संयुक्त राष्ट्र : कोविड-19 महामारी से उपजी परिस्थितियों के बीच भारत में 2020 में डिप्थीरिया-टिटनेस-पर्टुसिस (डीटीपी) टीके की पहली खुराक नहीं लगवाने वाले बच्चों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा रही. संयुक्त राष्ट्र की तरफ से यह जानकारी दी गई.
विश्व निकाय ने चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि पिछले साल कोविड-19 की वजह से आई बाधाओं के चलते दुनिया में 2.3 करोड़ बच्चों ने नियमित टीकाकरण सेवाओं के जरिये दिए जाने वाली टीके की यह खुराक नहीं लगवाई.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और संयुक्त राष्ट्र की बच्चों की एजेंसी यूनीसेफ के आंकड़े दर्शाते हैं कि 2020 में नियमित स्वास्थ्य सेवाओं के तहत लगाया जाने वाला यह टीका 2.3 करोड़ बच्चों को नहीं लग सका. यह 2009 के बाद ऐसे बच्चों की सबसे ज्यादा संख्या है और 2019 के मुकाबले 37 लाख ज्यादा है.
बच्चों के विश्वव्यापी समग्र टीकाकरण के ये आंकड़े पहले आधिकारिक आंकड़े हैं जो यह दर्शाते हैं कि कोविड-19 के कारण वैश्विक सेवाएं बाधित हुई हैं, ये आंकड़े दर्शाते हैं कि पिछले साल अधिकतर देशों में बच्चों के टीकाकरण की दर में गिरावट आई है.
संरा ने कहा, ‘चिंताजनक रूप से, इनमें से अधिकतर- 1.7 करोड़ बच्चों – के साल भर में एक भी टीका नहीं लगवाने की आशंका है, जो टीके की पहुंच को लेकर पहले से व्याप्त असमानताओं को और बढ़ाएगा.’ वैश्विक निकाय ने कहा कि इनमें से अधिकतर बच्चे संघर्ष प्रभावित समुदायों, बेहद दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले या अनौपचारिक तौर पर झुग्गी बस्तियों में रहने वाले हैं जहां वे मूलभूत स्वास्थ्य एवं प्रमुख सामाजिक सेवाओं की कमी जैसी कई चुनौतियों का सामना करते हैं.
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. द्रोस अदहानोम गेब्रेयेसस ने कहा, ‘देश कोविड-19 टीकों को हासिल करने के लिये जूझ रहे हैं लेकिन हम अन्य टीकाकरणों के मामले में पिछड़ गए हैं और बच्चों को खसरा, पोलियो और मेनिंजाइटिस जैसी विनाशकारी लेकिन रोकी जा सकने वाली बीमारियों के जोखिम के लिये छोड़ रहे हैं.’
संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि भारत में उन बच्चों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है जिन्होंने डीटीपी टीके की पहली खुराक नहीं ली है. भारत में 2019 में 14 लाख बच्चों ने डीटीपी-1 टीके की पहली खुराक नहीं ली थी और 2020 में यह संख्या बढ़कर 30 लाख हो गई.
एजेंसियों ने कहा, ‘भारत में विशेष रूप से बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है जहां डीटीपी-3 का दायरा 91 प्रतिशत से घटकर 85 प्रतिशत हो गया है.’
उन्होंने कहा कि 2020 में टीकाकरण सेवाओं में व्यावधान व्यापक थे और इससे सबसे ज्यादा प्रभावित डब्ल्यूएचओ के दक्षिणपूर्व एशिया और पूर्वी भूमध्य सागरीय क्षेत्र थे.