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Saturday, 4 May, 2024
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क्यों चीन है रूस के लिए ‘तुरुप का पत्ता’ जिससे कामयाब हो सकती है उसकी यूक्रेन रणनीति

रूस को यूक्रेन पर किसी भी संभावित आक्रमण में चीनी सैन्य की जरूरत नहीं है लेकिन बीजिंग का राजनीतिक और आर्थिक समर्थन पुतिन के लिए उत्साहजनक है.

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नई दिल्ली: इस साल के बीजिंग विंटर ओलंपिक को याद करने के लिए कई वजह होंगी. इसे मानवाधिकार रिकॉर्ड की आलोचनाओं के साथ-साथ इसलिए भी याद रखा जाएगा कि यह खेल रूस और पश्चिम के बीच रणनीतिक तनाव में आयोजित किया जा रहा है.

यूक्रेन और रूस संकट ने खेल और एकता के अंतर्राष्ट्रीय आयोजन को कई बार प्रभावित किया.

खेलों का अंत पूर्वी यूक्रेन में लड़ाई बढ़ने के साथ हुआ.  यूक्रेन के खिलाफ रूस का आक्रमण कुछ हफ़्ते पहले अटकलों और बहस का विषय था, वह अब संघर्ष के जोखिम में बदल चुका है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन संकट को अपने देश के पक्ष में हल करने को लेकर पहले से कही अधिक विश्वास दिखाते रहे हैं.

विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन के इस विश्वास के पीछे लड़खड़ाती यूक्रेनी अर्थव्यवस्था, रूस की सैन्य शक्ति और एक नया ट्रम्प कार्ड, चीन है.

चार महीने की उत्सुक प्रत्याशा कि रूस आगे क्या कर सकता है और पश्चिमी दूतावासों द्वारा राजधानी कीव से पश्चिमी शहर ल्वीव में ट्रांस्फर होने के फैसले का यूक्रेन की अर्थव्यवस्था पर हानिकारक प्रभाव पड़ा है.

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हालांकि, यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने युद्ध को लेकर दहशत फैलाने के लिए बाइडेन प्रशासन की आलोचना करते हुए कहा कि यह देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है. इसके अलावा, रूस अपने गैस निर्यात के लिए पारगमन राज्य के रूप में देश की अहमियत को कम करके यूक्रेन पर अपने आर्थिक दबाव को बढ़ा रहा है.

विशेषज्ञों का मानना है कि यूक्रेन के जरिए रूसी गैस का प्रवाह जनवरी में ऐतिहासिक स्तर पर गिर गया जिसका मतलब है कि यूक्रेन के लिए पारगमन करों में कम राजस्व.

यहां तक की संकट ने यूक्रेन की करंसी को डॉलर के मुकाबले चार साल के निचले स्तर तक गिरा दिया. इसकी वजह से  काला सागर बंदरगाहों समेत यूक्रेनी एयरलाइंस को यूक्रेनी निर्यात के लिए उच्च बीमा दर का सामना करना पड़ा.

एक यूक्रेनी अर्थशास्त्री का कहना है कि संकट ने पिछले कुछ हफ्तों में पहले ही अर्थव्यवस्था को कई अरब डॉलर का नुकसान हुआ है.

पुतिन राजनयिक वार्ता के लिए सहमत हैं इसके बावजूद यह भी साफ है कि रूस पीछे हटने वाला नहीं है.

रूस अपनी सैन्य शक्ति का इस्तेमाल करते हुए पश्चिम के साथ अपने सौदेबाजी के खेल में संघर्ष के खतरे के बावजूद आगे बढ़ने के लिए तैयार है. हालांकि, इसमें वास्तविक युद्ध का खतरा भी है जो रूस की अपनी अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है.

हाल ही में रूस ने ग्रोम (थंडर) नाम से अपना एक वार्षिक रणनीतिक परमाणु बल का अभ्यास किया था. 2022 की दूसरी छमाही से उन्हें आगे लाने का फैसला जानबूझकर किया गया था. इसके पीछे की मंशा पश्चिमी नेताओं को परमाणु महाशक्ति के रूप में रूस की स्थिति और सैन्य रूप से इसका सामना करने से जुड़े जोखिमों की याद दिलाना था.

