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Saturday, 28 September, 2024
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युद्ध क्षेत्र से छत की तलाश में युक्रेन से भागी महिलाएं, दूसरे देशों में भी हैं मुश्किल हालात में

24 फरवरी, 2022 को रूस के आक्रमण के बाद से यूक्रेन छोड़ने वाले 36 लाख यूक्रेनी लोगों में लगभग सभी महिलाएं और बच्चे हैं. 18 से 60 वर्ष की आयु के पुरुषों और लड़कों को रूसी सेना के खिलाफ देश की रक्षा के लिए यूक्रेन में रहना आवश्यक है.

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डेनवर: युद्ध से बचने का प्रयास अपने आप में खतरनाक होता है. मीडिया ने खबर दी है कि यूक्रेन की शरणार्थी महिलाओं और लड़कियों के साथ उन जगहों पर बलात्कार किया जा रहा है जहां वह सुरक्षा की उम्मीद में पहुंची थीं.

24 फरवरी, 2022 को रूस के आक्रमण के बाद से यूक्रेन छोड़ने वाले 36 लाख यूक्रेनी लोगों में लगभग सभी महिलाएं और बच्चे हैं. 18 से 60 वर्ष की आयु के पुरुषों और लड़कों को रूसी सेना के खिलाफ देश की रक्षा के लिए यूक्रेन में रहना आवश्यक है.

नागरिकों को निशाने पर लेकर किए जा रहे रूसी हमलों से बचने के लिए, ये महिलाएं और बच्चे मुख्य रूप से पोलैंड और अन्य यूरोपीय देशों कर रूख कर रहे हैं, जहां वीजा बंदिशों में नरमी है.

मानवीय संगठनों ने यूक्रेनी शरणार्थियों को भोजन और आश्रय जैसी ज़रूरतें देने के लिए कई कार्यक्रम चलाए हैं.

दुनियाभर में लोग अपने घरों में इन लोगों को रहने की जगह दे रहे हैं.

जर्मनी में एक न्यूरोसाइंटिस्ट ने 24 मार्च, 2022 को ट्विटर पर लिखा कि एक सुबह उसे एक फोन आया, जिसमें फोन करने वाले ने उसे याद दिलाया कि उसने स्वेच्छा से शरणार्थियों की मेजबानी की पेशकश की है. अब, दो बच्चों वाली एक माँ और एक बिल्ली को मदद की ज़रूरत थी.

फोन करने वाले का सवाल था, ‘क्या आप उन्हें अपने घर में रख सकती हैं? न्यूरोसाइंटिस्ट ने कहा, ‘ठीक है, कब?’ … जवाब आया ‘अभी.’ और 15 मिनट बाद, वे एक स्वयंसेवक के साथ उनके दरवाजे पर थे.’

यूनाइटेड किंगडम ने एक नई नीति की घोषणा की जो यूक्रेनियन को बिना शुल्क अपने घर में रखने वाले स्थानीय लोगों को प्रति माह लगभग 455 डॉलर का अनुदान देगी.

लेकिन ये प्रयास, चाहे कितने भी अच्छे क्यों न हों, यूक्रेनी महिलाओं और लड़कियों के लिए यौन हिंसा और तस्करी के नए जोखिम लेकर आते हैं. हालांकि मदद की पेशकश करने वाले अधिकांश सामान्य लोग नेक इरादे वाले होते हैं, लेकिन मौके का फायदा उठाकर किसी को किसी तरह का नुकसान पहुंचाने का एक मामला भी अपने आप में बहुत है.

मेरे शोध से पता चलता है कि मानवीय सहायता कर्मियों तक को भी नागरिकों के खिलाफ दुर्व्यवहार करने से रोकना मुश्किल है, आंशिक रूप से संगठनात्मक संस्कृतियों के कारण.

यौन हिंसा को रोकना और उसका जवाब देना और भी चुनौतीपूर्ण है जब यह उन लोगों द्वारा किया जाता है जो किसी सहायता प्रदान करने वाली एजेंसी या शरणार्थियों की मदद करने वाली गैर-लाभकारी संस्था के लिए काम नहीं करते हैं.

जोखिम को समझना

संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि यूक्रेन से भागने वाले बच्चों, विशेष रूप से परिवार से अलग हुए बच्चों को यौन शोषण अथवा काम कराने के लिए तस्करी के उच्च जोखिम का सामना करना पड़ रहा है.

अब तक, कम से कम 500 यूक्रेनी बच्चे 24 फरवरी से 14 मार्च के बीच अपने आप यूक्रेन से सीमा पार करके रोमानिया पहुंच चुके हैं. अभी और के आने की संभावना है.

यूक्रेनी किशोर लड़कियां आसरे के लिए जिन देशों में पहुंच रही हैं, उन देशों में निवासियों द्वारा उनके साथ दुर्व्यवहार किए जाने की भी खबरें हैं. पोलैंड में, एक व्यक्ति को मार्च के मध्य में एक 19 वर्षीय यूक्रेनी शरणार्थी के साथ बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया गया.

पोलिश पुलिस ने कथित तौर पर एक बयान में कहा, ‘वह युद्धग्रस्त यूक्रेन से भागकर आई थी और पोलिश भाषा नहीं बोल पा रही थी. उसने एक ऐसे व्यक्ति पर भरोसा किया जिसने उसकी मदद करने और उसे आश्रय देने का वादा किया था. दुर्भाग्य से, यह सब उसकी कपटी चाल थी’.

