वाशिंगटन: अमेरिका के तीन सांसदों ने भारत में कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शनों को दबाने की खबरों पर चिंता जताई है.
तीन सांसदों ने कहा, ‘इकट्ठा होने की स्वतंत्रता, प्रेस की स्वतंत्रता और नागरिक समाज के अधिकारों के प्रति सम्मान एक कार्यशील लोकतंत्र के मुख्य घटक हैं. इस साल हम यह देखकर काफी चिंतित हैं कि भारत सरकार ने कई भारतीयों के इन अधिकारों को सीमित कर दिया. ये सिर्फ किसानों के साथ नहीं हुआ, बल्कि धार्मिक अल्पसंख्यकों और मानवाधिकार संगठनों के साथ भी हुआ है.’
अमेरिका में भारतीय राजदूत तरणजीत सिंह संधू को लिखे पत्र में संसद सदस्य जॉन गारमेन्डी, जिम कोस्टा और शैला जैक्सन ली ने कहा कि सरकारें निश्चित रूप से अपनी आंतरिक कृषि नीतियां बना सकती हैं. लेकिन ‘हम भारत सरकार द्वारा इन प्रदर्शनों पर दी गई प्रतिक्रिया से चिंतित हैं.’
उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रदर्शन कर रहे किसानों के शांतिपूर्ण ढंग से एकत्र होने के अधिकार को कथित रूप से दबाया है.
कोस्टा ने मंगलवार को एक बयान में कहा, ‘भारत की स्थिति परेशान करने वाली है.’
उन्होंने कहा, ‘शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का अधिकार लोकतांत्रिक स्वतंत्रता की बुनियाद है और इसका संरक्षण होना चाहिए.’
गौरतलब है कि केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि सरकार इन कानूनों को रद्द करे.
यह भी पढ़ें: गृह मंत्री अमित शाह की किसानों से हुई बैठक में नहीं बनी बात, छठे दौर की वार्ता अधर में लटकी