संयुक्त राष्ट्र: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशन का कार्य विभिन्न चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी जारी है जिसमें आतंकवादी, सशस्त्र समूहों और राज्य-विरोध तत्वों से मुकाबला शामिल है. साथ ही उन्होंने शांति सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्षमताओं को मजबूती देने की आवश्यकता पर बल दिया.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में प्रौद्योगिकी एवं शांति स्थापना पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की खुली बहस की अध्यक्षता की और इस दौरान संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस भी मौजूद रहे. अपने संबोधन के दौरान जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों की सुरक्षा में प्रौद्योगिकी की भूमिका को रेखांकित किया और शांति बनाए रखने में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला.
उन्होंने कहा, ‘वर्ष 1948 में तैनाती के बाद से ही संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशन विभिन्न चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में कार्य जारी रखे हुए हैं. चूंकि, शांति स्थापना मिशनों की प्रकृति और उनसे जुड़े खतरे अधिक जटिल हो गए हैं, ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि शांतिरक्षकों को सुरक्षित करने की हमारी क्षमता को बढ़ाया जाए.’
संयुक्त राष्ट्र की 15 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता अगस्त महीने में भारत कर रहा है.
भारत संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में योगदान देने वाले सबसे महत्वपूर्ण देशों में शुमार है और भारत ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान 49 मिशनों में 2,50,000 से अधिक सैनिकों का योगदान दिया है.
जयशंकर ने समकालीन खतरों से निपटने को लेकर संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों को सुरक्षित करने के लिए एक संभावित ढांचा तैयार करने के लिए चार-सूत्रीय रूपरेखा का प्रस्ताव भी दिया.
विदेश मंत्री ने कहा, ‘सबसे पहले, हमें किफायती, संचालन के तौर पर सिद्ध, विश्वसनीय एवं व्यापक उपलब्धता वाली प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रीत करना चाहिए.’
उन्होंने कहा कि ये प्रौद्योगिकी पर्यावरण अनुकूल होनी चाहिए जिसका नवीकरणीय ऊर्जा एवं ईंधन दक्षता के साथ उपयोग किया जा सके.
जयशंकर ने कहा कि दूसरा सूत्र, एक ठोस सूचना और खुफिया आधार की आवश्यकता है जो कि प्रारंभिक चेतावनी सुनिश्चित करने के साथ ही प्रारंभिक प्रतिक्रिया देगी.
उन्होंने कहा, ‘तीसरा यह कि हमें यह सुनिचित करना होगा कि प्रौद्योगिकी सुधार जारी रहे और जमीनी स्तर पर इसकी उपलब्धता हो ताकि शांति रक्षकों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए वे उन हथियार एवं उपकरणों का उपयोग कर सकें जो वे अपनी गतिशीलता, प्रदर्शन, सीमा और भार वहन करने की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए उपयोग करते हैं.’
विदेश मंत्री ने कहा कि, चौथा सूत्र यह कि प्रौद्योगिकी क्षेत्र के मद्देनजर शांतिरक्षकों के निरंतर प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर ध्यान देने और निवेश करने की आवश्यकता है.
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