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Tuesday, 2 July, 2024
होमविदेशट्रंप और मैक्रों ने कोविड-19 के खिलाफ यूएन के सहयोग और पी5 देशों की बैठक बुलाने पर चर्चा की

ट्रंप और मैक्रों ने कोविड-19 के खिलाफ यूएन के सहयोग और पी5 देशों की बैठक बुलाने पर चर्चा की

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पी5 या पांच स्थायी सदस्य अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और रूस हैं.

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वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उनके फ्रांसीसी समकक्ष इमैनुएल मैक्रों ने शुक्रवार को कोरोना वायरस के खिलाफ सामूहिक लड़ाई के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों की एक बैठकt बुलाने पर चर्चा की. व्हाइट हाउस ने यह जानकारी दी.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पी5 या पांच स्थायी सदस्य अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और रूस हैं.

दोनों नेताओं के बीच फोन पर हुई बातचीत के विवरण का उल्लेख करते हुये व्हाइट हाउस ने कहा, ‘राष्ट्रपति ट्रम्प और राष्ट्रपति मैक्रों ने महामारी को हराने और अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सहयोग को बढ़ाने के लिए शीघ्र ही पी5 नेताओं की बैठक बुलाने पर चर्चा की.’

अमेरिका में कोरोनावायरस के कारण 24 घंटों में 1,480 लोगों की मौत, यह किसी देश में एक दिन में मारे गए लोगों की दुनिया में सर्वाधिक संख्या है : जॉन्स हॉप्किन्स।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव किया है अंगीकार 

इससे पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से भारत समेत दुनिया के 188 देशों का समर्थन प्राप्त करने वाले प्रस्ताव को अंगीकार कर लिया है. इस प्रस्ताव में कोविड-19 की महामारी को खत्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग तेज करने का प्रस्ताव दिया गया था और कहा गया था कि वायरस से ‘समाज और अर्थव्यवस्था को भीषण’ खतरा है.

इस प्रस्ताव का शीर्षक ‘कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक एकजुटता’ है. इस वैश्विक महामारी पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंगीकार किया गया यह पहला दस्तावेज है. पूरी दुनिया में इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 10 लाख तक पहुंच गई है लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अब तक इस वैश्विक महामारी पर चर्चा नहीं हुई है.

इस दस्तावेज में कोरोना वायरस से पूरी दुनिया के समाज पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव और अर्थव्यवस्था को पहुंचने वाला नुकसान शामिल है. इसके अलावा इसमें वैश्विक यात्रा और कारोबार के खतरे और लोगों की आजीविका का संकट भी शामिल किया गया है.

इसमें यह भी कहा गया है कि इस वायरस से निपटने में मानवाधिकार का पूरी तरह से सम्मान होना चाहिए और किसी भी तरह के भेदभाव की इसमें कोई जगह नहीं है. इस प्रस्ताव का घाना, इंडोनेशिया, नॉर्वे, सिंगापुर और स्विट्जरलैंड ने समर्थन किया है.

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