वाशिंगटन: अमेरिका ने अफगानिस्तान में महिलाओं की विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने के तालिबान के हालिया फैसले की निंदा की है.
गौरतलब है कि तालिबान सरकार ने महिलाओं के अधिकारों व स्वतंत्रता पर नकेल कसते हुए मंगलवार को एक नए फरमान में कहा था कि अफगानिस्तान में निजी व सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में महिला छात्रों को तत्काल प्रभाव से अगली सूचना तक प्रतिबंधित कर दिया गया है.
व्हाइट हाउस राष्ट्रीय सुरक्षा परिषदद (एनएससी) की प्रवक्ता एड्रिएन वॉटसन ने मंगलवार को कहा, ‘अमेरिका अफगानिस्तान की महिलाओं को विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा प्राप्त करने से रोकने के लिए तालिबान के फैसले की निंदा करता है.’
उन्होंने कहा, ‘ यह एक निंदनीय फैसला है और तालिबान नेतृत्व द्वारा अफगानिस्तान में महिलाओं तथा लड़कियों पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाने तथा उन्हें उनके मानवाधिकारों व मौलिक स्वतंत्रता का इस्तेमाल करने से रोकने का नवीनतम प्रयास है.’
वॉटसन ने कहा कि अफगानिस्तान के इस अस्वीकार्य रुख से तालिबान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अलग-थलग पड़ जाएगा और जो वैधता वह हासिल करना चाहता है उससे भी वंचित हो जाएगा.
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘अमेरिका इस मुद्दे पर अपने भागीदारों व सहयोगियों के साथ सम्पर्क में है. हम अफगानिस्तान की महिलाओं तथा लड़कियों का समर्थन करने और अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने के हमारे साझा प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए कदम उठाना जारी रखेंगे.’
ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) के अनुसार, तालिबान ने अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया और बुनियादी अधिकारों को गंभीर रूप से प्रतिबंधित करने वाली नीतियां लागू कीं – विशेषकर महिलाओं और लड़कियों के लिए.
इस्लामिक समूह ने सभी महिलाओं को सिविल सेवा में नेतृत्व के पदों से बर्खास्त कर दिया और अधिकांश प्रांतों में लड़कियों को माध्यमिक विद्यालय में जाने से रोक दिया.
यही नहीं तालिबान के फरमान अधिकतर महिलाओं के लिए हैं और वो उन्हें तब तक यात्रा करने से रोकता है जब तक कि उनके साथ कोई पुरुष रिश्तेदार न हो और महिलाओं के चेहरे को सार्वजनिक रूप से ढकने की हिदायत भी दी गई है. इनमें महिला टीवी न्यूज़कास्टर्स भी शामिल हैं.
सोमवार को, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अफगानिस्तान में सत्ता संरचनाओं में सभी जातीय समूहों को शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि सभी जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व किया जाए.
उन्होंने अफगानिस्तान में मानवाधिकारों, विशेष रूप से महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों, काम करने के लिए महिलाओं के अधिकार, सभी स्तरों पर लड़कियों के स्कूल जाने के अधिकार को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया.
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