मार्च के मध्य में जर्मनी में, दो लोगों ने कथित तौर पर एक यूक्रेनी किशोरी के साथ मारपीट की, जो शरणार्थियों के लिए एक होटल की बोट में रह रही थी. जर्मन सरकार ने घोषणा की थी कि जो लोग यहां आश्रय चाहते हैं, उन्हें वह मिलेगा.

एक महिला प्रवासी या शरणार्थी के रूप में हिंसा का अनुभव करना असामान्य नहीं है.

ऐसा अनुमान है कि 5 में से 1 शरणार्थी महिला और लड़कियां घर से अपनी यात्रा के दौरान, साथ ही शरणार्थी शिविरों और आश्रयों जैसे स्थानों में यौन हिंसा का सामना करती हैं. वे मानव तस्करी के लिए भी जोखिम में होती हैं.

मेक्सिको और लीबिया जैसे स्थानों पर आपराधिक नेटवर्क से जुड़े लोग भी प्रवासी मार्गों पर महिलाओं और लड़कियों की तलाश में रहते हैं.

सहायता संगठन, सरकारें और गैर-लाभकारी संगठन मुख्यत: शरणार्थियों को भोजन, आश्रय और अन्य बुनियादी सेवाएं देने पर ध्यान केंद्रित करते हैं और यौन हिंसा को रोकने या ऐसी घटनाओं पर प्रतिक्रिया करने के तरीकों पर ज्यादा तवज्जो नहीं देते हैं.

समस्या बनी हुई है

पिछले 20 वर्षों में ऐसा भी देखा गया है कि सहायता कर्मियों ने उन्हीं लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया, जिनकी उन्हें सहायता करनी थी. 2002 में, पश्चिम अफ्रीका में सहायता कर्मियों और संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों द्वारा नागरिकों को गाली देने के आरोप सामने आए.

सहायताकर्मियों द्वारा यौन हिंसा की घटनाएं दुनिया भर में संघर्षों और शरणार्थी संकटों में एक सतत समस्या बनी हुई है.

संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवीय समूहों ने फोन हॉटलाइन स्थापित करके, कर्मचारियों की जांच प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने और पीड़ितों के लिए दुर्व्यवहार की सूचना देने को आसान बनाने में मदद करने के लिए काम किया है. इन समूहों ने पीड़ित लोगों के लिए कानूनी सहायता और मानसिक स्वास्थ्य संसाधनों का विस्तार करने का भी प्रयास किया है. लेकिन ज्यादातर इन प्रयासों का कोई फायदा नहीं हुआ है.

इस बीच, इस बारे में जानकारी बहुत कम है कि उन स्थितियों से कैसे निपटा जाए जिनमें स्थानीय लोग महिलाओं और लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं जैसे कि यूक्रेन के किशोर जिनका जर्मनी और पोलैंड में कथित तौर पर बलात्कार किया गया.


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सहायता करने वालों की जांच

वर्तमान में, शरणार्थियों को स्वतंत्र रूप से सहायता की पेशकश करने वाले लोगों की जांच करने के लिए कोई केंद्रीकृत प्रणाली या तरीका नहीं है.

सहायता की पेशकश करने वालों के साथ आश्रय चाहने वालों को जोड़ने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे तकनीक-आधारित समाधानों को सोशल मीडिया मंचों पर बनाया और प्रचारित किया गया है, हालांकि दुर्व्यवहार के जोखिम को कम करने के लिए ऐसे लोगों की जांच का कोई बंदोबस्त नहीं है जो शरणार्थियों को अपने घरों में रखने की पेशकश कर रहे हैं.

शरणार्थियों के साथ काम करने वाले कुछ मानवीय कार्यक्रम परिवहन सूचनाओं के साथ ही संभावित खतरों के बारे में चेतावनी देने पर काम करते हैं.

ऐसे हालात मे खुद को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी शरणार्थियों पर ही आ जाती है. वह भी तब जब ऐसा करने के लिए उनके पास धन या अन्य संसाधन उपलब्ध नहीं हैं.

आगे क्या करना होगा

दुनिया भर में अन्य संकटों के बीच यौन हिंसा पर दशकों से किए जा रहे काम से मिले सबक यूक्रेनी शरणार्थियों के प्रति दुर्व्यवहार के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं.

अनुसंधान से पता चलता है कि यौन हिंसा का सामना करने वालों की सहायता करने के लिए जिन महिला दुभाषियों को प्रशिक्षित किया गया है, वे शरणार्थियों को सेवाओं तक पहुँचने और अपने नए देशों में मदद लेने में सहायता कर सकती हैं.

शरणार्थी महिलाएं स्वयं भी यौन हिंसा को रोकने और उसका जवाब देने का काम कर सकती हैं, लेकिन उन्हें जोखिमों और हमले की सूचना देने के तरीके के बारे में बता देना ही काफी नहीं है. उदाहरण के लिए उन्हें आवास की समस्याओं को हल करने में मदद के लिए धन की जरूरत होगी, अन्यथा वह असुरक्षित माहौल में फंस सकती हैं.

एशिया में शोध में पाया गया कि महिला शरणार्थियों के नेतृत्व में अन्य शरणार्थियों के लिए आयोजित सामुदायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं की सूचना देने में सुधार किया और पुलिस, कानूनी या चिकित्सा सहायता मांगने वाली महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई.

मेरा मानना ​​है कि यूक्रेनी शरणार्थी महिलाओं को इसी तरह के अवसरों का लाभ उठाने के लिए तब तक मदद दी जानी चाहिए जब तक कि वे घर वापस नहीं चली जातीं.

द कन्वरसेशन

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.


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