इंदौर के लिए सिंधिया सबसे सशक्त उम्मीदवार माने जा रहे हैं. होलकर कालीन राजधानी रहा इंदौर में करीब तीन लाख मराठी भाषी वोटर है. सिंधिया के मराठी भाषी होने का लाभ कांग्रेस को मिलता दिख रहा है. महाजन का टिकट कटा तो ये लोग कांग्रेस के पाले में आ सकते हैं और अपने लिए कमजोर लगने वाली इंदौर लोकसभा सीट पर आठ बार चुनाव हारने वाली कांग्रेस फिर से कब्जा जमा सकती है. इससे पहले इंदौर में मप्र क्रिकेट एसोसिएशन के राजनीतिक गहमागहमी से भरे चुनाव में सिंधिया इंदौर से कद्दावर नेता कैलाश विजयर्गीय को हरा चुके हैं. ऐसे में सिंधिया के मुकाबले मजबूत उम्मीदवार कांग्रेस के पास कोई हो ही नहीं सकता.

मोदी के नाम पर मजाक

जानकारी के अनुसार हाल ही में इंदौर की सांसद सुमित्रा महाजन सहित शहर के भाजपा नेताओं की कार्यालय में बैठक हुई. बैठक के बाद महाजन ने कहा था कि इंदौर भाजपा की पारंपरिक सीट है. यहां से अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव लड़ें तो कैसा रहेगा. इस पर भाजपा के नगर अध्यक्ष समेत अन्य लोगों ने हामी भर दी कि अगर मोदी इंदौर से लड़ेंगे तो अच्छा होगा. जब मीडिया में यह बात फैली तो पीएम मोदी के इंदौर से लड़ने के सवाल पर सांसद महाजन ने कहा कि यह बातें बैठक का हिस्सा नहीं हैं. यह केवल मजाकिया लहजे में उन्होंने कही थी. वहीं इंदौर भाजपा ने इस बात को भी बाद में खारिज करते हुए कहा कि पीएम मोदी को इंदौर से लोकसभा चुनाव लड़ने के प्रस्ताव को संगठन को नहीं भेजा गया है.

विकल्प तलाशा जाना चाहिए, नाम संगठन तय करेगा

सुमित्रा महाजन ने सोमवार को मीडिया से चर्चा में कहा कि इंदौर की चाबी किसे दें यह संगठन तय करेगा. उनका विकल्प तलाशा जाना चाहिए, महापौर मालिनी गौड़ के नाम की सहमति पर उन्होंने कहा कि नाम संगठन तय करेगा.

गौरतलब है कि इंदौर से नौंवी बार चुनाव लड़ने के मसले पर सुमित्रा महाजन ने कुछ दिनों पहले मीडिया से चर्चा में कहा था कि ‘अगर इंदौर लोकसभा सीट की चाबी देने का समय आया, तो मैं भाजपा के ही किसी योग्य व्यक्ति के हाथों में यह चाबी सौंपूंगी.’ इंदौर की चाबी उचित व्यक्ति को सही समय पर मिल जायेगी. अभी तो मैं यह चाबी अपने पास ही रखने की स्थिति में हूं. मैं अच्छे से चल-फिर और देख पा रही हूं व ठीक तरह सब (जिम्मेदारियां) संभाल रही हूं.

इंदौर संसदीय क्षेत्र से लगातार आठ बार से सांसद चुनी गईं सुमित्रा महाजन को इंदौरवासी स्नेह से ‘ताई’ यानि बड़ी बहन कहकर बुलाते हैं. मामूली से कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत करने वाली ताई काफी संघर्ष के बाद लोकसभा अध्यक्ष तक पहुंचीं. मीरा कुमार के बाद महाजन लोकसभा अध्यक्ष बनने वाली दूसरी महिला हैं. महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के चिपलुन में 12 अप्रैल 1943 में जन्मी महाजन ने 1982 में इंदौर नगर निगम के पार्षद के तौर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. इसके बाद वे 1984—85 तक शहर की उप महापौर भी रहीं.

1989 में ताई पहली बार इंदौर से चुनावी मैदान में उतरीं. उनका सामना कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रकाशचंद्र सेठी से था. उस दौरान ताई ने सेठी से कहा था कि वह अब इंदौर की बहू के रूप में चुनावी लड़ रही हैं. बहू होने के नाते उन्हें इंदौर की चाबी सौंप दी जाए. इस चुनाव में ताई ने अच्छे अंतराल से जीत हासिल की. इसके बाद अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान वे राज्यमंत्री भी रहीं. मानव संसाधन, संचार—प्रौद्योगिकी व पेट्रोलियम—प्राकृतिक गैस जैसे महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा संभाला. भाजपा में ताई हमेशा अपनी साफ छवि, ईमानदारी और सरलता के अलावा शहर से शानदार रिकार्ड से जीत हासिल करने के लिए मानी जाती हैं. उन्होंने सक्रिय सांसद के रूप में शहर से जुड़े मुद्दों को संसद में दमदारी से उठाया. महाजन ने 16वीं लोकसभा चुनाव में इंदौर से 4.67 लाख मतों के अंतर से जीत दर्ज करके लगातार आठवीं बार लोकसभा सीट जीती.

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