नई दिल्ली: श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के ऑफिस ने कोलंबो के नुगेगोडा में जुबली पोस्ट के पास विरोध प्रदर्शन को हिंसक बनाने के लिए एक अज्ञात ‘चरमपंथी’ समूह को दोषी ठहराया है.
कोलंबो पेज ने राष्ट्रपति के मीडिया डिवीजन की प्रेस रिलीद का हवाला देते हुए यह जानकारी दी है.
बयान में कहा गया है कि भीड़ के पास लोहे के क्लब, दरांती और क्लबों से लैस थी जिसने प्रदर्शनकारियों को भड़काने और शहर में दंगा जैसी स्थिति पैदा करने के लिए मिरिहाना पंगिरीवाट्टा में श्रीलंका के राष्ट्रपति के आवास की ओर मार्च किया.
बयान में आगे कहा गया है कि पुलिस ने विरोध प्रदर्शन में शामिल कई लोगों को गिरफ्तार किया है और उनमें से कई की पहचान संगठित चरमपंथियों के रूप में की गई है.
इसमें आगे कहा गया है कि यह प्रदर्शन श्रीलंका में अरब स्प्रिंग लाने के लिए किया गया था.
गौरतलब है कि श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग करते हुए सैकड़ों प्रदर्शनकारी उनके आवास के बाहर जमा हुए जिसके बाद 45 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया और कोलंबो शहर के ज्यादातर इलाकों में कुछ देर के लिए कर्फ्यू लागू किया गया.
देश में आर्थिक संकट है और लोग राष्ट्रपति को इसका जिम्मेदार मानते हैं. श्रीलंका में विदेशी विनिमय की कमी के कारण ईंधन, रसोई गैस जैसी आवश्यक वस्तुओं की किल्लत हो गई है और जनता को दिन में 13 घंटे तक बिजली कटौती से जूझना पड़ रहा है.
प्रदर्शनकारियों ने गुरुवार को राजपक्षे सरकार के विरोध में नारे लगाए और उनके इस्तीफे की मांग की. पुलिस के अनुसार, प्रदर्शन के दौरान पांच पुलिसकर्मी समेत कई लोग घायल हो गए और वाहनों को आग लगा दी गई थी. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘अब तक 45 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए जबकि एक बस, एक जीप और दो मोटरसाइकिल को आग लगा दी गई. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के, पानी के एक ट्रक में भी तोड़फोड़ की थी. ‘
कोलंबो के अधिकतर हिस्सों और केलानिया के उपनगरीय पुलिस डिवीजन में गुरुवार को आधी रात को कर्फ्यू लगा दिया गया था जिसे शुक्रवार सुबह हटा दिया गया.
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