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Friday, 19 April, 2024
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आडवाणी की मौजूदा कार्यकर्ताओं को सलाह, कहा- भाजपा से अलग राय रखना देश-द्रोह नहीं

आडवाणी ने ब्लॉग लिख कर कहा कि देश की सेवा करना मेरा पैशन और मिशन रहा है. इसमें देश पहले, फिर पार्टी और उसके बाद मैं के विचारों पर चलता रहा हूं.

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नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी 6 अप्रैल को अपना स्थापना दिवस मनाने जा रही है. इस मौके पर पार्टी को स्थापित करने वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने एक ब्लॉग लिखकर पार्टी के कार्यकर्ताओं को पार्टी के विचारों से अवगत कराने की कोशिश की है और अपने विचार भी साझा किये हैंं. उन्होंने साफ-साफ लिखा है कि भाजपा से अलग राजनीतिक राय रखना देश विरोधी होना बिल्कुल नहीं है. आडवाणी लिखते हैं कि अपने उदय के काल से ही भाजपा ने अपने राजनीतिक विरोधियों को अपना दुश्मन नहीं माना है, बल्कि विपक्षी के तौर पर देखा है.

भारतीय लोकतंत्र की यह खूबसूरती है कि हम विविधता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं. अपनी स्थापना के बाद से ही भाजपा ने राजनीतिक रूप से अलग विचार रखने वालों को कभी अपना दुश्मन नहीं, बल्कि उन्हें सलाहकार के रूप में ही देखा. भारतीय राष्ट्रवाद की हमारी अवधारणा में हम लोगों ने जो हमसे राजनीतिक तौर पर अलग विचार रखते हैं या असहमत हैं उन्हें देशद्रोही या एंटी नेशनल नहीं कहा. पार्टी व्यक्तिगत और राजनीतिक स्तर पर प्रत्येक नागरिक की पसंद और स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध है.

आडवाणी ने इशारा करते हुए लिखा है कि अंदर और पार्टी के बाहर बड़े राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में लोकतंत्र और लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करना पार्टी का हॉलमार्क रहा है. भाजपा हमेशा से मीडिया सहित हमारे सभी लोकतांत्रिक संस्थानों की स्वतंत्रता, अखंडता, निष्पक्षता और मजबूती की मांग करती रही है.

आडवाणी लिखते हैं कि दूसरी प्राथमिकता चुनावी सुधार, खासकर राजनीतिक और चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता को लेकर रही है, जो कि भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति के लिए सबसे जरूरी है.

संक्षेप में, तीन बातें- सत्य (सत्य), राष्ट्र निष्ठा (राष्ट्र के प्रति समर्पण) और लोकतंत्र (लोकतंत्र, पार्टी के भीतर और बाहर दोनों) ने संघर्ष से भरे पार्टी के विकास को दिशा दी.

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इन सभी मूल्यों के सार से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद (कल्चरल नेशनलिज्म) और सुु-राज (गुड-गवर्नेंस) का गठन होता है, जिसकेे के लिए हमारी पार्टी हमेशा वफादार रही. इन मूल्यों को ठीक तरीके से कायम रखने के लिए आपातकाल के खिलाफ हमारी पार्टी ने बहादुरी से संघर्ष किया था.

वह आगे लिखते हैं कि उनकी ईमानदार ख्वाहिश है कि हम सभी को भारत के लोकतांत्रिक निर्माण को मजबूत करने के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करना चाहिए.

सच है, चुनाव लोकतंत्र का त्यौहार है. लेकिन यह भारतीय लोकतंत्र के सभी हितधारकों- राजनीतिक पार्टियों, मीडिया, चुनाव प्रक्रिया का संचालन करने वाले अधिकारियों, और इन सबसे ऊपर मतदाता के लिए भी ईमानदारी से आत्म निरीक्षण का अवसर है.

आडवाणी ने लिखा है कि 14 साल की उम्र में जब से आरएसएस ज्वाइन किया है तब से मातृभूमि की सेवा करना मेरा पैशन और मिशन रहा है. मेरा राजनीतिक जीवन अभिन्न तौर पर मेरी पार्टी स करीब 7 दसकों तक जुड़ा रहा  है- सबसे पहले भारतीय जनसंघ और उसके बाद भारतीय जनता पार्टी और मैं दोनों का संस्थापक सदस्य रहा.

‘इसमें देश पहले, फिर पार्टी और उसके बाद मैं’ का सिद्धांत मेरे जीवन को दिशा देने वाले रहे. और सभी स्थिति में, मैंने इस सिद्धांत का पालन करने की कोशिश की है और आगे भी करता रहूंगा. उन्होंने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति में, हमने राजनीतिक रूप से अलग विचार रखने वालों को देशविरोधी नहीं माना है.

हमारी पार्टी हर नागरिक के चुनने की आजादी को लेकर प्रतिबद्ध है. अपने ब्लॉग में आडवाणी ने लिखा है कि पार्टी का स्थापना दिवस हमारे लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है. भाजपा के एक संस्थापक के तौर पर मैं अपना अनुभव भारत के लोगों के साथ साझा करना चाहता हूं और इससे भी बढ़कर भाजपा कार्यकर्ताओं से जिनके प्रेम और आदर ने मुझे ऋणी बनाया है. उन्होंने इस ब्लॉग में गांधीनगर की जनता को भी धन्यवाद दिया है और कहा है कि मैं उनका दिल से शुक्रगुजार हूं जिन्होंने मुझे 1991 से जिताया. इस मौके पर उन्होंने पंडित दीन दयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी सहित सभी महान कार्यकर्ताओं को भी याद किया है.

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