अनास्तासिया ह्रोनिस द्वारा, प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय सिडनी
सिडनी, 21 जनवरी (द कन्वरसेशन) यदि आपने कभी एक वयस्क के रूप में नए दोस्त बनाने की कोशिश की है, तो आपको पता चलेगा कि नए दोस्त बनाना बहुत कठिन होता है और शायद यही वजह है कि अकेलापन इस कदर बढ़ गया है।
स्कूल में, दोस्त बनाना इतना ही आसान होता है, जितना एक साथ मंकी बार में जाना। लेकिन वयस्कों के रूप में, दोस्ती बनाना, विकसित करना और बनाए रखना अधिक कठिन हो जाता है।
यह मायने रखता है, क्योंकि हमें दोस्तों की जरूरत होती है। इसमें दो राय नहीं कि पुराने दोस्त सोने की तरह होते हैं, लेकिन कुछ भी हमेशा एक जैसा नहीं रहता। पुराने दोस्त दूर चले जाते हैं, या उनका समय बच्चों के पालन-पोषण या उनके करियर में लग जाता है।
अगर कुछ किया न जाए तो अकेलापन आपके चारों ओर चुपचाप बढ़ सकता है। यह गंभीरता से लेने लायक है, क्योंकि अब सबूत बताते हैं कि पुराना अकेलापन घातक हो सकता है – मृत्यु दर पर एक दिन में 15 सिगरेट पीने के बराबर प्रभाव जितना।
यह सिर्फ आपके साथ ही नहीं हैं। कई देशों में, अकेलापन महामारी के अनुपात में है। और यह कोविड-19 से पहले था, जिसमें हमारे लिए अपने दोस्तों से मिलना बहुत कठिन हो गया था।
भरोसे की चुनौती
कोविड से पहले, लगभग एक तिहाई आस्ट्रेलियाई लोगों ने कम से कम एक बार अकेलापन महसूस करने की सूचना दी। चूंकि कोविड हमारे काम और सामाजिक जीवन में व्यापक रूकावटें लाया है, इसलिए अकेलापन बढ़ गया है। सर्वेक्षणों से पता चलता है कि अब आधे से अधिक (54%) ऑस्ट्रेलियाई महामारी की शुरुआत के बाद से अधिक अकेलेपन का अनुभव करते हैं।
कोविड के बाद के नये सामान्य हालात में पहुँचने के साथ ही, आपको मित्रता का जायजा लेने की जरूरत है – और यह आकलन भी करें कि क्या आपको लगता है कि आपका सामाजिक जीवन ठीक है, या थोड़ी मदद का इस्तेमाल कर सकते हैं।
जब शोधकर्ताओं ने हाल के एक अध्ययन में दोस्त बनाने के बारे में वयस्कों का साक्षात्कार लिया, तो सबसे महत्वपूर्ण चुनौती, जिसका हवाला दिया गया वह विश्वास की कमी थी। यानी, लोगों को बड़े होने के बाद किसी नए व्यक्ति पर भरोसा करना कठिन लगता था।
शायद इसीलिए बहुत से लोग अपने पुराने दोस्तों, जिनपर उन्होंने पिछले कई वर्षों में विश्वास बनाया है, को यथासंभव लंबे समय तक बनाए रखने की कोशिश करते हैं।
यह किसके लिए अधिक कठिन है? पुरुषों की तुलना में महिलाओं के यह कहने की अधिक संभावना थी कि उन्होंने आसानी से नए दोस्त नहीं बनाए क्योंकि वह नये लोगों पर आसानी से भरोसा नहीं कर पाती हैं।
तो वयस्कों के रूप में ऐसा क्यों होता है? दरअसल, वयस्कों के रूप में, हम बच्चों की तुलना में अधिक आत्म-जागरूक होते है। हालांकि यह अक्सर सकारात्मक होता है, इसका मतलब यह भी है कि हम दूसरों द्वारा हमारे बारे में कोई राय कायम किए जाने, पसंद न किए जाने, अस्वीकार किए जाने और आहत किए जाने के जोखिमों के बारे में अधिक जागरूक हैं। या शायद इसका मतलब यह है कि हम हाई स्कूल में हैं और अपनी उम्र के 20 के दशक से गुजर चुके हैं।
यदि हम मित्र के रूप में पहले ठुकराए जा चुके हैं या हमारा विश्वास टूटा है, तो भविष्य में दूसरों पर भरोसा करना हमारे लिए कठिन हो सकता है। एक नए दोस्त पर भरोसा करने का मतलब है खुद के बारे में खुलकर बात करना, जैसा कि हम रिश्तों में करते हैं।
दोस्ती को समय चाहिए
विश्वास के बाद समय का मसला आता है। वयस्कों से जब दोस्त बनाने में आने वाली दिक्कतों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने ‘‘समय की कमी’’ को ‘‘विश्वास की कमी’’ के बाद दूसरा सबसे आम कारण बताया।
यह हम में से ऐसे कई लोगों के लिए महत्व नहीं रखता, जिनके पास काम का वयस्त शेड्यूल होता है, कुछ लोग परिवार में ज्यादा घुले मिले होते हैं या कुछ काम और परिवार दोनो में व्यस्त होते हैं। ऐसे लोगों के लिए दोस्तों के लिए समय निकाल पाना मुश्किल होता है। यहां तक कि कोई अच्छा दोस्त मिलने के बावजूद हम उसके लिए वक्त नहीं निकाल पाते हैं।
बड़ी उम्र के लोगों के लिए यह एक बड़ी समस्या है, यह देखते हुए कि अधिकांश लोग उम्र के साथ साथ अपने दायित्वों को भी बढ़ाते जाते हैं।
वास्तव में दोस्त बनाने में कितना समय लगता है? हमें यह जानकर आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि हलकी फुलकी जान पहचान की तुलना में घनिष्ठ मित्रता को बनने में अधिक समय लगता है।
अमेरिकी शोधकर्ताओं ने इसे मापने की कोशिश की है, यह अनुमान लगाते हुए कि मामूली जान पहचान से दोस्ती की तरफ जाने में लगभग 50 घंटे लगते हैं, जबकि एक जिगरी दोस्त बनाने के लिए 200 घंटे से अधिक का समय लग जाता है।
इतना ही नहीं, आप जो घंटे एक साथ बिताते हैं वह गुणवत्तापूर्ण होने चाहिएं। आप काम के दौरान सहयोगियों के साथ भी समय बिताते हैं, लेकिन दोस्ती बढ़ाने में, पेशेवर बातचीत ज्यादा मायने नहीं रखती है। नई दोस्ती विकसित करने के लिए, आपको व्यक्तिगत संबंध की आवश्यकता है। दोस्ती को मजबूत करने के लिए अंतरंग बातचीत होना जरूरी नहीं है। अचानक मिलने पहुंच जाना और इधर-उधर की मजाहिया बातें करना उतना ही महत्वपूर्ण हो सकता है।
द कन्वरसेशन एकता
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