नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष और इंदौर से सांसद सुमित्रा महाजन ने इंदौर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है. अभी तक इस सीट से प्रत्याशी घोषित नहीं होने के चलते नाराज सुमित्रा ताई ने यह फैसला लिया. ताई ने पत्र लिखकर अपनी नाराज़गी जाहिर करते हुए इसकी घोषणा की. उन्होंने पत्र में लिखा है कि भाजपा ने आजतक अपना उम्मीदवार इंदौर से घोषित नहीं किया है. यह अनिर्णय की स्थिति क्यों हैं? संभव है कि पार्टी को निर्णय लेने में संकोच हो रहा है. ताई के इस निर्णय के बाद भाजपा इंदौर से किसे चुनावी मैदान में उतारेगी इसे लेकर ऊहा-पोह की स्थिति बनी हुई है. बता दें कि सुमित्रा महाजन आठ बार से इंदौर की सांसद रहीं हैं.
पार्टी नि:संकोच होकर फैसला ले
सुमित्रा ताई ने पत्र में लिखा है, ‘हालांकि मैंने पार्टी में वरिष्ठों से इस संदर्भ में बहुत पहले ही चर्चा की थी. निर्णय उन्हीं पर छोड़ा था. लगता है कि उनके मन में अब भी कुछ असमंजस है. इसलिए मैं यह घोषणा करती हूं कि मुझे अब लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ना है.अत: पार्टी अपना निर्णय मुक्त मन से करें. नि:संकोच होकर निर्णय करें.’
इंदौर के लोगों ने आज तक जो मुझे प्रेम दिया भाजपा व सभी कार्यकर्ताओं ने जिस लगन से सहयोग दिया और जिन लोगों ने मुझे आज तक सहयोग किया,उन सभी की मैं हृदय से आभारी हूं. अपेक्षा करती हूं कि पार्टी जल्द ही अपना निर्णय करेगी ताकि आने वाले दिनों में सभी को काम करने में सुविधा होगी तथा असमंजस की स्थिति समाप्त होगी. दिप्रिंट हिंदी ने इस मामले में जब इंदौर संसदीय क्षेत्र से सुमित्रा महाजन के सांसद प्रतिनिधि राजेश अग्रवाल से इस पत्र की पुष्टि के लिए चर्चा की तो उन्होंने इसे सही बताया है.
मुझे बुरा नहीं लगेगा, पार्टी बेफिक्र होकर निर्णय ले
खत जारी करने के बाद सुमित्रा महाजन ने मीडिया से चर्चा में कहा, ‘मैं कुछ दिनों से यह महसूस कर रही थी कि इंदौर लोकसभा सीट पर पार्टी निर्णय लेने में देरी क्यों कर रही है. पार्टी सोंच रही थी कि कहीं ताई को बुरा न लग जाए. मैं भी लोगों से सुन रही थी कि ताई आप भी 75 की कैटेगरी में हैं. अब मैं भी 75 साल की हो रही हूं तो उसी कैटेगरी में आ गई हूं.’
‘कल से नया साल शुरु हो रहा है. नए साल में अगर पार्टी को निर्णय लेना है तो उनके लिए आसानी हो सकेगी. मैंने इंदौर से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला सोच समझकर लिया है. मुझे कैसा लगेगा यह छोड़कर पार्टी चिंता मुक्त होकर इंदौर के उम्मीदवार पर निर्णय ले. पार्टी ने मुझे बहुत कुछ दिया है. हम सब मिलकर मैदान में उतरेंगे.’
गौरतलब है कि भाजपा इससे पहले वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और कलराज मिश्रा को लोकसभा चुनाव 2019 के चुनावी मैदान में उतारने से इंकार कर दिया है.
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Lok Sabha Speaker Sumitra Mahajan's letter announcing that she doesn't want to contest the 2019 elections. She also asks why a candidate has not been declared yet from Indore, appeals to BJP to name a candidate pic.twitter.com/zruHJVCBXF
— ANI (@ANI) April 5, 2019
इंदौर के टिकट को लेकर हो रही देरी पर दिप्रिंट ने पहले ही अंदेशा ज़ाहिर किया था
दिप्रिंट हिंदी ने एक अप्रैल की अपनी रिपोर्ट में इस बात का अंदेशा जाहिर किया था कि पार्टी संगठन सुमित्रा महाजन का टिकट काट सकता है. हाल ही में स्थानीय मीडिया से चर्चा में भी सुमित्रा ताई ने इसका संकेत दिया था कि उनका विकल्प तलाशा जाना चाहिए. पार्टी हर स्तर पर इंदौर की सीट से एक सर्वमान्य नेता की तलाश कर रही है. वहीं कांग्रेस पार्टी ने भी अब तक इंदौर सीट पर उम्मीदवार नहीं उतार कर सस्पेंस को बरकरार रखा हुआ है.
गौरतलब है कि इंदौर से नौंवी बार चुनाव लड़ने के मसले पर सुमित्रा महाजन ने कुछ दिनों पहले मीडिया से चर्चा में कहा था कि ‘अगर इंदौर लोकसभा सीट की चाबी देने का समय आया, तो मैं भाजपा के ही किसी योग्य व्यक्ति के हाथों में यह चाबी सौंपूंगी.’ इंदौर की चाबी उचित व्यक्ति को सही समय पर मिल जायेगी. अभी तो मैं यह चाबी अपने पास ही रखने की स्थिति में हूं. मैं अच्छे से चल-फिर और देख पा रही हूं व ठीक तरह सब (जिम्मेदारियां) संभाल रही हूं.
1989 में ताई पहली बार इंदौर से चुनावी मैदान में उतरीं. उनका सामना कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रकाशचंद्र सेठी से था. उस दौरान ताई ने सेठी से कहा था कि वह अब इंदौर की बहू के रूप में चुनावी लड़ रही हैं. बहू होने के नाते उन्हें इंदौर की चाबी सौंप दी जाए. इस चुनाव में ताई ने अच्छे अंतराल से जीत हासिल की. इसके बाद अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. इंदौर संसदीय क्षेत्र से लगातार आठ बार से सांसद चुनी गईं सुमित्रा महाजन को इंदौरवासी स्नेह से ‘ताई’ यानि बड़ी बहन कहकर बुलाते हैं.महाजन ने 16वीं लोकसभा चुनाव में इंदौर से 4.67 लाख मतों के अंतर से जीत दर्ज करके लगातार आठवीं बार लोकसभा सीट जीती.