प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मीडिया और सोशल मीडिया में अपनी ऊर्जा, ओजस्वी भाषणों और नेतृत्व क्षमता के लिए जाने जाते हैं. 2014 के बाद 2019 के लोकसभा चुनावों में भी मोदी सिर्फ अपने नाम पर वोट मांगने वाले एकमात्र भारतीय नेता हैं. उनका संदेश साफ रहता है कि मतदाता का वोट उसके सांसद को नहीं अपितु सीधा नरेंद्र मोदी को जाएगा. जो चुनाव सांसद चुनने के लिए होता है, नरेंद्र मोदी ने अपने व्यक्तित्व के जादू से उसे प्रधानमंत्री चुनने वाला बना दिया है.
2014 से ही गाहे-बगाहे इस तरह की चर्चा होती रही है कि अगर मोदी गदहे को भी खड़ा कर दें वो जीत जाएगा. यूपी विधानसभा चुनावों के दौरान भी ऐसे वाकये हुए थे जिनमें लोगों को कैंडिडेट का पता नहीं था, बस वोट मोदी को करना था. इन वोटर्स में सिर्फ पुरुष ही नहीं थे, औरतें भी थीं.
सवाल ये है कि इतनी अथॉरिटी वाला व्यक्ति औरतों की नजर में कैसा है?
हरियाणा के रेवाड़ी की सुनीता वोट के सवाल पर दोटूक कहती हैं- ‘बोट तो मोदी को ही दयूंगी’. उनके साथ खड़ी औरतें भी हंसकर यही कहती हैं. नरेंद्र मोदी से शादी के सवाल पर बिरबानियां (औरतें) हंसने लगती हैं. कहती हैं कि इस जन्म में कित (कहां) संभव है. उनके साथ की एक औरत गंभीर होकर कहती है कि मोदी सबको ठीक कर देता है, क्यों ना कर लेंगे शादी? नरेंद्र मोदी के एंग्री स्ट्रॉन्ग मैन वाली इमेज पर ये औरतें कहती हैं- मर्द को ऐसा ही होना चाहिए. छो (गुस्सा) तो मर्द की शोभा है, बस सही बात पर आए तो. औरतों की तरह नरम स्वभाव वाला मर्द ठीक नहीं लगता.
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हालांकि नरेंद्र मोदी की शादी के मुद्दे को लेकर काफी चर्चाएं रहती हैं. जशोदाबेन का नाम यदा-कदा उछलता रहता है. पर सुनीता और उनकी साथी औरतों के लिए ये मुद्दा नहीं है. वो कहती हैं- इसमें क्या बुराई है? साथ नहीं भाया, तो अलग हो गया. मार-पीट तो नहीं की? दारू-शराब तो नहीं पी? घर में दूसरी लड़कियों को तो नहीं लाया?
औरतों के इस जवाब को लेकर दिप्रिंट ने हरियाणा की मेन्स राइट्स एक्टिविस्ट दीपिका नारायण भारद्वाज से बात की तो उन्होंने कहा- ‘नरेंद्र मोदी जी अब सिंगल हैं. साथ ही उनकी बहुत पहले हुई शादी को लेकर अब सवाल खड़े करना उचित नहीं है. किसी भी वजह से ये शादी टूट सकती है. औरतों का इस प्रकार मोदी के बारे में सोचना प्राकृतिक है. हरियाणा में तो सामान्यत: माचो मैन की इमेज को अच्छा ही माना जाता है.’
शराब तो नहीं पी, मार-पीट तो नहीं की, तो शादी में क्या हर्ज़ है?
बिहार के सासाराम की कंचन मोदी से शादी के सवाल पर हंस के दोहरी हो जाती हैं. कहती हैं कि ‘एज डिफरेंस’ बहुत ज्यादा है. थोड़ा कम रहता तो कौन ना कर लेता शादी. कंचन की साथी औरतें भी हंसती हैं और कंचन को ‘नरेंद्र मोदी बो’ कहकर चिढ़ाने लगती हैं. बिहार के भोजपुरी बोले जाने वाले इलाकों में पत्नी को उसके पति के नाम के आगे ‘बो’ लगाकर बुलाया जाता है. उदाहरण के लिए किसी राकेश की पत्नी को राकेश बो कहकर बुलाया जाएगा.
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कंचन कहती हैं कि ऐसा पति किसको अच्छा नहीं लगेगा जो बड़े-बड़े लोगों को धमका के बात कर लेता है, जो अपराधियों को मिनटों में ठीक कर देता है. वो अपने गांव के सरपंच का उदाहरण देती हैं. कहती हैं कि अगर मोदी मेरे पति होते तो क्या वो सरपंच हमारे काम को टाल देता? कंचन के मुताबिक मोदी पीएम ना होकर किसान पति भी होते तो सरपंच ये काम नहीं टाल सकता था. उनके साथ की औरतें इस बात पर हामी भरती हैं. वोटिंग पर इन औरतों का मत अलग-अलग था.
नरेंद्र मोदी की शादी को लेकर कंचन का भी यही मानना है कि शांति से अलग हो जाने में कोई बुराई नहीं. मार-पीट तो नहीं की, शराब तो नहीं पी. बिहार में शराब एक समस्या बन गई थी. कंचन ने बताया कि शराबबंदी के बाद नीतीश कुमार को महिलाओं ने काफी वोट किया था. पतियों के द्वारा शराब पीकर मार-पीट करना एक बहुत बड़ी समस्या है.
