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शनिवार, 7 जून, 2025
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बच्चे क्यों छोड़ना चाहते हैं खेल-कूद, अभिभावकों को ऐसे में क्या करना चाहिए?

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(केसी डिटमैन, लेक्चरर/हेड ऑफ कोर्स (अंडरग्रेजुएट साइकोलॉजी), सीक्यू यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया)

ब्रिसबेन, तीन जनवरी (द कन्वरसेशन) नए साल में अक्सर बच्चों के खेल का नया सीजन शुरू होता है।

ऐसे में कई परिवार इस बात को लेकर असमंजस में होते हैं कि अपने बच्चों को नए सीजन में हिस्सा लेने दें या फिर उनका खेलना छुड़ा दें।

मेरे पति और मैंने पिछले साल इस दुविधा का सामना किया था जब हमारा नौ साल का बच्चा ‘निपर्स’ खेल छोड़ना चाहता था। इस दौरान हमने बहुत भावुक महसूस किया।

सामूहिक खेलों के लाभ से संबंधित विभिन्न शोध पर गौर करने के बाद अभिभावकों के लिए यह समझना आसान हो जाता है कि उनके बच्चे को खेल-कूद कब छोड़नी चाहिए।

ऐसे में आइए अध्ययन के माध्यम से जानते हैं कि बच्चे खेल-कूद क्यों छोड़ना चाहते हैं और इस परिस्थिति में अभिभावकों को क्या करना चाहिए?

प्राथमिक स्कूली शिक्षा खत्म होने के दौरान सामूहिक खेलों में बच्चों की भागीदारी की दर चरम पर होती है और किशोरावस्था में पहुंचने पर इसमें महत्वपूर्ण गिरावट आती है।

किशोरावस्था के दौरान खेल छोड़ने का एक कारण बहुत सारे खेलों के बजाय किसी एक खेल पर ध्यान केंद्रित करना या फिर दूसरी गतिविधियां (जैसे स्कूली कार्य, कामकाज या समाज से जुड़ना) होती हैं।

बच्चों के खेल छोड़ने के फैसले को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में से एक, दूसरे लोगों (माता-पिता, कोच और साथियों) का दबाव होता है।

वयस्कों की अपेक्षाएं, व्यवहार और दृष्टिकोण अनायास ही उनके खेल के अनुभवों को खराब कर सकते हैं।

यह दबाव कई रूपों में आ सकता है, जिसमें गैर-वास्तविक उच्च अपेक्षाएं, जीतने पर ध्यान केंद्रित करना, मैच के बाद तीखी बहस और आलोचनात्मक टिप्पणियां शामिल हैं।

वयस्कों पर ये कथित दबाव उन मुख्य कारणों में शामिल है, जिनके चलते बच्चे खेल छोड़ देते हैं। इस दबाव के चलते उन्हें खेल में मजा नहीं आता और वे ऊब जाते हैं। या फिर वे यह महसूस करने लगते हैं कि वे अच्छा नहीं खेलते।

बच्चों के लिए खेलकूद के क्या फायदे हैं?

जब आपका बच्चा कहता है कि वह अपने खेल को छोड़ना चाहता है, तो इस पर चिंतन करें और जानें कि क्या वजह है। हो सके तो बच्चे के साथ भी इस पर चर्चा करें।

सामूहिक खेल युवाओं में स्वास्थ्य और फिटनेस को बढ़ावा देने के साथ-साथ कौशल विकास व दक्षताओं का निर्माण करते हैं। इन खेलों से बच्चों में टीमवर्क, लचीलेपन, हताशा और निराशा से निपटने, समस्याओं को हल करने व लक्ष्य निर्धारित करने जैसे गुण पैदा होते हैं।

खेल बच्चों और उनके परिवारों के लिए सामाजिक जुड़ाव को भी बढ़ावा दे सकते हैं। यह अपनेपन और सामाजिक पहचान की भावना में योगदान देते हैं।

खेलों के जरिए पैदा होने वाला सामाजिक जुड़ाव बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है। साथ ही ये सामाजिक जुड़ाव चिंता और अवसाद जैसी समस्याओं से बचने में भी उनकी मदद कर सकता है।

ऑस्ट्रेलिया में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि जो बच्चे आठ से दस साल की उम्र में खेल छोड़ देते हैं, उनके खेल खेलते रहने वालों की तुलना में सामाजिक और भावनात्मक समस्याओं से ग्रस्त होने का अधिक खतरा होता है।

जब बच्चा छोड़ना चाहता हो तो माता-पिता क्या कर सकते हैं?

इस सवाल का कोई आसान उत्तर नहीं है। इसका जवाब बच्चे और उनकी स्थिति के संबंधित विशिष्ट कारकों पर निर्भर करता है।

ऐसे में बच्चों से पूछें कि उन्हें खेल के बारे में क्या पसंद नहीं है। क्या किसी खेल के अनुसार ढलने के लिए उन्हें अपने आप में बदलाव की आवश्यकता महसूस हो रही है? क्या टीम बदलने या किसी डिवीजन को छोड़ने से कोई फर्क पड़ सकता है?

इन सवालों का जवाब ढूंढने के लिए आप फिर से खेल के बारे में अध्ययन करके एक महीने के बाद कोई फैसला ले सकते हैं।

इस तरह खेल के नफे-नुकसान का गहन अध्ययन करने के बाद आप यह तय कर सकते हैं कि बच्चे को खेलकूद में हिस्सा लेते रहना है या फिर उसे यह छोड़ देना चाहिए। कुल मिलाकर अध्ययन में यह बात सामने आई है कि बच्चों का खेलकूद छुड़ाते समय जल्दबाजी न करके ठंडे दिमाग से कोई फैसला लेना चाहिए।

(द कन्वरसेशन) जोहेब नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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