लाहौर, 27 अगस्त (भाषा) पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हज़ारों लोगों को सुरक्षित इलाकों में पहुंचाया गया है क्योंकि भारी बारिश और भारत द्वारा दो बांधों से छोड़े गए पानी के कारण यह प्रांत अप्रत्याशित बाढ़ का सामना कर रहा है। अधिकारियों ने बुधवार को इसकी जानकारी दी।
भारत और पाकिस्तान दोनों ही मानसूनी बारिश और बाढ़ का सामना कर रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि चिनाब, रावी और सतलुज जैसी नदियों से लगे इलाकों से अब तक 2,50,000 से ज़्यादा लोगों को निकाला जा चुका है। उन्होंने बताया कि बाढ़ में फंसे 32,000 से ज़्यादा लोगों को नावों से बचाया गया है।
उन्होंने बताया कि भारत ने रावी नदी पर बने थीन बांध के सभी द्वार खोल दिए हैं, जिसके बाद पंजाब प्रशासन ने बचाव और राहत कार्यों में नागरिक अधिकारियों की सहायता के लिए पंजाब के आठ जिलों – लाहौर, ओकारा, फैसलाबाद, सियालकोट, नारोवाल, कसूर, सरगोधा और हाफिजाबाद – में पाकिस्तानी सेना को बुला लिया है।
पाकिस्तान को भारत से दूसरी बार चेतावनी मिली है कि वह तेज़ी से भर रहे माधोपुर बांध से पानी छोड़ सकता है। संघीय सरकार ने बताया कि दोनों बांध रावी नदी पर हैं, जो भारत से पाकिस्तान में बहती है।
रविवार को, भारत ने ‘मानवीय आधार’ पर राजनयिक माध्यमों से पाकिस्तान को बाढ़ की चेतावनी दी थी।
पहलगाम में 22 अप्रैल को हुये आतंकवादी हमले के एक दिन बाद, भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई दंडात्मक कदम उठाए, जिनमें 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित करना भी शामिल था। आमतौर पर, बाढ़ की चेतावनी सिंधु जल आयोग के माध्यम से साझा की जाती है।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को स्थिति की समीक्षा के लिए एक आपात बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने अधिकारियों को समय पर अलर्ट सुनिश्चित करने के लिए पूर्व चेतावनी प्रणालियों में सुधार करने का निर्देश दिया।
डॉन अखबार ने शरीफ के हवाले से कहा, ‘‘राहत कार्यों में और तेज़ी लाई जानी चाहिए और संस्थाओं के बीच समन्वय को और मज़बूत किया जाना चाहिए। नदियों के किनारे रहने वाले लोगों को तुरंत सुरक्षित स्थानों पर बसाने की प्रक्रिया को और तेज़ बनाया जाना चाहिए।’’
अधिकारियों ने बताया कि रावी नदी के पानी से करतारपुर गलियारा जलमग्न हो गया है, जिसमें गुरुद्वारा दरबार साहिब भी शामिल है, जहां 16वीं शताब्दी की शुरुआत में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी जीवन के अंतिम समय में रहे थे।
यह कॉरिडोर पाकिस्तान के गुरुद्वारा दरबार साहिब को पंजाब के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक से जोड़ता है ।
करतारपुर कॉरिडोर परियोजना प्रबंधन इकाई के प्रमुख सैफुल्लाह खोखर ने ‘पीटीआई’ को बताया, ‘‘गुरुद्वारा दरबार साहिब सहित पूरा करतारपुर गलियारा परिसर बाढ़ के पानी में डूब गया है।’’
उन्होंने कहा कि बाढ़ के पानी के कारण करतारपुर गलियारा परिसर में 100 से अधिक लोग फंस गये, जिन्हें नावों और एक हेलीकॉप्टर से बचाया जा रहा है, जिनमें से ज़्यादातर करतारपुर परियोजना प्रबंधन इकाई के कर्मचारी हैं ।
सोशल मीडिया पर प्रसारित तस्वीरों और वीडियो में पवित्र सिख तीर्थस्थल बाढ़ के पानी से घिरा हुआ दिखाई दे रहा है।
अंतरधार्मिक सद्भाव राज्य मंत्री खेल दास कोहिस्तानी ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास सक्रिय रूप से काम कर रहा है, तथा वह और योजना मंत्री अहसान इकबाल भी बाबा गुरु नानक करतारपुर गलियारे में श्रद्धालुओं और कर्मचारियों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
पाकिस्तान सरकार ने नवंबर 2019 में करतारपुर कॉरिडोर खोला था, जो पाकिस्तान-भारत सीमा से लगभग 4.1 किलोमीटर दूर है।
पाकिस्तान के गुरुद्वारा दरबार साहिब को भारत के (पंजाब के) गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक से जोड़ने वाला यह गलियारा भारतीय श्रद्धालुओं को गुरुद्वारा दरबार साहिब के दर्शन के लिए वीज़ा-मुक्त पहुंच प्रदान करता है।
पाकिस्तान मौसम विज्ञान विभाग (पीएमडी) के अनुसार जून में मानसून की शुरुआत से अब तक 804 लोगों की जान जा चुकी है और लगभग 7,500 आवासीय ढांचे क्षतिग्रस्त हो गए हैं तथा 5,500 मवेशी मारे गए हैं।
भाषा रंजन अविनाश
अविनाश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.