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गुरूवार, 3 जुलाई, 2025
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ट्रंप अन्य राष्ट्रपतियों की तरह नहीं, लेकिन क्या वह ‘दूसरे कार्यकाल के श्राप’ को खत्म कर सकते हैं?

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(गैरिट सी. वैन डिक, वाइकाटो विश्वविद्यालय)

हैमिल्टन (न्यूजीलैंड), तीन जुलाई (द कन्वरसेशन) अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने विरोधियों को तीसरे कार्यकाल की संभावना जताकर छेड़ना पसंद करते हैं लेकिन उनके सामने पहले एक और ऐतिहासिक चुनौती है, जिसने कई राष्ट्रपतियों को परेशान किया है और वह है : ‘दूसरे कार्यकाल का श्राप’।

अब तक अमेरिका के 21 राष्ट्रपतियों ने दूसरा कार्यकाल पूरा किया है, लेकिन कोई भी अपने पहले कार्यकाल की सफलता की बराबरी नहीं कर सका।

दूसरे कार्यकाल के प्रदर्शन आमतौर पर फीके और प्रेरणाहीन रहे हैं। कुछ मामलों में तो विनाशकारी भी। इसके लिए मतदाताओं की असंतुष्टि और निराशा, राष्ट्रपति का थकान महसूस करना और भविष्य की स्पष्ट व स्थायी दूरदृष्टि की कमी जैसे कारण बताए जाते हैं।

लेकिन ट्रंप इस परिपाटी में पूरी तरह फिट नहीं बैठते। 19वीं सदी के अंत में ग्रोवर क्लीवलैंड एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति थे, जिनके दो कार्यकाल के बीच अंतराल था यानी कि पहले और दूसरे कार्यकाल के बीच कोई और राष्ट्रपति बना था। इसी वजह से ‘ट्रंप 2.0’ (ट्रंप के दूसरे कार्यकाल) की, दो कार्यकाल तक राष्ट्रपति रहे अन्य नेताओं से तुलना करना कठिन हो जाता है।

ट्रंप निश्चित रूप से यह चाहेंगे कि इतिहास ग्रोवर क्लीवलैंड के दूसरे कार्यकाल के श्राप को दोहराए नहीं। क्लीवलैंड ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही 50 प्रतिशत टैरिफ (शुल्क) लगा दिए थे, जिससे 1893 में वैश्विक बाजारों में भारी अस्थिरता फैल गयी थी।

उस समय यह अमेरिका के इतिहास की सबसे भयानक मंदी मानी गई थी : 19 प्रतिशत बेरोजगारी, अमेरिकी राजकोष से सोने की भारी निकासी, शेयर बाजार का ध्वस्त होना और व्यापक स्तर पर गरीबी फैलना।

एक सदी से भी अधिक समय बाद, ट्रंप अगर तेजी से काम करने का अपना रवैया दूसरे कार्यकाल में भी अपनाते हैं तो यह उन मतदाताओं को आकर्षित कर सकता है जो सबसे पहले कार्रवाई की मांग करते है।

अब तक उन्होंने व्यापार युद्ध और सांस्कृतिक युद्ध लड़ते हुए पश्चिम एशिया में सैन्य संघर्ष तक की स्थिति पर विचार किया है। उनका ‘बिग ब्यूटीफुल बिल’ राष्ट्रीय ऋण में खरबों डॉलर जोड़ देगा और संभवतः कई गरीब मतदाताओं, जिनमें कई रिपब्लिकन भी शामिल हैं, को ‘मेडिकेड’ जैसी स्वास्थ्य सेवाओं से बाहर कर सकता है।

उनका यह कट्टरपंथी तरीका दूसरे कार्यकाल के ‘‘श्राप’’ को खत्म करेगा या उसी का शिकार बनेगा, यह अब भी एक सवाल है।

कोई राजा नहीं –

1951 में संविधान में 22वें संशोधन द्वारा दो कार्यकाल की सीमा लागू की गई थी। यह आशंका थी कि अधिकतम अवधि के बिना, एक निरंकुश नेता जीवन भर के लिए नियंत्रण करने की कोशिश कर सकता है, एक राजा की तरह (इसलिए हाल ही में अमेरिका में ‘नो किंग्स’ विरोध प्रदर्शन हुए)।

जॉर्ज वाशिंगटन, जेम्स मैडिसन और थॉमस जेफरसन सभी ने तीसरे कार्यकाल के लिए इनकार कर दिया था।

एक मिथक है कि जब फ्रैंकलिन डेलानो रूजवेल्ट ने शुरुआती राष्ट्रपतियों द्वारा निर्धारित दो कार्यकाल की वास्तविक सीमा को तोड़ा, तो जॉर्ज वाशिंगटन की आत्मा ने चार वर्ष से अधिक समय तक पद पर रहने वाले किसी भी व्यक्ति को श्राप दे दिया।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दूसरे कार्यकाल के लिए चुने गए राष्ट्रपति (जैसे आइजनहावर, रोनाल्ड रीगन और बराक ओबामा) ने अपना पहला कार्यकाल प्रभावशाली ढंग से शुरू किया, लेकिन पुनर्निर्वाचन के बाद उनकी गति धीमी पड़ गई।

यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि ट्रंप की स्थिति क्या होगी। लेकिन, हाल ही में ईरान पर बमबारी और लॉस एंजिलिस में सैनिकों की तैनाती के बाद अमेरिकी जनता की प्रतिक्रिया के चलते उनकी लोकप्रियता रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है।

हाल ही में ‘यूगव’ के एक सर्वेक्षण में मतदाताओं ने महंगाई, नौकरियों, आप्रवासन, राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति को संभालने के ट्रंप के तरीके को नकारात्मक रेटिंग दी है। भले ही उन्होंने कई मोर्चों पर तेज़ी से कार्रवाई की हो, लेकिन अनिश्चितता का स्तर, अचानक किए गए बड़े बदलाव और बाज़ार में अस्थिरता शायद उम्मीद से कहीं ज्यादा है।

द कन्वरसेशन गोला मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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