नई दिल्ली: खार्तूम में युद्ध छिड़ने के बाद के दिनों में, सूडान के सबसे बड़े अनाथालय में डॉ. अबीर अब्दुल्ला अपने कुछ ही साथियों के साथ उस कमरे में सैकड़ों शिशुओं और बच्चों की देखभाल करने की कोशिश कर रहे हैं, जहां गोलीबारी के आवाज़ से भी तेज़ बच्चों के रोने की आवाज़ गूंज रही हैं.
रॉयटर्स की खबर के अनुसार राज्य द्वारा संचालित और मायगोमा नाम से मशहूर इस अनाथालय की ऊपरी मंजिलों पर शिशुओं को रखा गया था – वहां मानो अचानक ने मौत की एक लहर ही आ गई. डॉक्टर ने कहा कि उनकी देखभाल के लिए पर्याप्त स्टाफ नहीं होने के कारण, वे गंभीर कुपोषण और शरीर में पानी की कमी के शिकार हो गए जिस वजह से उनकी मृत्यु होने लगी.
उन्होंने आगे कहा कि क्लिनिक में जो नवजात शिशु थे वो पहले से ही बहुत कमजोर थे, जिनमें से कुछ की मौत तेज़ बुखार के कारण हो गई.
डॉक्टर अब्दुल्ला ने फोन पर बात करते हुए, जिसमें पीछे से लगातार बच्चों के रोने की आवाज़ आ रही थी- बताया कि बच्चों को हर तीन घंटे में खाना खिलाना पड़ता था, लेकिन इसके लिए स्टाफ नहीं हैं.
उन्होंने कहा, “हमने उन्हें इंजेक्शन के द्वारा ( intravenous therapy) खाना, दवाई और खून देने की भी कोशिश की, लेकिन फिर भी हम ज्यादा समय तक उन्हें बचा नहीं पाए.”
अब्दुल्ला ने कहा कि हर रोज दो, तीन, चार या फिर कभी कभी इससे ज्यादा मौते भी जो जाती है.
अब्दुल्ला के अनुसार, अप्रैल के मध्य में युद्ध शुरू होने के बाद से छह सप्ताह में कम से कम 50 बच्चे – उनमें से कम से कम दो दर्जन बच्चे – अनाथालय में मारे गए हैं. उन्होंने कहा कि शुक्रवार 26 मई को ही 13 बच्चों की मृत्यु हुई हैं.
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मृत्यु के कारण
एक वरिष्ठ अनाथालय अधिकारी ने उन आंकड़ों की पुष्टि की और एक सर्जन जिसने युद्ध के दौरान स्वेच्छा से सुविधा में भाग लिया था, ने कहा कि अनाथों की कम से कम कई दर्जन मौतें हुई हैं. दोनों ने कहा कि ज्यादातर मौतें नवजात शिशुओं और जो एक साल से कम उम्र के थे उनकी हुई हैं. उन्होंने कुपोषण, शरीर में पानी की कमी और संक्रमण को मौत के मुख्य कारण बताया हैं.
अब्दुल्ला ने कहा कि “पालने में बच्चों के मृत पड़े होने के दृश्य भयानक हैं. यह बहुत ही दर्दनाक है.”
सूडान के स्वास्थ्य मंत्रालय में आपातकालीन संचालन के निदेशक मोहम्मद अब्देल रहमान ने कहा कि एक टीम जांच कर रही है कि मायगोमा में क्या हो रहा है और कुछ भी पता चलते ही रिपोर्ट जारी कर दिया जाएगा.
डॉक्टर अब्दुल्ला और दो अन्य के अनुसार इलाके में अभी भी युद्ध का खतरा बना हुआ हैं. पिछले हफ्ते के अंत में, हवाई हमले और तोपखाने ने उस जिले को तबाह कर दिया जहां मायगोमा स्थित है.
युद्ध के अनदेखे पीड़ित
मायगोमा के मृत बच्चे युद्ध के अदृश्य पीड़ितों में से हैं. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, लड़ाई में 700 से अधिक लोग मारे गए हैं, हजारों अन्य घायल हुए हैं और सूडान या पड़ोसी देशों में कम से कम 1.3 मिलियन लोग विस्थापित हुए हैं.
आधिकारिक तौर पर अनाथ बच्चों की देखभाल करने वाले इस केंद्र को माईगोमा कहा जाता है, अनाथालय केंद्रीय खार्तूम में तीन मंजिला इमारत में स्थित है. यह युद्ध क्षेत्र के बेहद करीब हैं. कर्मचारियों और स्वयंसेवकों का कहना है कि इमारत पर गोलियों की बारिश हुई है. एक डॉक्टर ने कहा कि शुरुआती दिनों में बच्चे खिड़कियों से दूर फर्श पर सुलाया जाता था.
1961 में स्थापित, मेडिकल चैरिटी मेडिसिन्स सैंस फ्रंटियर्स (MSF), या डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के अनुसार, मायगोमा में आमतौर पर एक वर्ष में सैकड़ों बच्चे आते हैं.
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