बोस्टन: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) जैसे संस्थानों में तत्काल सुधार की आवश्यकता है.
उन्होंने मंगलवार को यहां हार्वर्ड कैनेडी स्कूल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि ये संस्थान अब उन देशों की बातें नहीं रखते जिनके मुद्दे दशकों से अनसुने रहे हैं. इन सभी संस्थाओं को खुद में सुधार करना होगा.
मोसावर-रहमानी सेंटर फॉर बिजनेस एंड गवर्नमेंट द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लॉरेंस समर्स के साथ बातचीत में सीतारमण ने कहा, ‘कई देशों में सुधार अलग-अलग चरणों में हो रहे हैं जबकि ये वैश्विक संस्थान वैसे ही बने हुए हैं जैसे वे पिछले कई दशकों से थे.’
उन्होंने कहा कि इनमें से ज्यादातर संस्थान उन देशों की बातें नहीं रखते हैं, जिनके मुद्दों पर दशकों से ध्यान नहीं दिया गया है. फिर चाहे ये मुद्दे व्यापार, सुरक्षा, मौद्रिक ढांचे से जुड़े हों या विकास के वित्तपोषण से संबंधित हों.
सीतारमण ने कहा,’इन सभी संस्थानों के लिए और अधिक पारदर्शी होने, प्रतिनिधित्व करने और उन देशों के लिए बोलने की सख्त आवश्यकता है जिन्हें पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिलता है. इसलिए मुझे लगता है कि यह कुछ ऐसा है जो तुरंत होना चाहिए.’
उन्होंने कहा कि जब ये संस्थान ज्यादा से ज्यादा देशों की आवाज उठाएंगे, तो संसाधनों का अधिक और समान वितरण होगा.
केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण दरअसल वाशिंगटन में विश्व बैंक और आईएमएफ की वार्षिक बैठकों, जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नर (एमएमसीबीजी) की बैठक में भाग लेने के लिए एक सप्ताह की लंबी यात्रा के लिए सोमवार को अमेरिका पहुंची हैं.
यह भी पढ़ें: लखीमपुर खीरी हिंसा ‘पूरी तरह निंदनीय’ है: निर्मला सीतारमण