साथ ही, यह घोषणा की गई कि रूस और बेलारूस इस पिछले सप्ताहांत के बाद भी अपनी संयुक्त अभ्यास गतिविधियों को जारी रखेंगे. नाटो का अनुमान है कि वर्तमान में लगभग 30,000 रूसी सैनिक बेलारूस में हैं. क्रेमलिन का मानना है कि दस साल के सुधारों और बड़े पैमाने पर धन खर्च करने से रूसी सेना अब एक उम्रदराज, खराब-संसाधनों वाले बल से दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेनाओं में शामिल हो गई है.

इसके अलावा, रूस का मानना ​​है कि अमेरिका और नाटो यूक्रेन पर खुले संघर्ष का जोखिम नहीं उठाएंगे. इसलिए, इस तरह से अपनी सैन्य ताकत को जारी रखते हुए, पुतिन पश्चिमी नेताओं से उम्मीद कर रहे हैं कि वो कीव में अधिकारियों पर रूस की शर्तों पर पूर्वी यूक्रेन में संकट का राजनीतिक समाधान पेश करने के लिए दबाव डालेंगे.


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तुरुप का पत्ता

चीन कार्ड, पुतिन के लिए सबसे शक्तिशाली साबित हो सकता है. जबकि रूस और चीन पिछले कुछ सालों से अपनी नजदीकियां बढ़ रहे हैं. ओलंपिक की शुरुआत में पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच एक शिखर सम्मेलन ने पश्चिमी देशों में खतरे का संकेत दिया.

कुछ अमेरिकी और यूरोपीय अधिकारियों ने तो यहां तक ​​कह दिया कि यह ‘विश्व व्यवस्था के पुनर्गठन के बराबर’ हो सकता है. सबसे पहले, दोनों नेताओं ने 117 अरब अमेरिकी डॉलर के रूसी तेल और गैस को चीन भेजने के लिए एक दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर किए. अगर आक्रमण होता है तो यह समझौता मॉस्को को रूस से यूरोप तक नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन को रोकने के अमेरिकी खतरों से संभावित नतीजों को कम करने में मदद करेगा.

दूसरे संयुक्त बयान ने पश्चिम के खिलाफ रूसी रणनीतियों के लिए चीन के राजनीतिक समर्थन को औपचारिक रूप दिया गया था.  इसमे सबसे अहम था कि पहली बार चीन ने नाटो के विस्तार के लिए रूस के विरोध का समर्थन किया.

सप्ताहांत में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में अपने भाषण के दौरान चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने इस बात की पुष्टि की और पूर्वी यूक्रेन के रूसी समर्थक क्षेत्रों के राजनीतिक समाधान पर रूस के समर्थन वाले मिन्स्क समझौते का समर्थन किया.

हालांकि रूस को यूक्रेन पर किसी भी संभावित आक्रमण में चीनी सैन्य की जरूरत नहीं है लेकिन बीजिंग का राजनीतिक और आर्थिक समर्थन पुतिन के लिए उत्साहजनक है.

बदले में, बीजिंग को मॉस्को से बड़ा फायदा होगा. जिसमें उसने सबसे पहले नाटो के खिलाफ रूस का समर्थन करने के लिए सहमत होकर ताइवान पर मॉस्को का फिर से समर्थन हासिल कर लिया है. चीन ताइवान पर अपना क्षेत्र होने का दावा करता है. वास्तव में, चीन यूक्रेन के प्रति रूस के दृष्टिकोण को एक मॉडल के रूप में पेश करके ताइवान को हथियाने के लिए दबाव डाल सकता है या द्वीप पर एकमुश्त आक्रमण कर सकता है.

दूसरा, चीन अब अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच नए एयूकेयूएस सुरक्षा समझौते के खिलाफ अपने संतुलनकारी खेल में रूस पर भरोसा कर सकता है.

तीसरा, शी देश की सत्ता में और मजबूत होने के लिए पुतिन के साथ अपने सौहार्दपूर्ण संबंधों का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस साल के अंत में, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी अपनी 20वीं पार्टी कांग्रेस आयोजित करेगी – जो शी के नेतृत्व के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण होगा. पुतिन को चीन में एक मजबूत नेता के रूप में देखा जाता है, इसलिए शी के लिए सत्ता में एक और कार्यकाल हासिल करने के प्रयास के दौरान उनका समर्थन होना अहम हो सकता है.

अभी के लिए, समय पुतिन के पक्ष में है – यह एक बड़ा रणनीतिक कारक है जो पश्चिम के पास नहीं है. वहीं, रूस, चीन और पश्चिम के बीच दुश्मनी जितनी गहरी होगी बीजिंग और मॉस्को में उतनी ही नजदीकी बढ़ने की संभावना है.

(भाषा के इनपुट से)


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