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बुधवार, 4 जून, 2025
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गीत-पक्षी हमें तलाक और आगे बढ़ने के बारे में क्या सिखा सकते हैं

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(फ्रिग जेन डैन स्पीलमैन, मैक्वेरी विश्वविद्यालय)

सिडनी, चार जून (द कन्वरसेशन) माता-पिता द्वारा बच्चों की परवरिश करने वाले पारंपरिक पारिवारिक ढांचे में अचानक बदलाव आना बहुत आम बात है। आमतौर पर, ऐसा तब होता है जब माता-पिता अलग होने का फैसला करते हैं।

अलग होने का फैसला करने वाले कई जोड़े इस बदलाव को अच्छी तरह से संभालने में सक्षम होते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इस कदम से उनके बच्चे अत्यधिक प्रभावित न हों। लेकिन इसकी गारंटी नहीं है। माता-पिता के अलग होने से बच्चों में व्यवहार, विकास और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसका असर लंबे समय तक रह सकता है।

ये तो बात हुई मनुष्यों की, लेकिन कई अन्य प्रजातियों में भी संतान को पालने के लिए दीर्घकालिक साथी चुनने की ऐसी ही व्यवस्था है। जब ये जोड़े अलग हो जाते हैं तो इसका क्या प्रभाव पड़ता है?

हमारे नए शोध में, हम जांच करते हैं कि उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में रहने वाली एक पक्षी प्रजाति में परिवार के टूटने के बाद क्या होता है, जो अपनी दीर्घकालिक साझेदारी के लिए जानी जाती है। हमें आश्चर्य हुआ कि हमने पाया कि अलगाव का उनके बच्चों के स्वास्थ्य पर कोई दीर्घकालिक प्रभाव नहीं पड़ा।

अधिकतर पक्षी जोड़े के रूप में संतानों को पालने के लिए मजबूत साझेदारी बनाते हैं। शिशु पक्षियों को पालना एक गहन काम है। घोंसले में दोनों (माता-पिता) का होना अकसर चूजों के जीवित रहने के लिए आवश्यक होता है।

सेशेल्स वार्बलर प्रजाति भी इसका कोई अपवाद नहीं है। ये छोटे आकार के गीत पक्षी केवल मेडागास्कर के उत्तर-पूर्व में सेशेल्स में रहते हैं। ये अकसर जीवन भर के लिए जोड़ी बनाते हैं और एक साथ मिलकर रहते हैं। छोटे आकार की इस चिड़िया की सबसे लंबी साझेदारी 15 साल दर्ज की गई है।

हालांकि, इन वार्बलर के लिए भी पारिवारिक जीवन हमेशा सही नहीं होता। सभी वार्बलर जोड़ों में से, लगभग सात में से एक (14 प्रतिशत) अलग हो जाते हैं।

इन मामलों में, माता-पिता में से एक अपना क्षेत्र छोड़ देता है और अन्यत्र नया साथी ढूंढ़ता है, जबकि उनके मूल घोंसले में अब भी अंडा या नवजात बच्चा मौजूद होता है।

आपको कैसे पता चलेगा कि कोई पक्षी तनावग्रस्त है?

अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की एक टीम ने दशकों तक सेशेल्स के कजिन द्वीप पर वार्बलर की आबादी का अध्ययन किया। उन्होंने जो आंकड़े इकट्ठा किए हैं, उसमें सभी पक्षियों की रिश्ते की स्थिति के बारे में जानकारी शामिल है। साथ ही उनके स्वास्थ्य, जीवनकाल और वे कितने बच्चे पैदा करते हैं, इसके बारे में भी आंकड़े शामिल हैं।

इन आंकड़े का उपयोग करके, हमने देखा कि अलग हो चुके जोड़ों की संतानों का क्या हुआ।

हमने उन पक्षियों के बच्चों के तनाव के स्तर को मापा जो अपने माता-पिता के रिश्ते के खत्म होने से ठीक पहले पैदा हुए थे। इन बच्चों के पैदा होने से लेकर किशोरावस्था तक के इनके तनाव स्तर को मापा गया।

मनुष्यों में, लार और बालों में कोर्टिसोल के स्तर को देखकर तनाव को मापना आम बात है। लेकिन, पक्षियों में तनाव को मापना थोड़ा अलग है। ऐसा करने के लिए, हमने तीन बिंदुओं का इस्तेमाल किया जो पक्षियों द्वारा अनुभव किए जाने वाले शारीरिक तनाव को इंगित करते हैं। पहला है ‘टेलोमेर’ की लंबाई यानी क्रोमोसोम के अंत में सुरक्षात्मक ‘‘कैप’’, जो डीएनए को नुकसान से बचाते हैं। टेलोमेर जितने छोटे होंगे, तनाव उतना ही अधिक होगा।

दूसरा रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं का प्रतिशत है, जो दर्शाता है कि एक वार्बलर पक्षी का बच्चा ऑक्सीजन का कितना अच्छा उपयोग कर सकता है। तीसरा शारीरिक स्थिति है, जो एक पक्षी के वसा भंडार को इंगित करता है। इन तीन बिंदुओं से हमें युवा वार्बलर के तनाव के स्तर और स्वास्थ्य का अनुमान लगाने में मदद मिलती है।

हम यह भी जानना चाहते थे कि क्या माता-पिता के अलग होने से वार्बलर के बच्चों पर आजीवन प्रभाव पड़ेगा। यह जानने के लिए, हमने अलग हुए पक्षियों के बच्चों की तुलना उन बच्चों से की जो अपने माता-पिता के साथ रह रहे थे और यह मूल्यांकन किया कि वे कितने समय तक जीवित रहे और उन्होंने कितने बच्चे पैदा किए।

वार्बलर के अलग होने से उनके बच्चे तनावग्रस्त नहीं होते : हमने जो पाया वह आश्चर्यजनक था। इस बात का कोई सबूत नहीं था कि माता-पिता के अलग होने से इन पक्षियों के बच्चों के तनाव के स्तर या उनके लंबा जीवन जीने और प्रजनन की क्षमता पर कोई असर पड़ा हो।

हम इससे क्या सीख सकते हैं : हमारे शोध से पता चलता है कि वार्बलर पक्षी के बच्चे अपने माता-पिता के अलग होने को हमारी अपेक्षा से बेहतर तरीके से झेल पाते हैं।

(द कन्वरसेशन) शफीक नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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