यूपी के आजमगढ़ की कविता बताती हैं कि वोट तो अखिलेश को देंगे. लेकिन नरेंद्र मोदी की बड़ाई करती हैं. कहती हैं कि वो आदमी हमेशा साफ-सुथरा दिखता है. किसी राजा की तरह. चलने का अंदाज भी ‘मर्दों’ की तरह है. नरेंद्र मोदी की शादी के सवाल पर कहती हैं कि कम से कम तलाक ले लेना चाहिए था. लेकिन ये भी जोड़ती हैं कि कम से कम मार-पीट तो नहीं की. शांति से अलग हो जाना क्या बुरा है? कम से कम उनकी पत्नी बुरी हालत में तो नहीं हैं. पर ये भी कहती हैं कि ‘छोड़ी हुई औरत’ ही अपना हाल जानती है. समाज कभी नहीं समझ सकता कि उसके दिल पर क्या गुजरती है.
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मध्य प्रदेश की संजू बताती हैं कि नरेंद्र मोदी जी शादी के लिए तो उपयुक्त व्यक्ति हैं. जब दिप्रिंट ने संजू से पूछा कि आप शादी करेंगी तो उन्होंने ‘ना’ में जवाब दिया क्योंकि वो पहले से शादीशुदा हैं. ये पूछने पर कि शादी नहीं हुई होती तो कर लेतीं क्या? ये सवाल उन्होंने हंसकर टाल दिया. फिर कहा कि नहीं करती. ये समझने लायक बात है क्योंकि भारतीय समाज में शादी होते ही कई जन्मों का बंधन लग जाता है. शादी के बाद ये भी कहना मुश्किल है कि शादी के पहले मैं किसी को पसंद करती थी.
शादी या कैजुअल अफेयर?
कई औरतें नरेंद्र मोदी के अथॉरिटी वाले व्यक्तित्व पर राजी दिखीं. उनके हिसाब से शादी करने के लिए नरेंद्र मोदी के ये गुण सामने नजर आते हैं-
1. प्रभावशाली और आत्मविश्वासी
2. साफ सुथरे कपड़े पहनना
3. सबको ठीक कर देने की क्षमता
4. बुरे लोगों के खिलाफ एक्शन लेने की क्षमता
5. खुद के लिए लालच नहीं
पर शादी के हिसाब से नरेंद्र मोदी के कौन से गुण समस्या पैदा करते हैं, इसके भी रोचक जवाब मिले-
1. जरूरत से ज्यादा व्यस्त
2. पैसा इकट्ठा करना नहीं जानते
3. कब छोड़कर चले जाएं, नहीं पता
4. क्रोध कभी कभी समस्या भी पैदा कर सकता है
संयुक्त परिवार से जुड़ी इन औरतों से ‘सेक्स पार्टनर’ के बारे में नहीं पूछा जा सकता, क्योंकि जवाब नहीं मिलेंगे. शादी के माध्यम से ही पूछा जा सकता है. गौरतलब है कि ग्रामीण परिवेश में अभी भी सेक्स को शादी से ही जोड़कर देखा जाता है. पितृसत्तात्मक समाज की औरतों को अथॉरिटी वाले व्यक्ति पसंद आने की संभावना होती है. क्योंकि वो उसी तरीके से पली बढ़ी होती हैं.
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बनारस की कॉलेज स्टूडेंट पूनम कहती हैं कि नरेंद्र मोदी से शादी हो जाने पर रोज लड़ाई होगी. पहले तो वो ‘भाईयों और बहनों’ से अपनी बात कहना शुरू करेंगे, जो कोई बर्दाश्त नहीं करेगा. वहीं वो किसी की बात नहीं सुनने वाले तो बात करने का फायदा ही नहीं. अब सिर्फ सुनने के लिए कोई शादी तो नहीं करेगा. हां, एक कैजुअल अफेयर की बात पर पूनम कहती हैं कि ये ‘एक्साइटिंग’ हो सकता है.
दिप्रिंट ने मनोवैज्ञानिक डॉक्टर अश्ना गुप्ता से बात की तो उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री की योजनाएं इस चीज में काफी प्रभाव डालेंगी. घर पर छत देना, गैस सिलेंडर और महिलाओं से जुड़ी योजनाएं लॉन्च करने से महिलाओं का भावनात्मक जुड़ाव आसानी से हो सकता है. एक परंपरागत ग्रामीण महिला अपने पति के रूप में ऐसा इंसान खोजना चाहेगी जो उसे सुरक्षा का एहसास दे सके.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी औरतों से बात करने में सहज भी हैं
पीएम मोदी की कंगना रनौत, अनुष्का शर्मा, प्रियंका चोपड़ा से लेकर इवांका ट्रंप के साथ तस्वीरें आई हैं. पीएम ऐसा कोई मौका नहीं जाने देते जिसमें किसी सेलिब्रिटी से बड़े सेलिब्रिटी ये खुद नजर आ रहे हों. इन तस्वीरों में मोदी सहज नजर आते हैं. खुलकर बात करते हैं और हंसते हैं.
देश के विभिन्न भागों में औरतों का विभिन्न मत होगा. लेकिन अपने व्यक्तित्व के दम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगभग हर जगह पहुंचने में कामयाब रहे हैं. निश्चित रूप से औरतें इन पर पॉजिटिव या नेगेटिव राय रख सकती हैं.
(औरतों के नाम बदल दिए गए हैं)