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Saturday, 21 September, 2024
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‘संविधान संशोधन से श्रीलंका का संकट खत्म नहीं होगा, राजनीतिक संस्कृति में बदलाव जरूरी’

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कोलंबो, 22 अप्रैल (भाषा) श्रीलंका के पूर्व सेना प्रमुख फील्ड मार्शल सरथ फोंसेका ने कहा है कि कर्ज में डूबे देश में मौजूदा संकट को खत्म करने के लिए संविधान संशोधन लाना और राष्ट्रपति शासन प्रणाली समाप्त करना काफी नहीं है। उन्होंने देश में ”राजनीतिक संस्कृति में बदलाव” की आवश्यकता को रेखांकित किया।

श्रीलंका की प्रमुख विपक्षी पार्टी, समाजी जन बालवेगया (एसजेबी) ने बृहस्पतिवार को एक संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया, जिसमें देश में 1978 से चली आ रही राष्ट्रपति शासन प्रणाली को खत्म करने तथा इसके स्थान पर संवैधानिक लोकतंत्र को मजबूत करने वाली प्रणाली स्थापित करने सहित कई प्रस्ताव रखे गए हैं।

एसजेबी के सांसद फोंसेका ने बृहस्पतिवार को संसद में कहा, ”यदि किसी स्कूल में कोई प्रिंसिपल किसी बच्चे को परेशान करने वाला काम करता है तो आपको प्रिंसिपल का पद खत्म नहीं करना चाहिये, बल्कि उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिये। ”

एसजेबी ने यह कदम देश के सबसे खराब आर्थिक संकट को लेकर राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनकी पार्टी श्रीलंका पोदुजाना (पेरामुना) के नेतृत्व वाली सरकार के इस्तीफे की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि में उठाया है।

‘द डेली मिरर’ की खबर के अनुसार फोंसेका ने संसद में कहा, ”मुझे नहीं लगता कि संविधान संशोधन से श्रीलंका को कुछ मदद मिलेगी। हमें राजनीतिक संस्कृति में बदलाव की जरूरत है। फिलहाल संविधान संशोधन और अंतरिम सरकार के गठन से श्रीलंका को कोई मदद नहीं मिलने वाली।”

भाषा जोहेब पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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