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Saturday, 21 December, 2024
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नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों पर संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताई, कहा- अभिवयक्ति की स्वतंत्रता का हो सम्मान

राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की उच्चायुक्त की प्रवक्ता ने कहा, 'नागरिकता प्रदान करने संबंधी व्यापक भारतीय कानून पहले से मौजूद हैं, इन संशोधनों का राष्ट्रीयता तक लोगों की पहुंच पर भेदभावपूर्ण प्रभाव पड़ेगा.'

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संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भारत में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों में हुई हिंसा और सुरक्षा कर्मियों के कथित तौर पर अत्यधिक बल का इस्तेमाल करने पर चिंता जाहिर करते हुए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सम्मान करने की अपील की.

संशोधित नागरिकता कानून के मुताबिक 31 दिसम्बर 2014 तक अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है.

विधेयक के इस माह संसद में पेश होने के बाद से ही देश में इसके खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए थे, जिसने इसके पारित होकर कानून बनने के बाद उग्र रूप ले लिया. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह कानून ‘असंवैधानिक एवं विभाजनकारी’ है.

गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने मंगलवार को संवाददाताओं में कहा, ‘हम संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ जारी प्रदर्शनों में हो रही हिंसा और सुरक्षा बलों के कथित तौर पर अत्यधिक बल के इस्तेमाल को लेकर चिंतित हैं. हम संयम बरतने और अभिव्यक्ति एवं राय रखने की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण रूप से एकत्र होने के अधिकारों के पूर्ण सम्मान का आग्रह करते हैं.’

दुजारिक से पूछा गया था कि की सीएए के खिलाफ भारत में जारी प्रदर्शन को लेकर क्या महासचिव कुछ टिप्पणी करना चाहते हैं.

इसपर दुजारिक ने कहा कि वह अधिनियम पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट की टिप्पणियों का भी उल्लेख करना चाहते हैं.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की उच्चायुक्त की प्रवक्ता ने जिनेवा में कहा था कि यह ‘चिंता’ की बात है कि सीएए की ‘ प्रकृति मूल रूप से भेदभावपूर्ण है.’

प्रवक्ता ने कहा, ‘संशोधित कानून भारत के संविधान में निहित समानता के कानून और नागरिक एवं राजनीतिक अधिकार पर अंतरराष्ट्रीय अनुबंध तथा नस्लीय भेदभाव ‍उन्मूलन के लिए हुई संधि के तहत भारत के दायित्व के प्रति प्रतिबद्धता को कमतर करता है. भारत इस अनुबंध एवं संधि का हिस्सा है जो नस्लीय, जातीय या धार्मिक आधार पर भेदभाव को निषिद्ध करता है.

राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की उच्चायुक्त की प्रवक्ता ने कहा, ‘नागरिकता प्रदान करने संबंधी व्यापक भारतीय कानून पहले से मौजूद हैं, इन संशोधनों का राष्ट्रीयता तक लोगों की पहुंच पर भेदभावपूर्ण प्रभाव पड़ेगा.’

भारत ने कहा है कि संशोधित नागरिकता कानून विभिन्न देशों से धार्मिक प्रताड़ना के कारण पहले से भारत में रह रहे लोगों को भारतीय नागरिकता देने की प्रक्रिया में तेजी लाएगा.

विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘यह उनकी मौजूदा दिक्कतों का समाधान और उन्हें मूलभूत मानवाधिकार देने की बात करता है. ऐसी पहल का स्वागत होना चाहिए, धार्मिक स्वतंत्रता के लिए असल में प्रतिबद्ध लोगों को इसकी आलोचना नहीं करनी चाहिए.’

मंत्रालय ने कहा कि यह कानून, ‘नागरिकता पाने के इच्छुक सभी समुदायों के लिए पहले से मौजूद मार्गों पर प्रभाव नहीं डालेगा.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीएए के खिलाफ देश भर में जारी हिंसक प्रदर्शनों को सोमवार को ‘दुर्भाग्यपूर्ण और बेहद निराशाजनक’ करार दिया था और लोगों से अफवाह से दूर रहने तथा ‘निहित स्वार्थों’’ को समाज को विभाजित नहीं करने देने की अपील की थी.

कई ट्वीट कर मोदी ने लोगों को यह भी आश्वासन दिया कि संशोधित नागरिकता कानून किसी भी धर्म के किसी भारतीय को प्रभावित नहीं करेगा.

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