समरकंद, उज्बेकिस्तान: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच शुक्रवार को प्रस्तावित द्विपक्षीय बैठक मुख्यत: ऊर्जा और व्यापार संबंधों को बढ़ाने पर केंद्रित होगी.
उज्बेकिस्तान के समरकंद में चल रहे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं की मुलाकात होने की उम्मीद है.
इस संबंध में जानकारी रखने वालों ने दिप्रिंट को बताया कि ऊर्जा संबंधों को बढ़ावा देने के अलावा भारत और रूस के बीच तीन साल के लिए एक फर्टिलाइजर सौदे को अंतिम रूप दिए जाने की भी उम्मीद है.
मोदी और पुतिन के बीच बैठक ऐसे समय हो रही है जब रूस-यूक्रेन युद्ध चलते छह महीने से अधिक का समय बीत चुका है और सात देशों का समूह या जी-7, रूसी तेल खरीदने के लिए एक प्राइस कैप प्लान पर पूरी जोरदारी से काम कर रहा है.
सूत्रों के मुताबिक, भारत और चीन दोनों के जी-7 प्राइस कैप प्लान में शामिल होने की संभावना नहीं है.
एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए पीएम मोदी के उज्बेकिस्तान दौरे के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कहा, ‘हमने कई बार अन्य मंचों पर भी यही कहा है कि जब भारतीय कंपनियां बाहर जाती हैं और ऊर्जा सुरक्षा को लेकर भारत की जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करती हैं और तेल खरीदती हैं, तो वे निश्चित तौर पर इसे बाजार से खरीदती हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हम इसके लिए सरकार-से-सरकार के बीच खरीद नहीं करते. रही बात प्राइस कैप प्लान की तो यह किस रूप में होगा, किस तरह आकार लेगा, यह सब ऐसा मसला है जिस पर जिन देशों ने यह विचार अपनाया है, शायद वही बेहतर जवाब दे सकते हैं.’
इस बीच, विदेश मंत्रालय ने अभी तक मोदी-पुतिन के बीच द्विपक्षीय बैठक की पुष्टि नहीं की है.
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व्यापार संबंध बढ़ाने पर जोर
इस हफ्ते के शुरू में मोदी और पुतिन के बीच प्रस्तावित बैठक की घोषणा करते हुए क्रेमलिन ने कहा था, ‘रूसी फर्टिलाइजर और द्विपक्षीय फूड सप्लाई के साथ भारतीय बाजार की ‘सैचुरेट’ करने के मुद्दों पर चर्चा की योजना है…सबसे पहले, द्विपक्षीय व्यापार प्रवाह बढ़ाने के उद्देश्य से उठाए जाने वाले कदमों पर विचार किया जाएगा. 2022 की पहली छमाही में व्यापार कारोबार 11.5 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो साल-दर-साल के लिहाज से लगभग 120 फीसदी अधिक है.
कड़े पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद भारत रूस से अपनी तेल खरीद बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है, जो अप्रैल 2022 से 50 गुना बढ़ा है और इसके साथ ही मॉस्को नई दिल्ली के शीर्ष 10 तेल आपूर्तिकर्ताओं में से एक बन गया है.
इस महीने के शुरू में रूस के व्लादिवोस्तोक में आयोजित ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम के दौरान मोदी ने कहा था, ‘ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग की अपार संभावनाएं हैं और इस क्षेत्र में तमाम क्षमताओं का अभी तक इस्तेमाल ही नहीं किया गया है.’
उन्होंने भारत के इस्पात उद्योग की जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस से कोकिंग कोल की आपूर्ति की भी मांग की थी.
भारत और रूस के बीच दोतरफा व्यापार 2022 की पहली छमाही में कथित तौर पर 11.5 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले साल की समान अवधि में लगभग 120 प्रतिशत अधिक है.
मोदी ने इस फोरम को वर्चुअली संबोधित किया था. इस दौरान उन्होंने इंटरनेशनल नार्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (आईएनएसटीसी) पर फोकस करते हुए यूरेशियाई क्षेत्र के भीतर संपर्क को मजबूत करने पर भी बात की.
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