नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर अमेरिका द्वारा किए गए हवाई हमलों को “खतरनाक बढ़त” और “अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सीधा ख़तरा” बताया है. उन्होंने सदस्य देशों से “तनाव कम करने” और अंतरराष्ट्रीय संगठन के चार्टर के तहत अपने दायित्व निभाने की अपील की.
गुटेरेस ने एक बयान में कहा, “मैं अमेरिका द्वारा आज ईरान पर बल प्रयोग किए जाने से बेहद चिंतित हूं. यह एक ऐसे क्षेत्र में खतरनाक बढ़त है जो पहले से ही तनाव में है—और अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है.”
“यह संघर्ष तेजी से नियंत्रण से बाहर हो सकता है—जिसका नागरिकों, क्षेत्र और दुनिया पर विनाशकारी असर पड़ेगा. मैं सदस्य देशों से अपील करता हूं कि वे तनाव को कम करें और यूएन चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अन्य नियमों के तहत अपने दायित्वों को निभाएं. इस खतरनाक घड़ी में, अराजकता के चक्र से बचना बेहद ज़रूरी है.”
रविवार सुबह अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नतांज और इस्फहान—पर बमबारी की. राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि इन ठिकानों को “पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया” है. हमले का मुख्य निशाना था फोर्डो, जो गहराई से बंकरनुमा यूरेनियम संवर्धन केंद्र है. इसे GBU-57A/B मासिव ऑर्डिनेंस पेनिट्रेटर (बंकर बस्टर बम) से निशाना बनाया गया.
यह ठिकाना क़ोम शहर से लगभग 160 किमी दूर एक पहाड़ी में 300 फीट नीचे स्थित बताया गया है. इज़राइल की ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ के ज़रिए अन्य परमाणु ठिकानों पर हमले संभव हुए थे, लेकिन फोर्डो तक उसकी तकनीकी पहुंच नहीं थी, जिसके लिए अमेरिकी हस्तक्षेप जरूरी था.
ईरान की परमाणु ऊर्जा संस्था (AEOI) ने तीनों ठिकानों पर हमले की पुष्टि की है और इस कार्रवाई को “अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के खिलाफ़” बताया। साथ ही, “अंतरराष्ट्रीय समुदाय” से “जंगल के नियमों पर आधारित इस अराजकता की निंदा करने और ईरान के वैध अधिकारों के समर्थन” की अपील की.
इस हमले को अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं का समर्थन मिला है. हाउस स्पीकर माइक जॉनसन और सीनेट मेजॉरिटी लीडर जॉन थ्यून दोनों ने ट्रंप की सैन्य कार्रवाई का समर्थन किया.
थ्यून ने एक बयान में कहा, “ईरान का शासन, जो ‘अमेरिका को मौत’ और इज़राइल को मिटा देने की बात करता है, ने शांति के सभी राजनयिक रास्तों को खारिज कर दिया है. मुल्ला की परमाणु हथियार हासिल करने की गलत सोच को रोका जाना चाहिए.”
“आज रात हम यह सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई कर रहे हैं कि ईरान परमाणु हथियार से दूर रहे. मैं राष्ट्रपति ट्रंप के साथ खड़ा हूं और अमेरिकी सैनिकों व कर्मियों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता हूं.”
डेमोक्रेट्स ने कार्रवाई की आलोचना की
हालांकि, कई प्रमुख डेमोक्रेट नेताओं ने इस सैन्य कार्रवाई की आलोचना की। हाउस माइनॉरिटी लीडर हकीम जेफ़्रीज़ ने कहा कि अमेरिका में युद्ध घोषित करने का अधिकार केवल कांग्रेस के पास है, जिससे साफ होता है कि ट्रंप ने अपने अधिकारों से बाहर जाकर कार्रवाई की है.
जेफ़्रीज़ ने एक बयान में कहा, “युद्ध घोषित करने का अधिकार केवल अमेरिका की कांग्रेस के पास है. राष्ट्रपति ट्रंप और उनका प्रशासन ईरान में किसी भी आक्रामक सैन्य कार्रवाई से तब तक दूर रहे जब तक प्रतिनिधि सभा और सीनेट की स्पष्ट मंजूरी न मिल जाए.”
“ऐसी आक्रामक कूटनीति, जिससे ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को स्थायी रूप से रोका जा सके, इस समय का सबसे उचित रास्ता है.”
न्यूयॉर्क से डेमोक्रेटिक प्रतिनिधि एलेक्ज़ान्द्रिया ओकासियो-कोर्टेज़ ने इस हमले को “संविधान और कांग्रेस के युद्ध अधिकारों का गंभीर उल्लंघन” बताया. उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, “उन्होंने जल्दबाज़ी में एक ऐसे युद्ध की संभावना खड़ी कर दी है जो हमें पीढ़ियों तक उलझा सकता है। यह बिल्कुल स्पष्ट रूप से महाभियोग के लायक है.”
डेमोक्रेट नेताओं को कुछ अति-रूढ़िवादी रिपब्लिकन सांसदों का भी समर्थन मिला, जिनमें थॉमस मैसी शामिल हैं. केंटकी से रिपब्लिकन प्रतिनिधि मैसी ने एक्स पर बयान देते हुए इस हमले को “संवैधानिक नहीं” बताया.
रविवार को व्हाइट हाउस के लॉन से जारी एक बयान में ट्रंप ने कहा कि अगर ईरान तुरंत शांति नहीं करता तो उस पर और हमले किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि ये हमले “सटीकता, गति और कौशल” के साथ किए जाएंगे.
ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान में वादा किया था कि वे अमेरिका के “हमेशा चलने वाले युद्धों” को खत्म करेंगे और पश्चिम एशिया में सैन्य हस्तक्षेप को रोकेंगे. उनके प्रशासन ने ईरान के साथ एक नए परमाणु समझौते पर बातचीत भी शुरू की थी, इससे पहले कि इज़राइल ने 13 जून को ऑपरेशन राइजिंग लॉयन शुरू किया.
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